पटना: राजधानी पटना के होटल मौर्य में बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (Bihar Orthopedic Association) और मेडिवर्षल इंस्टीट्यूट आफ ऑर्थोपेडिक्स साइंसेज की ओर से घुटनों और जोड़ों की हड्डियों में विकृतियों के विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी (Minister Vijay Kumar Choudhary) शामिल हुए. वहीं विशिष्ट अतिथि के तौर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सहजानंद प्रसाद सिंह शामिल हुए. कार्यक्रम में चिकित्सकों ने नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के अपने अनुभव और मरीजों को होने वाली समस्याओं पर विस्तार से चर्चा किया.
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राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन: कार्यक्रम को लेकर बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि यह नी कोर्स न सिर्फ पटना और बिहार बल्कि देश के स्तर पर काफी प्रभाव कारी कार्यक्रम साबित होगा. उन्होंने कहा कि घुटनों की तकलीफ से जो लोग परेशान हैं, उनके लिए यहां से जो विचार निकल कर सामने आएंगे वह काफी लाभदायक साबित होंगे. उन्होंने कहा की यहां देशभर से जाने-माने ऑर्थोपेडिक सर्जन और फिजीशियन पहुंचे हुए हैं, जो अपने अनुभव को साझा कर रहे हैं और यह यहां के चिकित्सकों के अनुभव को और बढ़ाएगा.
"बहुत ही सफल कार्यक्रम था. मुझे आकर प्रसन्नता हुई. इस कार्यक्रम में घुटना प्रत्यारोपण से संबंधित जोड़ों के दर्द को लेकर क्या कुछ नवीनतम तकनीक आई है और किस स्थिति के मरीज को किस प्रकार से सर्जरी करने की आवश्यकता होती है, इन सब बातों पर विस्तार से चर्चा हो रही है. यह कार्यक्रम ऑर्थोपेडिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. जिससे प्रदेश भर के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा."- विजय कुमार चौधरी, वित्त मंत्री, बिहार सरकार
मेडिकल साइंस प्रतिदिन कर रहा इवॉल्व: मेडिवर्षल इंस्टिट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक साइंसेज के निदेशक डॉ निशिकांत कुमार ने बताया कि मेडिकल साइंस प्रतिदिन इवॉल्व कर रहा है. प्रतिदिन इलाज के नवीनतम तकनीक आ रहे हैं और इन तकनीकों से अवगत रहना चिकित्सकों की जिम्मेदारी है. इलाज की प्रक्रिया संबंधित जो कुछ पुरानी भ्रांतियां हैं उसे भी दूर करने की आवश्यकता है.
"यहां एकेडमिक सेशन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें उन लोगों की जो कुछ अनुभव हैं. विभिन्न प्रकार के ऑर्थोपेडिक से जुड़े केसेस को देखने का उस पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. चर्चा में जो कुछ निकल कर आएगा, उसके बाद ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा अपना एक जर्नल प्रकाशित किया जाएगा. जिसमें इन सब तमाम रिसर्च को पब्लिश किया जाएगा, जो ऑर्थोपेडिक चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे नौजवान चिकित्सकों और देश भर के ऑर्थोपेडिक चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों के लिए ज्ञान वर्धन का काम करेगा."- डॉ निशीकांत कुमार, आर्थोपेडिक चिकित्सक
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