पटना: पटना मसौढ़ी के महादलित किसी प्रकार जिंदगी बिताने को मजबूर हैं. मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना भूमिहीन महादलित को 3 डिसमिल जमीन देकर उन्हें बसाने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. तकरीबन 40 वर्षों से बसे हुए महादलित परिवार बस यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें आखिर कब तक बासगीत पर्चा (Mahadalits In Masaurhi) मिलेगा और खुद का अपना आशियाना होगा. इन महादलित परिवारों को न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है और न ही राशन कार्ड समेत कई बुनियादी सुविधाओं का लाभ.
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मसौढ़ी प्रखंड के मुख्यालय से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर इंटीरियर गांव में 40 साल बीत जाने के बावजूद भी अब तक कोई भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. महादलित परिवार प्रखंड कार्यालयों का चक्कर काट-काट कर परेशान हैं. इस बीच कई पदाधिकारी का तबादला भी हो चुका है. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जब कभी भी नए पदाधिकारी आते हैं, तो पुराने चले जाते हैं. जिससे फाइल दबकर रह जाती है.
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महादलित परिवारों ने बताया कि वे लोग पिछले 40 साल से हजारों की संख्या में यहां बसे हुए हैं. वहीं कई परिवार दबंगों के डर से यहां से भाग गए हैं. ऐसे में महज 150 की संख्या में महादलित परिवार सिकंदरपुर महादलित टोले में बसे हुए हैं, जो इस उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कब उन्हें बासगीत पर्चा मिलेगा और खुद का आशियाना होगा.
महादलित परिवार के लोगों ने बताया कि इस मामले को लेकर पदाधिकारियों से बात करने पर सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. इस संदर्भ में अंचलाधिकारी ने कहा कि इस मामले में कैमरे पर बोलने के लिए प्राधिकृत नहीं है. सिकंदरपुर मुशहरी का मामले की जांच करवाकर कर्मचारियों से रिपोर्ट लेकर सभी बासगीत पर्चा दिया जाएगा.
'सरकार की महत्वपूर्ण योजना है कि महादलितों को बसाने के लिए उन्हें बासगीत पर्चा दिया जाना है. हम सिकंदरपुर महादलित टोले में बसे हुए वैसे सभी महादलितों को चिन्हित कर जांच कर कार्रवाई करने के लिए अंचलाधिकारी को आदेश निर्गत कर रहे हैं. जल्द ही सभी को चिन्हित कर पर्चा का वितरण किया जाएगा.' -संजय कुमार, डीसीएलआर
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