पटना: होली का त्योहार (Holi Festival 2022) हमारे देश में प्राचीन काल से मनाया जाता है. क्षेत्र विशेष की होली की अलग पहचान भी है. वृंदावन की होली हो या फिर अयोध्या की होली हो, फाग गीत के जरिए होली की जीवंत तस्वीर सामने आ जाती हैं. राजधानी पटना में भी लोग होली के मौके पर हर साल पारंपरिक फाग गीत (Holi Faag Song) का आनंद लेते हैं.
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आधुनिकता के दौर में फाग गायन: आधुनिकता के दौर में फाग गाने वालों की संख्या में कमी आई है. हालांकि आज की तारीख में भी फाग गाने वाले मौजूद हैं. राजधानी पटना में लोगों ने पारंपरिक गीतों के साथ होली का त्योहार मनाया है. होली की परंपरा इतनी पुरानी है कि भगवान कृष्ण की वृंदावन में होली खेली थी और तब से वृंदावन में होली की परंपरा अनवरत जारी है. गीतों के जरिए भी वृंदावन की होली को लोग आज महसूस कर सकते हैं.
होली गीतों को गाकर झूम रहे लोग: वहीं, अयोध्या में भगवान राम ने भी होली खेली थी और फाग गीत के जरिए अयोध्या की होली को अनुभव किया जा सकता है. बिहार में भी कई जगहों पर ढोल और झाल के साथ पारंपरिक होली गीतों को गाया जा रहा है. आमलोगों का मानना है कि गीत-संगीत ही होली त्योहार का श्रृंगार है. गीत-संगीत के सहारे ही होली का रंग परवान पर पहुंचता है. जगह-जगह बज रहे होली की गीत से जहां त्योहार की समां अभी से बंधने लगी है.
फाग गीतों के साथ होली: भोजपुरी और ब्रज भाषा में गाए जाने वाले फाग गीतों (Faag Geet) में कृष्ण की ब्रज की गोपियों के साथ होली खेलने के का वर्णन तो होता ही है. साथ ही साथ प्रकृति का वर्णन भी होता है. होली के आसपास आम के पेड़ों में बौर आने लगती है. महुआ के पेड़ों पर महुआ के फूल निकलने लगते हैं. जौव और गेहूं की फसल में बालिया तैयार होने लगती है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार फागुन महीना साल का अंतिम महीना है.
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