पटना: बिहार में वर्ष 2019 के अगस्त महीने में शुरू हुई छठे चरण के नियोजन की प्रक्रिया पर लगा ग्रहण खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. एक तरफ हजारों अभ्यर्थी नौकरी की आस लगाए बैठे हैं. दूसरी तरफ स्कूलों में शिक्षकों की बहाली को लेकर शिक्षा विभाग के तमाम दावे एक के बाद एक फेल होने से अभ्यर्थी बेचैन हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं.
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आवेदन लेने की प्रक्रिया खत्म
छठे चरण के नियोजन के तहत बिहार में करीब 90 हजार 700 प्राथमिक और करीब 30 हजार माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया वर्ष 2019 में शुरू हुई थी. दोनों तरह के पद के लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया भी काफी पहले खत्म हो चुकी है. मेरिट लिस्ट भी जारी हो चुका है. लेकिन विभिन्न मामलों में पटना हाई कोर्ट के दिशा-निर्देश और कई बार नियोजन प्रक्रिया पर स्टे के कारण ना तो काउंसलिंग की डेट जारी हो पाई है और ना ही शिक्षक अभ्यर्थियों को नियोजन के भविष्य का पता चल पा रहा है. शिक्षक अभ्यर्थी पप्पू कुमार ने इसके लिए बिहार सरकार पर दोष मढ़ा है.
"अगर सरकार चाहती तो पटना हाई कोर्ट में अपना पक्ष मजबूत तरीके से रख सकती थी. लेकिन हर बार किस न किसी जूनियर वकील को भेज दिया जाता है. जिससे कारण मामला लंबा खींच जाता है. शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नियोजन के मामले में गंभीर नहीं दिखते"- पप्पू कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी
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शिक्षक अभ्यर्थियों में नाराजगी
दरअसल शिक्षक अभ्यर्थियों की नाराजगी विशेष रूप से इस बात को लेकर है कि बजट सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह घोषणा की थी कि 5 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में मेंशनिंग हो जाएगी. पटना हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलते ही नियोजन का काम अप्रैल महीने में ही पूरा करा लिया जाएगा. लेकिन 5 अप्रैल बीत चुका है. इसके बाद भी शिक्षा विभाग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी किया जा रहा है. इसे लेकर शिक्षक अभ्यर्थी बेचैन हैं. उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि शिक्षा विभाग उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है.
किन मामलों ने किया शिक्षक नियोजन को प्रभावित
- एनआईओएस डीएलएड अभ्यर्थियों का मामला
- प्राथमिक कक्षाओं के लिए डी.एल.एड को प्राथमिकता देने का मामला
- दिसंबर सीटीईटी पास करने वाले अभ्यर्थियों का मामला
- नेशनल ब्लाइंड फेडरेशन के द्वारा आरक्षण को लेकर दर्ज मामला
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क्यों फंसा है पेंच
दरअसल नेशनल ब्लाइंड फेडरेशन ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि बिहार सरकार अपनी बालियों में नेत्र दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए तय रोस्टर का पालन नहीं कर रही. जिसके बाद कोर्ट ने तमाम बहालियों पर रोक लगाते हुए शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया था. इस मामले में शिक्षा विभाग की तरफ से मेंशनिंग का इंतजार शिक्षक अभ्यर्थियों को है और उनका आरोप है कि अगर शिक्षा विभाग गंभीरता से प्रयास करे तो बहाली की प्रक्रिया तुरंत शुरू हो सकती है.
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सरकार नहीं है गंभीर
इस मामले को करीब से देखने वाले और पूरी जानकारी रखने वाले पटना हाई कोर्ट के वकील प्रिंस कुमार मिश्र ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार जब यह मान चुकी है कि उन्हें नेत्रहीन दिव्यांग को रोस्टर के मुताबिक आरक्षण देने में कोई एतराज नहीं है, तो उसे तुरंत केस की मेंशनिंग करा कर बहाली प्रक्रिया के लिए हाई कोर्ट से इजाजत लेनी चाहिए. लेकिन कहीं ना कहीं सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है और तभी यह मामला इतना लंबा खिंच रहा है.
शिक्षा विभाग की मंशा पर सवाल
अब एक तरफ शिक्षक अभ्यर्थी बिहार सरकार और शिक्षा विभाग की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं. तो दूसरी तरफ इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा विभाग की तरफ से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलने से अभ्यर्थियों की आशंका और गहरा रही है और वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित दिख रहे हैं.