पटना: सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच से आज पूरे प्रदेश के लोग लाभांवित हो रहे हैं. इस अस्पताल की स्थापना 25 फरवरी 1925 को हुई थी. यह अस्पताल अंग्रेजों के जमाने का है. आज जिसे हम पीएमसीएच के नाम से जानते हैं वह पहले प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता था. लेकिन, आजाद भारत में इसका नाम पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रख दिया गया.
इस अस्पताल में 30 छात्रों का पहला बैच कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से स्थांतरित किया गया था. इस कॉलेज में अंग्रेजों की बनाई कई ऐसी चीजें हैं, जिसे कॉलेज प्रबंधन ने आज भी संभाल के रखा है. उसे धरोहर के रुप में संरक्षित रखा गया है. इन्हीं धरोहरों में से एक है प्रिंसिपल में बना लॉकर. जो आज भी प्रयोग में लाया जाता है.
आज में जस के तस है लॉकर की दशा
बता दें कि मेडिकल कॉलेज के सभी कैश और महत्वपूर्ण दस्तावेज लॉकर में रखा जाता है. प्रिंसिपल कक्ष में मौजूद कुर्सी के ठीक पीछे यह लॉकर बना हुआ है. आज भी इस लॉकर की हालत वैसी ही है जैसी 1925 में हुआ करती थी. पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉक्टर रामजी प्रसाद बताते हैं कि आज इस लॉकर में कैश नहीं रखा जाता है. लेकिन, सारे महत्वपूर्ण दस्तावेज जरूर रखे जाते हैं. इसमें अंग्रेजों के भी कई कागजात पड़े हुए हैं, जिन्हें फेंका नहीं गया है.
क्या है खासियत?
इस मेडिकल कॉलेज मे बने लॉकर की खासियत यह है कि
- यह दिवाल में तीन फीट चौड़ी और चार फीट लंबी ह.
- इसमें लोहे का दरवाजा है
- साथ ही अंदर लकड़ी के खांचे बनाये गये हैं, जो दराज जैसे बने हैं
- वह लकड़ी आज भी संरक्षित और सुरक्षित है