पटना: 'आरसीपी टैक्स' के बाद 'डीके टैक्स' की बात कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सूबे की सियासत को गरमा दिया है. उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष ने पलटवार किया है. जेडीयू महासचिव और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि आरजेडी के नेता बौखलाहट में हैं. उन्होंने लालू राज की याद दिलाते हुए कहा कि कैसे उस समय लोग रंगदारी और अपहरण उद्योग से त्रस्त थे.
लालू राज में 'मामा टैक्स और साला टैक्स': ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि लालू राज में 'मामा टैक्स' और 'साला टैक्स' लिया जाता था. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता को सब कुछ याद है. किस तरह से उद्योगपतियों और डॉक्टरों का अपहरण कर लिया जाता था और उसके बाद वसूली की जाती थी, उस टैक्स को तेजस्वी यादव भूल गए हैं लेकिन बिहार की जनता नहीं भूली है.
"जो लोग अपने आप आप ही मामा टैक्स और साला टैक्स से इस बिहार को त्रस्त रखा, वो लोग आज दूसरे के ऊपर आरोप लगाने का काम कर रहे हैं. जेल-बेल का खेल तो यही लोग न किए. अपहरण उद्योग वाले लोग हैं ये लोग."- अशोक चौधरी, मंत्री सह जेडीयू महासचिव
क्या रिटायर अधिकारी चलाते हैं सरकार?: तेजस्वी यादव के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए अशोक चौधरी ने कहा कि बिहार में कहीं भी कोई रिटायर्ड अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं. सभी अधिकारी ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं. यही कारण है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस योजना की शुरुआत करते हैं, अधिकारी उस योजना को तेजी से आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि जिस तरह से पूरे विश्व में भारत आगे बढ़ रहा है, उसी तरह देश में बिहार भी विकास कर रहा है.
प्रगति यात्रा पर क्या बोले अशोक चौधरी?: प्रगति यात्रा को 'दुर्गति यात्रा' बताने पर मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष पर भड़कते हुए कहा कि आरजेडी के नेता अब सिर्फ मुहावरे का ही प्रयोग कर सकते हैं. अशोक चौधरी ने कहा कि आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर हैं. यात्रा के दौरान कई तरह की घोषणा भी कर रहे हैं. आम जनता की जो मांग है, उसको पूरा किया जा रहा है. यही कारण है कि तेजस्वी यादव चिंतित हैं.
तेजस्वी ने क्या बोला था?: असल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि एक रिटायर्ड अधिकारी ही सरकार चला रहे हैं. डीजीपी और मुख्य सचिव को सीएम अपने साथ कहीं नहीं ले जाते हैं. 90 फीसदी अच्छे और काबिल अधिकारी शंटिंग में हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में 'डीके टैक्स' वसूला जा रहा है. हालांकि उन्होंने किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा एक पूर्व आईएएस की ओर है, जो पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं. सेवानिवृति के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनको बड़ी जिम्मेदारी दे रखी है.
बिहार में प्रशासनिक अराजकता फैल चुकी है। मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक का पद 𝐎𝐫𝐧𝐚𝐦𝐞𝐧𝐭𝐚𝐥 (दिखावटी व आलंकारिक) रह गया है। 𝐂𝐌 ने 𝐂𝐒 और 𝐃𝐆𝐏 पद को सजावटी भी नहीं छोड़ा। मुख्य सचिव और 𝐃𝐆𝐏 को यात्रा और समीक्षा बैठक के दौरान अब बुलाया ही नहीं जाता अगर बुलाया भी जाता… pic.twitter.com/fG0xxpd7kw
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 10, 2025
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