पटना: लॉकडाउन में मजदूर जिस तरह से बिहार वापस लौट रहे हैं या फिर अपने घर लौटना चाह रहे हैं. इसको बिहार के अर्थशास्त्री बिहार की तरक्की की नजरिए से देख रहे हैं. लॉकडाउन ने बिहार के लिए तरक्की के मार्ग प्रशस्त किए हैं. 30 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार के बाहर रहते हैं और वह अपने राज्य वापस लौटना चाहते हैं. बिहार सरकार फिलहाल मजदूरों के वापसी को लेकर चिंतित है. लेकिन अर्थशास्त्रियों ने इसको लेकर बिहार सरकार को अवसर करार दिया है.
'मजदूरों के स्किल का मैपिंग कराए सरकार'
बिहार के लाखों मजदूर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों की तरक्की में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से तमाम मजदूर बिहार वापस लौटना चाहते हैं और लौट भी रहे हैं. 30 लाख से ज्यादा मजदूर ऐप के जरिए आवेदन दे रखे हैं. लेकिन संसाधनों की कमी के कारण मजदूरों को लाने में परेशानी हो रही है. अर्थशास्त्रियों ने बिहार में उत्पन्न स्थिति को अवसर के रूप में बदलने की नसीहत दी है. चर्चित अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर मानते हैं कि बिहार के सामने बड़ी समस्या है. लेकिन यह एक अवसर लेकर भी आया है. उन्होंने कहा कि तमाम मजदूर जो बिहार वापस लौट रहे हैं या लौटना चाहते हैं. डीएम दिवाकर ने कहा कि सरकार अगर उनके स्किल का मैपिंग कराए और उनकी क्षमता के हिसाब से उन्हें रोजगार दे. उन्होंने ये भी कहा कि बैंकों के जरिए उन्हें सहयोग देकर बिहार की तरक्की के रास्ते खुल सकते है.
लाखों मजदूर बिहार के लिए कॉलेज में तरक्की की राह
बिहार में लौट रहे मजदूरों की स्थिति को देखते हुए विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है. आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि सरकार को मजदूरों की चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को वाकई मजदूरों की चिंता होती तो बिहार में उद्योग लगाए जाते और मजदूरों को स्किल के हिसाब से रोजगार मिलता. वहीं, बिहार सरकार में सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने आरजेडी के आरोपों का पलटवार किया है. नीरज कुमार ने कहा कि प्रवासी मजदरों के लिए सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि रोड मैपिंग भी हो रही है, सभी मजदूरों को स्किल के हिसाब से बिहार में ही काम दिया जाएगा.
मजदूरों ने बताई समस्या
वहीं, मजदूर मनोज साहनी और संजय पासवान का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से हम लोग दाने-दाने को मोहताज हैं. रोजगार नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार में हमारी क्षमता के हिसाब से हमें रोजगार मिल जाता तो हम दूसरे राज्य नहीं जाते.