पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की ओर से रविवार को आयोजित मानव श्रृंखला में हिस्सा लेने के दौरान एक सरकारी स्कूल शिक्षक एवं एक महिला की मौत हो गई. प्रदेश के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि मरने वालों में प्रदेश के दरभंगा जिले के 55 वर्षीय सरकारी स्कूल के एक शिक्षक तथा समस्तीपुर जिले की एक महिला शामिल है. मरने वाली महिला की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है.
मुख्य दीपक सचिव ने बताया कि दोनों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है. बता दें कि 'जल जीवन हरियाली' अभियान के तहत रविवार को बाल विवाह रोकने, नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण और दहेज प्रथा के खिलाफ हल्ला बोल को लेकर पूरे प्रदेश से रिकॉर्ड 5 करोड़ लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई.
मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख मुआवजा
मुख्य सचिव कुमार ने बताया कि मरने वाले दोनों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर चार-चार लाख रुपये दिये जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसके अलावा सरकारी उर्दू माध्यम के स्कूल शिक्षक के परिवार के सदस्यों को सभी सुविधाएं दी जाएंगी, जिसके लिए वह हकदार हैं.
दरभंगा में शिक्षक की मौत
दरभंगा के जिलाधिकारी त्यागराजन एस एम ने बताया कि स्कूल शिक्षक मोहम्मद दाऊद कियोटी थाना क्षेत्र में रनवे चौक के करीब बेहोश होकर गिर गए. दाऊद को एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि मृतक को दिल का दौरा पड़ा. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या वह दिल की बीमारी से पीड़ित थे.
18 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला
बिहार में पांच करोड़ से अधिक लोग रविवार को अपने घरों से बाहर निकले और अखंडित मानवश्रृंखला बनायी, जिसके 18 हजार किलोमीटर से अधिक लंबा होने का दावा किया गया. इन लोगों ने राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक सुधार की दिशा में उठाये गए कदमों के समर्थन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आह्वान पर यह मानव श्रृंखला बनायी.
पहले का रिकार्ड टूटा
राज्य सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि मानव श्रृंखला ने 2017 के पूर्ववर्ती रिकार्ड को तोड़ दिया, जब लोग शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध के नीतीश कुमार कदम के समर्थन में खड़े हुए थे. पर्यावरण संरक्षण अभियान के अलावा शराबबंदी और दहेज और बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाने जैसे कई समाज सुधार के उपायों के लिए सरकार की राज्यव्यापी पहल के तहत राज्यभर में मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया था.
तेजस्वी-मांझी ने किया मानव श्रृंखला विरोध
तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जैसे विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से समाज के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए बाध्य किया गया, जिसमें छोटे बच्चे भी शामिल थे. इन नेताओं ने आरोप लगाया कि यह सरकारी संसाधनों की बर्बादी है. इसमें पानी की तरह पैसा बहाया गया है.