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VIDEO: पटना में पारंपरिक फाग गीत पर खूब झूमे श्रोता, आधुनिकता की चकाचौंध में गुम हो रहे फाग

लोक पर्व होली की धूम पूरे बिहार में है. लोग बड़े ही उत्साह के साथ होली का त्योहार मना रहे हैं. पारंपरिक होली फाग गीत (Holi Faag Song) उत्साह को दोगुना कर देता है. राजधानी पटना में भी फाग गाने वाले लोग मौजूद हैं. उनके गीत और फाग को सुनकर लोग मंत्र मग्ध हो जाते हैं.

होली फाग गीत
होली फाग गीत
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Published : Mar 19, 2022, 9:00 PM IST

Updated : Mar 19, 2022, 10:23 PM IST

पटना: होली का त्योहार (Holi Festival 2022) हमारे देश में प्राचीन काल से मनाया जाता है. क्षेत्र विशेष की होली की अलग पहचान भी है. वृंदावन की होली हो या फिर अयोध्या की होली हो, फाग गीत के जरिए होली की जीवंत तस्वीर सामने आ जाती हैं. राजधानी पटना में भी लोग होली के मौके पर हर साल पारंपरिक फाग गीत (Holi Faag Song) का आनंद लेते हैं.

ये भी पढ़ें: रोहतास: भोजपुरी के दिग्गजों ने ETV भारत पर बांधा समा, सुनाए गीत

आधुनिकता के दौर में फाग गायन: आधुनिकता के दौर में फाग गाने वालों की संख्या में कमी आई है. हालांकि आज की तारीख में भी फाग गाने वाले मौजूद हैं. राजधानी पटना में लोगों ने पारंपरिक गीतों के साथ होली का त्योहार मनाया है. होली की परंपरा इतनी पुरानी है कि भगवान कृष्ण की वृंदावन में होली खेली थी और तब से वृंदावन में होली की परंपरा अनवरत जारी है. गीतों के जरिए भी वृंदावन की होली को लोग आज महसूस कर सकते हैं.

होली गीतों को गाकर झूम रहे लोग: वहीं, अयोध्या में भगवान राम ने भी होली खेली थी और फाग गीत के जरिए अयोध्या की होली को अनुभव किया जा सकता है. बिहार में भी कई जगहों पर ढोल और झाल के साथ पारंपरिक होली गीतों को गाया जा रहा है. आमलोगों का मानना है कि गीत-संगीत ही होली त्योहार का श्रृंगार है. गीत-संगीत के सहारे ही होली का रंग परवान पर पहुंचता है. जगह-जगह बज रहे होली की गीत से जहां त्योहार की समां अभी से बंधने लगी है.

फाग गीतों के साथ होली: भोजपुरी और ब्रज भाषा में गाए जाने वाले फाग गीतों (Faag Geet) में कृष्ण की ब्रज की गोपियों के साथ होली खेलने के का वर्णन तो होता ही है. साथ ही साथ प्रकृति का वर्णन भी होता है. होली के आसपास आम के पेड़ों में बौर आने लगती है. महुआ के पेड़ों पर महुआ के फूल निकलने लगते हैं. जौव और गेहूं की फसल में बालिया तैयार होने लगती है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार फागुन महीना साल का अंतिम महीना है.

ये भी पढ़ें: होली के रंग में रंगे पटनावासी, कुर्ता फाड़ के साथ मटका फोड़ होली का भी आयोजन

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पटना: होली का त्योहार (Holi Festival 2022) हमारे देश में प्राचीन काल से मनाया जाता है. क्षेत्र विशेष की होली की अलग पहचान भी है. वृंदावन की होली हो या फिर अयोध्या की होली हो, फाग गीत के जरिए होली की जीवंत तस्वीर सामने आ जाती हैं. राजधानी पटना में भी लोग होली के मौके पर हर साल पारंपरिक फाग गीत (Holi Faag Song) का आनंद लेते हैं.

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आधुनिकता के दौर में फाग गायन: आधुनिकता के दौर में फाग गाने वालों की संख्या में कमी आई है. हालांकि आज की तारीख में भी फाग गाने वाले मौजूद हैं. राजधानी पटना में लोगों ने पारंपरिक गीतों के साथ होली का त्योहार मनाया है. होली की परंपरा इतनी पुरानी है कि भगवान कृष्ण की वृंदावन में होली खेली थी और तब से वृंदावन में होली की परंपरा अनवरत जारी है. गीतों के जरिए भी वृंदावन की होली को लोग आज महसूस कर सकते हैं.

होली गीतों को गाकर झूम रहे लोग: वहीं, अयोध्या में भगवान राम ने भी होली खेली थी और फाग गीत के जरिए अयोध्या की होली को अनुभव किया जा सकता है. बिहार में भी कई जगहों पर ढोल और झाल के साथ पारंपरिक होली गीतों को गाया जा रहा है. आमलोगों का मानना है कि गीत-संगीत ही होली त्योहार का श्रृंगार है. गीत-संगीत के सहारे ही होली का रंग परवान पर पहुंचता है. जगह-जगह बज रहे होली की गीत से जहां त्योहार की समां अभी से बंधने लगी है.

फाग गीतों के साथ होली: भोजपुरी और ब्रज भाषा में गाए जाने वाले फाग गीतों (Faag Geet) में कृष्ण की ब्रज की गोपियों के साथ होली खेलने के का वर्णन तो होता ही है. साथ ही साथ प्रकृति का वर्णन भी होता है. होली के आसपास आम के पेड़ों में बौर आने लगती है. महुआ के पेड़ों पर महुआ के फूल निकलने लगते हैं. जौव और गेहूं की फसल में बालिया तैयार होने लगती है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार फागुन महीना साल का अंतिम महीना है.

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Last Updated : Mar 19, 2022, 10:23 PM IST
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