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पटना को स्मार्ट बनाने के लिए अब स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग बढ़ाएंगे TOILETS, तैयारी में जुटा नगर निगम

पटना की सड़कों पर अगर आपको टॉयलेट जाना है तो परेशान न हों. यहां के टॉयलेट्स अब गूगल पर सर्च किए जा सकते हैं. साथ ही इन्‍हें फ्री भी कर दिया गया है. पटना नगर निगम ने 75 वार्डों में 500 से अधिक शौचालय का निर्माण करवाया है.

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Published : Feb 2, 2021, 3:11 PM IST

Updated : Feb 3, 2021, 12:28 PM IST

पटनाः स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले नगर निगम पटना को स्वच्छ और सुन्दर बनाने में जुटा है. इसके लिए निगम प्रशासन के तरफ से शहर में 500 से अधिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है. जो स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. इन सभी टॉयलेट्स की साफ सफाई और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल को दी गई है.

दरअसल, पिछली बार पटना स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में फिसड्डी हो गया था. इसका मुख्य कारण शौचालय की गुणवत्ता में कमी थी. निगम प्रशासन किसी भी शौचालय की देखरेख नहीं करता थी. जिसकी वजह से शौचालय काफी गंदे रहते थे.

नगर निगम, पटना
नगर निगम, पटना

नहीं होता था शौचालय का मेंनटेनेंस
निगम के जरिए बनाये गये शौचालयों की गुणवत्ता की बात करें तो आर्किटेक्ट का मानना है कि निगम ने जितने भी शौचालय भवनों का निर्माण किया है वो ठीक हैं. लेकिन किसी भी शौचालय का मेंनटेनेंस नहीं होता है, जब अधिकारी शौचालय का निरिक्षण करने आते हैं तो साफ सफाई करा दी जाती है.

सामुदायिक शौचालय
सामुदायिक शौचालय

सुलभ इंटरनेशनल को सफाई की जिम्मेदारी
नगर निगम इस बार शौचालयों की सफाई का पूरा ख्याल रख रहा है. 100 से अधिक शौचालय की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल को दी गई है. सुलभ शौचालय जो लोग उपयोग करते उनसे 5 रुपये भी लिया जाता है. ताकी शौचालय की सफाई करवाई जा सके. वहीं, बाकी सभी शौचालय को निगम अपने मंद से खुद सफाई कराता है. जो लोग इन शौचालय का उपयोग करते है. उनसे पैसा भी नहीं लिया जाता है.

'पटना नगर निगम ने सभी मॉड्युलर शौचालय और सामुदायिक शौचालय की साफ सफाई की जिम्मेदारी सुलभ शौचालय को दे दी है. हम लोग हर दिन सुबह शाम शौचालय की सफाई करवाते हैं'- सुजीत कुमार, सुलभ शौचालय कर्मी

गंदे पड़े  टॉयलेट
गंदे पड़े टॉयलेट

पटना नगर निगम क्षेत्र में निगम ने तीन तरह के शौचालय बनावाए हैं. सुलभ शौचालय, सामुदायिक शौचालय और मॉड्यूलर शौचालय. इनकी संख्या की बात की जाये तो सुलभ शौचालय की संख्या 100 है. यहां लोगों से पैसे लेकर शौच करने दिया जाता है. तो वहीं सामुदायिक शौचालय की संख्या 170 से अधिक है. मॉड्यूलर शौचालय की संख्या 200 है. पटना में मॉड्यूलर टॉयलेट्स का निर्माण दो वर्ष पहले किया गया था. लेकिन इसमें देखरेख का अभाव था.

एक नजर में सारी जानकारी
एक नजर में सारी जानकारी

ये भी पढ़ेंः बच्चे बोले- स्कूल के क्लास को बहुत कर रहे हैं मिस, ऑनलाइन में अच्छे से नहीं हो पाती पढ़ाई

पटना में स्टील युक्त 200 मॉड्युलर शौचालय
200 से अधिक शौचालय का टाटा स्टील कंपनी के माध्यम से स्टील युक्त मॉड्युलर शौचालय का निर्माण करवाया गया था. ताकि लोग सड़कों पर गंदगी ना फैलाएं. लेकिन रखरखाव के अभाव में सभी शौचालय की फ्लश, सीट, नल वगैरह गायब हो जाने और पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण वे कारगर नहीं हो पाया था. अब रेनोवेशन और संचालन की व्यवस्था होने के बाद उन्‍हें आम जन के उपयोग लिए फिर चालू कर दिया गया है.

देखें रिपोर्ट

'इन दिनों पटना नगर निगम में सभी शौचालय की सफाई की जा रही है. गुणवत्ता की बात करें तो सफाई के मामले में इन दिनों निगम की ओर से अच्छी पहल की जा रही है पानी की भी व्यवस्था अब सभी शौचालय में रह रहती है'- रविन्द्र कुमार, पटनावासी

वहीं शौचालय को लेकर निगम प्रशासन का कहना है- हमारी तरफ से शौचालय की गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाता है. अगर कोई संवेदक द्वारा गुणवत्ता में कमी पाई जाती है तो उस पर निगम प्रशासन कर्रवाई भी करता है. क्योंकि निगम द्वारा बनाए गए सभी शौचालय का बजट काफी अधिक है.

मॉड्यूलर शौचालय
मॉड्यूलर शौचालय

'मॉड्यूलर शौचालय की बात करें तो एक शौचालय को बनाने में निगम द्वारा 10 लाख से अधिक रुपये खर्च किए गए हैं यानी 200 मॉडलों शौचालय के निर्माण कराने में निगम को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े हैं. वहीं, सामुदायिक शौचालय की बात करें तो 15 लाख रुपये खर्च किए गए हैं'- इंद्रदीप चंद्रवंशी, सशक्त स्थाई समिति सदस्य, पीएमसी

इंद्रदीप चंद्रवंशी, सशक्त स्थाई समिति सदस्य, पीएमसी
इंद्रदीप चंद्रवंशी, सशक्त स्थाई समिति सदस्य, पीएमसी

ये भी पढ़ेंः जनहित में जारी: दुर्घटना से रखनी है दूरी, तो हेलमेट है बेहद जरूरी

शौचालय भवनों के रखरखाव का अभाव
वहीं, निगम द्वारा बनाए गए सभी शौचालय की गुणवत्ता को लेकर जब सिविल इंजीनियर अभय राणा से बात की गई तो उनका बताया कि भवन निर्माण में सरकार और निगम प्रशासन गुणवत्ता का तो पूरा ख्याल रखते हैं. लेकिन उन भवनों के रखरखाव का अभाव साफ तौर पर दिखाई देता है. क्योंकि भवनों का मेंटेनेंस इनके द्वारा नहीं किया जाता. जब कोई अधिकारी इन भवनों के निरीक्षण के लिए आते हैं तो सफाईकर्मी साफ सफाई कर देते हैं.

'शौचालय की सफाई की बात करें तो अभी स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर सर्वे चल रहा है. इसलिए निगम द्वारा सभी शौचालय की सफाई ठीक से की जा रही है. लेकिन जैसे ही सर्वेक्षण समाप्त होगा फिर शौचालय उसी स्थिति में पहुंच जाएगा-' अभय राणा, सिविल इंजीनियर

शौचालय की पहचान करना हुआ आसान
आपको बता दें कि पटना नगर निगम ने सभी शौचालयों की दावारों पर नीले रंग करा दिए हैं. इससे आम जन के लिए नजदीकी शौचालय की पहचान करना आसान हो गया है. अगर स्वच्छता सर्वेक्षण के सर्वे के बाद भी ये देख रेख इसी तरह जारी रही तो लोगों को शहर के अंदर टॉयलेट्स के लिए इधर उधर भटकना नहीं पडे़गा और साथ ही शहर में सफाई भी अच्छी रहेगी.

पटनाः स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले नगर निगम पटना को स्वच्छ और सुन्दर बनाने में जुटा है. इसके लिए निगम प्रशासन के तरफ से शहर में 500 से अधिक शौचालय का निर्माण करवाया गया है. जो स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. इन सभी टॉयलेट्स की साफ सफाई और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल को दी गई है.

दरअसल, पिछली बार पटना स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में फिसड्डी हो गया था. इसका मुख्य कारण शौचालय की गुणवत्ता में कमी थी. निगम प्रशासन किसी भी शौचालय की देखरेख नहीं करता थी. जिसकी वजह से शौचालय काफी गंदे रहते थे.

नगर निगम, पटना
नगर निगम, पटना

नहीं होता था शौचालय का मेंनटेनेंस
निगम के जरिए बनाये गये शौचालयों की गुणवत्ता की बात करें तो आर्किटेक्ट का मानना है कि निगम ने जितने भी शौचालय भवनों का निर्माण किया है वो ठीक हैं. लेकिन किसी भी शौचालय का मेंनटेनेंस नहीं होता है, जब अधिकारी शौचालय का निरिक्षण करने आते हैं तो साफ सफाई करा दी जाती है.

सामुदायिक शौचालय
सामुदायिक शौचालय

सुलभ इंटरनेशनल को सफाई की जिम्मेदारी
नगर निगम इस बार शौचालयों की सफाई का पूरा ख्याल रख रहा है. 100 से अधिक शौचालय की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल को दी गई है. सुलभ शौचालय जो लोग उपयोग करते उनसे 5 रुपये भी लिया जाता है. ताकी शौचालय की सफाई करवाई जा सके. वहीं, बाकी सभी शौचालय को निगम अपने मंद से खुद सफाई कराता है. जो लोग इन शौचालय का उपयोग करते है. उनसे पैसा भी नहीं लिया जाता है.

'पटना नगर निगम ने सभी मॉड्युलर शौचालय और सामुदायिक शौचालय की साफ सफाई की जिम्मेदारी सुलभ शौचालय को दे दी है. हम लोग हर दिन सुबह शाम शौचालय की सफाई करवाते हैं'- सुजीत कुमार, सुलभ शौचालय कर्मी

गंदे पड़े  टॉयलेट
गंदे पड़े टॉयलेट

पटना नगर निगम क्षेत्र में निगम ने तीन तरह के शौचालय बनावाए हैं. सुलभ शौचालय, सामुदायिक शौचालय और मॉड्यूलर शौचालय. इनकी संख्या की बात की जाये तो सुलभ शौचालय की संख्या 100 है. यहां लोगों से पैसे लेकर शौच करने दिया जाता है. तो वहीं सामुदायिक शौचालय की संख्या 170 से अधिक है. मॉड्यूलर शौचालय की संख्या 200 है. पटना में मॉड्यूलर टॉयलेट्स का निर्माण दो वर्ष पहले किया गया था. लेकिन इसमें देखरेख का अभाव था.

एक नजर में सारी जानकारी
एक नजर में सारी जानकारी

ये भी पढ़ेंः बच्चे बोले- स्कूल के क्लास को बहुत कर रहे हैं मिस, ऑनलाइन में अच्छे से नहीं हो पाती पढ़ाई

पटना में स्टील युक्त 200 मॉड्युलर शौचालय
200 से अधिक शौचालय का टाटा स्टील कंपनी के माध्यम से स्टील युक्त मॉड्युलर शौचालय का निर्माण करवाया गया था. ताकि लोग सड़कों पर गंदगी ना फैलाएं. लेकिन रखरखाव के अभाव में सभी शौचालय की फ्लश, सीट, नल वगैरह गायब हो जाने और पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण वे कारगर नहीं हो पाया था. अब रेनोवेशन और संचालन की व्यवस्था होने के बाद उन्‍हें आम जन के उपयोग लिए फिर चालू कर दिया गया है.

देखें रिपोर्ट

'इन दिनों पटना नगर निगम में सभी शौचालय की सफाई की जा रही है. गुणवत्ता की बात करें तो सफाई के मामले में इन दिनों निगम की ओर से अच्छी पहल की जा रही है पानी की भी व्यवस्था अब सभी शौचालय में रह रहती है'- रविन्द्र कुमार, पटनावासी

वहीं शौचालय को लेकर निगम प्रशासन का कहना है- हमारी तरफ से शौचालय की गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाता है. अगर कोई संवेदक द्वारा गुणवत्ता में कमी पाई जाती है तो उस पर निगम प्रशासन कर्रवाई भी करता है. क्योंकि निगम द्वारा बनाए गए सभी शौचालय का बजट काफी अधिक है.

मॉड्यूलर शौचालय
मॉड्यूलर शौचालय

'मॉड्यूलर शौचालय की बात करें तो एक शौचालय को बनाने में निगम द्वारा 10 लाख से अधिक रुपये खर्च किए गए हैं यानी 200 मॉडलों शौचालय के निर्माण कराने में निगम को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़े हैं. वहीं, सामुदायिक शौचालय की बात करें तो 15 लाख रुपये खर्च किए गए हैं'- इंद्रदीप चंद्रवंशी, सशक्त स्थाई समिति सदस्य, पीएमसी

इंद्रदीप चंद्रवंशी, सशक्त स्थाई समिति सदस्य, पीएमसी
इंद्रदीप चंद्रवंशी, सशक्त स्थाई समिति सदस्य, पीएमसी

ये भी पढ़ेंः जनहित में जारी: दुर्घटना से रखनी है दूरी, तो हेलमेट है बेहद जरूरी

शौचालय भवनों के रखरखाव का अभाव
वहीं, निगम द्वारा बनाए गए सभी शौचालय की गुणवत्ता को लेकर जब सिविल इंजीनियर अभय राणा से बात की गई तो उनका बताया कि भवन निर्माण में सरकार और निगम प्रशासन गुणवत्ता का तो पूरा ख्याल रखते हैं. लेकिन उन भवनों के रखरखाव का अभाव साफ तौर पर दिखाई देता है. क्योंकि भवनों का मेंटेनेंस इनके द्वारा नहीं किया जाता. जब कोई अधिकारी इन भवनों के निरीक्षण के लिए आते हैं तो सफाईकर्मी साफ सफाई कर देते हैं.

'शौचालय की सफाई की बात करें तो अभी स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर सर्वे चल रहा है. इसलिए निगम द्वारा सभी शौचालय की सफाई ठीक से की जा रही है. लेकिन जैसे ही सर्वेक्षण समाप्त होगा फिर शौचालय उसी स्थिति में पहुंच जाएगा-' अभय राणा, सिविल इंजीनियर

शौचालय की पहचान करना हुआ आसान
आपको बता दें कि पटना नगर निगम ने सभी शौचालयों की दावारों पर नीले रंग करा दिए हैं. इससे आम जन के लिए नजदीकी शौचालय की पहचान करना आसान हो गया है. अगर स्वच्छता सर्वेक्षण के सर्वे के बाद भी ये देख रेख इसी तरह जारी रही तो लोगों को शहर के अंदर टॉयलेट्स के लिए इधर उधर भटकना नहीं पडे़गा और साथ ही शहर में सफाई भी अच्छी रहेगी.

Last Updated : Feb 3, 2021, 12:28 PM IST
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