पटना: देशभर में बीते 1 सितंबर से ऑनलाइन रेल टिकट लेने पर सर्विस चार्ज में इजाफा किया गया है. इसको लेकर रेल यात्रियों में खासी नाराजगी है. लोगों ने कहा है कि पहले सरकार खुद ही डिजिटल ट्रांजेक्शन करने को कहती है और फिर चार्ज ज्यादा लगाती है. इस तरह से भारत कैसे डिजिटल होगा?
पहले ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर 10 रुपये तक सर्विस चार्ज लगता था. लेकिन, 1 सितंबर से स्लीपर में रिजर्वेशन के लिए प्रति व्यक्ति अतिरिक्त 15 रुपये और एसी में रिजर्वेशन के लिए प्रति व्यक्ति 30 रुपये अधिक भुगतान करने होंगे. सर्विस चार्ज में हुए इस फेर-बदल का असर पटना जंक्शन पर साफ देखने को मिल रहा है.
ऑनलाइन खरीदारों की संख्या कम होगी
पहले जहां पटना जंक्शन के रिजर्वेशन काउंटर पर मुश्किल से ही लोग मिल पाते थे अब वहीं, काउंटर टिकट लेने वालों की भी संख्या बढ़ने लगी है. यात्रियों का कहना है कि भले थोड़ा टाइम जाएगा लेकिन, फालतू पैसा क्यों दें. यह नीति गलत है. इससे ऑनलाइन टिकट खरीदने वालों की संख्या में कमी जरूर आएगी.
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'सर्विस चार्ज में इजाफा गलत'
बता दें कि टिकट खिड़की की भीड़ कम करने के लिए रेलवे कई प्रकार की ऑनलाइन सुविधाएं यात्रियों को मुहैया करा रहा है. ताकि लोग टिकट खिड़की पर भीड़ ना लगाएं और बैठे -बैठे मोबाइल से टिकट ले ले. लेकिन, सरकार लगातार ऑनलाइन टिकट के सर्विस चार्ज में वृद्धि कर रही है. जिससे लोग काफी गुस्साए हुए हैं. उनका कहना है कि सर्विस चार्ज में इजाफा ठीक नहीं है. अगर सरकार इतना ज्यादा सर्विस चार्ज लेगी तो फिर गरीब आदमी ऑनलाइन टिकट कैसे बुक कर पाएंगे? भारतीय रेल गरीब-गुरबा की सवारी मानी जाती है. ऐसे में यह फैसला गरीब यात्रियों के ऊपर बोझ है.