पटना: आजादी के 73 साल बाद भी बुनकरों की हालत नहीं सुधरी है. बुनकरों के कल्याण के लिए सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना, पावर लूम सब्सिडी योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, हथकरघा संवर्धन सहायता और जोशना जैसी कई योजनाएं शुरू की. इसके बाद भी सच्चाई यह है कि बुनकरों की हालात में आज तक कोई सुधार नहीं हुआ है. राजधानी पटना से करीब 53 किलोमीटर दूर स्थित सिगोडी गांव में 4 हजार बुनकर रहते हैं. यहां सतरंगी चादर, लूंगी, गमछी और बेडशीट बनाये जाते हैं. यहां के बुनकरों की हालत यह है कि साल भर काम नहीं मिलता.
सिगोडी गांव के तकरीबन सभी घर में हैंडलूम का काम चलता है. आजादी के 73 साल बाद भी यहां के बुनकरों की हालात खराब है. बुनकरों के अनुसार सरकार बुनकर कल्याण के तहत विकास और प्रोत्साहन की बात करती है, लेकिन तमाम दावे यहां फेल साबित हो रहे हैं. ये किसी तरह अपने पुश्तैनी काम को करते आ रहे हैं. सरकारी मदद को लेकर लगातार प्रयासों के बावजूद बुनकरों की रोजी-रोटी पर आफत आ गई है.
पटना के खादी मॉल में नहीं रखा जाता यहां का कपड़ा
काम नहीं चलने के कारण कई बुनकर अच्छी कमाई के लिए बिहार से बाहर पलायन कर गए हैं. कुछ मजबूरी में अपने गांव में किसी तरह रोजगार चला रहे हैं. बताया जाता है कि सिगोड़ी से लूंगी और गमछी बनाकर पूरे बिहार में भेजा जाता है. अब यहां के बुनकरों को बाजार नहीं मिल रहा है. पहले सरकार द्वारा काम दिया जाता था, लेकिन बाद के दिनों में सरकारी उदासीनता के कारण यह भी बंद हो गया. अब ये लोग जैसे-तैसे अपने पुश्तैनी काम को जारी रखे हुए हैं. बुनकरों ने बताया कि पटना के खादी मॉल में यहां से भेजे गए कपड़े को नहीं रखा जाता है. इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक बताया जाता है. हमलोग रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए सचिवालय के चक्कर काट-काटकर परेशान हो गए, लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ.
अब हजारों बुनकरों के सामने अपने रोजगार को बचाने की चिंता बढ़ गई है. सरकार द्वारा चलाए जा रहे बुनकर कल्याण योजना से बिचौलियों के कारण इन्हें लाभ नहीं मिल रहा. ऐसे में जरूरत है कि सरकार इन बुनकरों की समस्या को गंभीरता से ले.