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अंग्रेजों के जमाने का है PMCH का लॉकर, धरोहर की तरह किया गया संरक्षित - पीएमसीएच

प्रिंसिपल कक्ष में मौजूद कुर्सी के ठीक पीछे यह लॉकर बना हुआ है. आज भी इस लॉकर की हालत वैसी ही है जैसी 1925 में हुआ करती थी.

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Published : Jun 26, 2019, 6:08 PM IST

पटना: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच से आज पूरे प्रदेश के लोग लाभांवित हो रहे हैं. इस अस्पताल की स्थापना 25 फरवरी 1925 को हुई थी. यह अस्पताल अंग्रेजों के जमाने का है. आज जिसे हम पीएमसीएच के नाम से जानते हैं वह पहले प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता था. लेकिन, आजाद भारत में इसका नाम पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रख दिया गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

इस अस्पताल में 30 छात्रों का पहला बैच कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्थांतरित किया गया था. इस कॉलेज में अंग्रेजों की बनाई कई ऐसी चीजें हैं, जिसे कॉलेज प्रबंधन ने आज भी संभाल के रखा है. उसे धरोहर के रुप में संरक्षित रखा गया है. इन्हीं धरोहरों में से एक है प्रिंसिपल में बना लॉकर. जो आज भी प्रयोग में लाया जाता है.

patna
डॉ. रामजी प्रसाद, प्रिंसिपल

आज में जस के तस है लॉकर की दशा
बता दें कि मेडिकल कॉलेज के सभी कैश और महत्वपूर्ण दस्तावेज लॉकर में रखा जाता है. प्रिंसिपल कक्ष में मौजूद कुर्सी के ठीक पीछे यह लॉकर बना हुआ है. आज भी इस लॉकर की हालत वैसी ही है जैसी 1925 में हुआ करती थी. पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉक्टर रामजी प्रसाद बताते हैं कि आज इस लॉकर में कैश नहीं रखा जाता है. लेकिन, सारे महत्वपूर्ण दस्तावेज जरूर रखे जाते हैं. इसमें अंग्रेजों के भी कई कागजात पड़े हुए हैं, जिन्हें फेंका नहीं गया है.

patna
प्रिंसिपल कक्ष में बना लॉकर

क्या है खासियत?
इस मेडिकल कॉलेज मे बने लॉकर की खासियत यह है कि

  • यह दिवाल में तीन फीट चौड़ी और चार फीट लंबी ह.
  • इसमें लोहे का दरवाजा है
  • साथ ही अंदर लकड़ी के खांचे बनाये गये हैं, जो दराज जैसे बने हैं
  • वह लकड़ी आज भी संरक्षित और सुरक्षित है

पटना: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच से आज पूरे प्रदेश के लोग लाभांवित हो रहे हैं. इस अस्पताल की स्थापना 25 फरवरी 1925 को हुई थी. यह अस्पताल अंग्रेजों के जमाने का है. आज जिसे हम पीएमसीएच के नाम से जानते हैं वह पहले प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता था. लेकिन, आजाद भारत में इसका नाम पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रख दिया गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

इस अस्पताल में 30 छात्रों का पहला बैच कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्थांतरित किया गया था. इस कॉलेज में अंग्रेजों की बनाई कई ऐसी चीजें हैं, जिसे कॉलेज प्रबंधन ने आज भी संभाल के रखा है. उसे धरोहर के रुप में संरक्षित रखा गया है. इन्हीं धरोहरों में से एक है प्रिंसिपल में बना लॉकर. जो आज भी प्रयोग में लाया जाता है.

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डॉ. रामजी प्रसाद, प्रिंसिपल

आज में जस के तस है लॉकर की दशा
बता दें कि मेडिकल कॉलेज के सभी कैश और महत्वपूर्ण दस्तावेज लॉकर में रखा जाता है. प्रिंसिपल कक्ष में मौजूद कुर्सी के ठीक पीछे यह लॉकर बना हुआ है. आज भी इस लॉकर की हालत वैसी ही है जैसी 1925 में हुआ करती थी. पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉक्टर रामजी प्रसाद बताते हैं कि आज इस लॉकर में कैश नहीं रखा जाता है. लेकिन, सारे महत्वपूर्ण दस्तावेज जरूर रखे जाते हैं. इसमें अंग्रेजों के भी कई कागजात पड़े हुए हैं, जिन्हें फेंका नहीं गया है.

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प्रिंसिपल कक्ष में बना लॉकर

क्या है खासियत?
इस मेडिकल कॉलेज मे बने लॉकर की खासियत यह है कि

  • यह दिवाल में तीन फीट चौड़ी और चार फीट लंबी ह.
  • इसमें लोहे का दरवाजा है
  • साथ ही अंदर लकड़ी के खांचे बनाये गये हैं, जो दराज जैसे बने हैं
  • वह लकड़ी आज भी संरक्षित और सुरक्षित है
Intro:पीएमसीएच में है अंग्रेजों का बनाया हुआ लॉकर,
लॉकर अंग्रेज अधिकारी रखते थे मेडिकल कॉलेज के कैश,
आज भी संरक्षित है वो लॉकर,
धरोहर के रूप में हो लॉकर...


Body:25 फरवरी 1925 को स्थापित पटना का पीएमसीएच जिसे पूर्व मे प्रींस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज पटना के नाम से जाना जाता था,लेकिन आजाद मुल्क मे अब इसका नाम पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल है,पहल पहल 30 छात्रो का पहला बैच कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्थांतरित किया गया था,
बहरहाल हम आज बात कर रहे है अंग्रेजों द्वारा बनाये गये कुछ ऐसी चिजो का जिसे आज भी हम सभी उसे धरोहर के रूप मे संरक्षित कर रहे है,उसमें से ही एक है तिजोरी जो अंग्रेजों का लॉकर हुआ करता था
मेडिकल कॉलेज के सभी कैश एवं महत्वपूर्ण दस्तावेज लॉकर मे रखा जाता है,यह लॉकर प्रींसपल कक्ष मे ठीक उसके कुर्सी के पिछे ही बनी हुई है
बहरहाल आज भी वह लॉकर वैसी ही हालत में जो 1925 मे हुआ करता था,हलांकी यह लॉकर आज भी प्रयोग मे लाया जाता है,पीएमसीएच के प्रींसपल डॉ रामजी प्रसाद की माने तो आज कैश तो नहीं रखा जाता है लेकिन कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जरूर रखा जाता है



Conclusion:अंग्रेजो के द्वारा इस मेडिकल कॉलेज मे बनाये गये लॉकर की खासीयत यह है की यह दिवाल में तीन फीट चौडा और चार फीट लंबा है,इसमें लोहे का दरवाजा और अंदर लकडी की खांचे बनाये गये है,जो दराज जैसे बने है
वह लकडी भी आज तक संरक्षित है


बाईट:--डॉ रामजी प्रसाद
प्रींसपल,पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल
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