ETV Bharat / state

Punpun River Adi Ganga: पुनपुन नदी को कहा जाता है आदि गंगा, जाने यहां पिंडदान का क्या है महत्व?

पितृ पक्ष मेला 2023 (Pitru Paksha Mela 2023) की शुरूआत हो गई है. पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए बिहार में देशभर से तीर्थ यात्री आ रहे हैं. अपने पूर्वजों की आत्मा के शांति के लिए लोग पुनपुन नदी के चट पर पिंड का तर्पण करते हैं. इस नदी को आदि गंगा भी कहते हैं.आगे पड़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 30, 2023, 10:40 AM IST

Updated : Sep 30, 2023, 10:45 AM IST

पुनपुन को कहा जाता है आदि गंगा

पटना: राजधानी पटना से सटे पुनपुन में पिंडदान करने के लिए तीर्थ यात्रियों का आना शुरू हो गया है. आदि गंगा के नाम मशहूर पुनपुन नदी के तट पर पिंड दान करने का खास महत्व है. पुराणों के अनुसार चावन्य ऋषि ने भगवान ब्रह्मदेव को कहा कि संसार के प्राणी कि जब मृत्यु हो जाएगी तो उसे मोक्ष कैसे मिलेगा. जिस पर भगवान ब्रह्मदेव ने उन्हें तपस्या करने की राह बताई. तब घने जंगल में चावन्य ऋषि तपस्या करने चले गए.

पितृ पक्ष मेला 2023
पितृ पक्ष मेला 2023

पढ़ें-Pitru Paksha 2023: रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों का गया में होगा पिंडदान, विदेशी निभाएंगे सदियों पुरानी परंपरा

पुनपुन नदी पर पिंडदान का महत्व: चावन्य ऋषि के पास तपस्या करने के लिए जल नहीं था. अथक प्रयास करने के बाद उन्हें जब जल कहीं से नहीं मिला तो उन्होंने अपने पसीने को इकट्ठा कर कमंडल में जमा करना शुरू कर दिया. जब पानी कमंडल में जमा होता था तो कमंडल अपने आप ही गिर जाता था. पानी गिरने से चावन्य ऋषि के मुख से पुनः पुनः शब्द का उद्गम हुआ. उनके कहे गए श्लोक में "पुनः पुनीते विख्यात: पृतनाम मोक्ष्दायम, अस्कल कुले आगच्छतम् पुनःपुनः" मतलब इस पुनपुन नदी पर जो भी मृत आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करेंगे उन्हें बैकुंठ धाम मिलेगा.

पुनपुन नदी में पिंड का तर्पण
पुनपुन नदी में पिंड का तर्पण

कैसे बनी आदि गंगा: भगवान ब्रह्मदेव प्रकट हुए और आकाश से एक जल स्रोत धरती पर आई, जिसका नाम पुनपुन नदी पड़ा तो भगवान ब्रह्मदेव ने कहा कि जब किसी भी मृत आत्मा की शांति के लिए इस पुनपुन नदी घाट पर पिंड का तर्पण करेंगे तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी. तभी से पुनपुन नदी को आदि गंगा कहा गया और ऐसा इसलिए क्योंकि यह आदिकाल से चली आ रही थी. एक भागीरथी गंगा है जिसे भागीरथ ने धरती पर लाया था.

पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान
पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान

भगवान श्री राम ने भी किया था पिंड का तर्पण: यह आदि गंगा है जो चावण्य ऋषि के प्रयास से आई है, इसलिए पुनपुन नदी का महत्व पिंडदान के लिए अधिक माना जाता है और कहा जाता है कि पुनपुन घाट पिंडदान का प्रथम द्वारा है. भगवान श्री राम ने भी अपने पिता दशरथ की आत्मा के शांति के लिए माता जानकी और लक्ष्मण के साथ इसी घाट पर पिंड का तर्पण किया था.

"अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मोक्ष की धरती गया से पहले पुनपुन घाट पर पिंड का तर्पण करते हैं. ऐसे में पुनपुन नदी को आदि गंगा भी कहते हैं. जिसकी चर्चा पद्म पुराण में की गई है."- रिंकू पांडे, पांडा समिति सचिव, पुनपुन घाट,पटना

पढ़ें- Pitru Paksha Mela 2023: गया में विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेला आज से शुरू, पहले दिन पटना और गया के इस जगह होता है पिंडदान

पढ़ें-Gaya Pitru Paksha Mela 3rd Day : गयाजी में तीसरे दिन प्रेतशिला पर पिंडदान का विधान, अकाल मौत से मरे पितरों का होता है तर्पण

पुनपुन को कहा जाता है आदि गंगा

पटना: राजधानी पटना से सटे पुनपुन में पिंडदान करने के लिए तीर्थ यात्रियों का आना शुरू हो गया है. आदि गंगा के नाम मशहूर पुनपुन नदी के तट पर पिंड दान करने का खास महत्व है. पुराणों के अनुसार चावन्य ऋषि ने भगवान ब्रह्मदेव को कहा कि संसार के प्राणी कि जब मृत्यु हो जाएगी तो उसे मोक्ष कैसे मिलेगा. जिस पर भगवान ब्रह्मदेव ने उन्हें तपस्या करने की राह बताई. तब घने जंगल में चावन्य ऋषि तपस्या करने चले गए.

पितृ पक्ष मेला 2023
पितृ पक्ष मेला 2023

पढ़ें-Pitru Paksha 2023: रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों का गया में होगा पिंडदान, विदेशी निभाएंगे सदियों पुरानी परंपरा

पुनपुन नदी पर पिंडदान का महत्व: चावन्य ऋषि के पास तपस्या करने के लिए जल नहीं था. अथक प्रयास करने के बाद उन्हें जब जल कहीं से नहीं मिला तो उन्होंने अपने पसीने को इकट्ठा कर कमंडल में जमा करना शुरू कर दिया. जब पानी कमंडल में जमा होता था तो कमंडल अपने आप ही गिर जाता था. पानी गिरने से चावन्य ऋषि के मुख से पुनः पुनः शब्द का उद्गम हुआ. उनके कहे गए श्लोक में "पुनः पुनीते विख्यात: पृतनाम मोक्ष्दायम, अस्कल कुले आगच्छतम् पुनःपुनः" मतलब इस पुनपुन नदी पर जो भी मृत आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करेंगे उन्हें बैकुंठ धाम मिलेगा.

पुनपुन नदी में पिंड का तर्पण
पुनपुन नदी में पिंड का तर्पण

कैसे बनी आदि गंगा: भगवान ब्रह्मदेव प्रकट हुए और आकाश से एक जल स्रोत धरती पर आई, जिसका नाम पुनपुन नदी पड़ा तो भगवान ब्रह्मदेव ने कहा कि जब किसी भी मृत आत्मा की शांति के लिए इस पुनपुन नदी घाट पर पिंड का तर्पण करेंगे तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी. तभी से पुनपुन नदी को आदि गंगा कहा गया और ऐसा इसलिए क्योंकि यह आदिकाल से चली आ रही थी. एक भागीरथी गंगा है जिसे भागीरथ ने धरती पर लाया था.

पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान
पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान

भगवान श्री राम ने भी किया था पिंड का तर्पण: यह आदि गंगा है जो चावण्य ऋषि के प्रयास से आई है, इसलिए पुनपुन नदी का महत्व पिंडदान के लिए अधिक माना जाता है और कहा जाता है कि पुनपुन घाट पिंडदान का प्रथम द्वारा है. भगवान श्री राम ने भी अपने पिता दशरथ की आत्मा के शांति के लिए माता जानकी और लक्ष्मण के साथ इसी घाट पर पिंड का तर्पण किया था.

"अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मोक्ष की धरती गया से पहले पुनपुन घाट पर पिंड का तर्पण करते हैं. ऐसे में पुनपुन नदी को आदि गंगा भी कहते हैं. जिसकी चर्चा पद्म पुराण में की गई है."- रिंकू पांडे, पांडा समिति सचिव, पुनपुन घाट,पटना

पढ़ें- Pitru Paksha Mela 2023: गया में विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेला आज से शुरू, पहले दिन पटना और गया के इस जगह होता है पिंडदान

पढ़ें-Gaya Pitru Paksha Mela 3rd Day : गयाजी में तीसरे दिन प्रेतशिला पर पिंडदान का विधान, अकाल मौत से मरे पितरों का होता है तर्पण

Last Updated : Sep 30, 2023, 10:45 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.