पटनाः बिहार में इस साल मानसून (Monsoon In Bihar) के दस्तक के साथ ही लगातार बारिश हो रही है. बारिश के साथ ही किसानों ने धान की खेती शुरू की लेकिन कोरोना (Corona) के कहर के साथ ही महंगाई ने किसानों पर दोहरा वार किया है. यहीं कारण है कि इस बार किसान धान की फसल लगाने से पहले काफी सोच-विचार कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर पटना से सटे धनरूआ में किसानों से बातचीत की.
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डीजल के दाम बढ़ने से जुताई हुई महंगी
कोरोना काल में महंगाई की मार झेलते हुए किसान धान उगाने के लिए बीज बोने के काम में लगे हुए हैं. किसान इस समय महंगे डीजल, खाद और बीज खरीदकर खेती करने को मजबूर हैं. महंगाई की मार झेल रहे किसानों की मानें तो इस बार आर्थिक तंगी से जूझते हुए उन्हें खेती करनी पड़ रही है.
पीड़ित किसान बताते हैं कि कभी ₹60 रुपये डीजल मिलता था और ₹700 रुपये में एक बीघे खेत की जुताई हो जाती थी. लेकिन इस बार डीजल 100 रुपये हो चुका है और ट्रैक्टर से खेत जुताई कराने में कम से कम 1400 रुपये लगते हैं.
क्या कहते हैं किसान?
किसान राज किशोर प्रसाद बताते हैं कि किसानी का काम करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. नागेंद्र सिंह बताते हैं कि किसान तो शुरू से ही परेशान हैं. इस आपदा में दो दोगुनी परेशानी है. किसान के पास तो वन वे रास्ता है, उसी पर उसे चलना है.
वहीं धनरूआ के बडीहा गांव के रहने वाले निशिकांत बताते हैं कि इस बार महंगाई बहुत बढ़ गयी है. पिछली बार खेत की जुताई 500 रुपये बीघा हो रही थी. लेकिन इस बार 1400 से 1500 रुपये में एक बीघे खेत की जुताई हो पा रही है. वे कहते हैं कि इस बार तो यूरिया खाद का दाम भी बढ़ा और वजन 50 किलोग्राम से घटकर 45 किलोग्राम हो गया है.