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अदालत की टिप्पणी- 'लंबे समय तक निलंबित नहीं रखे जाएंगे अफसर, जांच में पूरी नहीं हुई तो रद्द होगा निलंबन' - ईटीवी न्यूज

पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी निलंबित अधिकारी को लंबे समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता है. लंबे वक्त तक जांच पूरी नहीं होती है तो उनका निलंबन रद्द किया जाएगा. हाईकोर्ट ने बक्सर जिला के राजपुर ब्लॉक में अंचलाधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना हाईकोर्ट
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Published : Jan 30, 2022, 5:05 PM IST

पटनाः एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए पटना हाईकोर्ट (Patna High Court News) ने कहा है कि किसी निलंबित अधिकारी को लंबे अवधि के लिए निलंबित नहीं रखा जा सकता (Officers Will Not be Kept Suspended for Long Time) है. निलंबित अंचलाधिकारी राकेश कुमार की याचिका पर जस्टिस पीबी वैजंथ्री ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश दत्त वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए निर्णय के अनुसार यदि लंबे अवधि तक निलंबित कर्मी के विरुद्ध जांच पूरी नहीं की जाती है, तो निलंबन को रद्द करना होगा. याचिकाकर्ता बक्सर जिला के राजपुर ब्लॉक में अंचलाधिकारी के पद पर तैनात था.

यह भी पढ़ें- BSWC में चेयरपर्सन की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट में दोबारा दायर हुई जनहित याचिका

याचिकाकर्ता को 7 अक्टूबर, 2016 को ट्रैप केस में गिरफ्तार किए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था. न्यायिक हिरासत से जमानत पर 23 मार्च 2017 को रिहा होने के बाद अपना योगदान पटना के प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यालय में 25 मार्च 2017 को दिया था. लेकिन निलंबन रद्द नहीं किया गया था. याचिकाकर्ता को 16 दिसंबर, 2016 को निलंबित किया गया था, लेकिन जांच पूरी नहीं की गई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश दत्त वर्मा ने आगे बताया कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा दिये गए निर्णय के आलोक में याचिकाकर्ता के निलंबन की समीक्षा करने का आदेश संबंधित अधिकारी को दिया है.

कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को छह महीने की अधिकतम समय सीमा के भीतर शुरू किए गए अनुशासनात्मक कार्यवाही को जल्द पूरा करने का आदेश दिया. साथ ही साथ कोर्ट ने अनुशासनात्मक अधिकारी को इस विषय की भी जांच करने को कहा है कि क्या याचिकाकर्ता बढ़े हुए जीवन निर्वाह भत्ता के लिए भी हकदार है या नहीं. इस विषय में याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार किया जाएगा.

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पटनाः एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए पटना हाईकोर्ट (Patna High Court News) ने कहा है कि किसी निलंबित अधिकारी को लंबे अवधि के लिए निलंबित नहीं रखा जा सकता (Officers Will Not be Kept Suspended for Long Time) है. निलंबित अंचलाधिकारी राकेश कुमार की याचिका पर जस्टिस पीबी वैजंथ्री ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश दत्त वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए निर्णय के अनुसार यदि लंबे अवधि तक निलंबित कर्मी के विरुद्ध जांच पूरी नहीं की जाती है, तो निलंबन को रद्द करना होगा. याचिकाकर्ता बक्सर जिला के राजपुर ब्लॉक में अंचलाधिकारी के पद पर तैनात था.

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याचिकाकर्ता को 7 अक्टूबर, 2016 को ट्रैप केस में गिरफ्तार किए जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था. न्यायिक हिरासत से जमानत पर 23 मार्च 2017 को रिहा होने के बाद अपना योगदान पटना के प्रमंडलीय आयुक्त के कार्यालय में 25 मार्च 2017 को दिया था. लेकिन निलंबन रद्द नहीं किया गया था. याचिकाकर्ता को 16 दिसंबर, 2016 को निलंबित किया गया था, लेकिन जांच पूरी नहीं की गई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश दत्त वर्मा ने आगे बताया कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा दिये गए निर्णय के आलोक में याचिकाकर्ता के निलंबन की समीक्षा करने का आदेश संबंधित अधिकारी को दिया है.

कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को छह महीने की अधिकतम समय सीमा के भीतर शुरू किए गए अनुशासनात्मक कार्यवाही को जल्द पूरा करने का आदेश दिया. साथ ही साथ कोर्ट ने अनुशासनात्मक अधिकारी को इस विषय की भी जांच करने को कहा है कि क्या याचिकाकर्ता बढ़े हुए जीवन निर्वाह भत्ता के लिए भी हकदार है या नहीं. इस विषय में याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार किया जाएगा.

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