पटना: बिहार में पान मसाला और गुटखा पर बैन (pan masala ban in bihar) है, प्रतिबंध की अवधि हर साल बिहार में बढ़ाई जाती है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से फिर से बीते 22 फरवरी को प्रतिबंध की अवधि 1 साल के लिए और बढ़ाई गई है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो आदेश जारी किया गया उसमें साफ बताया गया कि गुटखा और पान मसाला में तंबाकू और निकोटीन मिलाकर बेचना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. सर्वोच्च न्यायालय के सितंबर 2016 के आदेश का हवाला देते हुए निर्देश दिया गया कि इस प्रकार के खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रदेश में पूरी तरह रोक रहेगी. गुटखा और पान मसाला खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आते हैं इसलिए ऐसे पदार्थों की बिक्री राज्य में प्रतिबंधित रहेगी.
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तेज प्रताप की मांग- 'रजनीगंधा तुलसी भी बंद करवाइये': इन दिनों राजद के युवराज तेज प्रताप यादव (RJD MLA Tej Pratap Yadav) ने ट्विटर पर रजनीगंधा और तुलसी वाले पान मसाला समेत अन्य प्रकार के पान मसाला को प्रदेश में प्रतिबंधित करने की मुहिम छेड़ कर फिर से एक नया माहौल तैयार कर दिया है. बताते चलें कि प्रदेश में साल 2019 में सभी ब्रांड के गुटखा और पान मसाला की जांच की गई थी, जिसमें मैग्नीशियम की काफी अधिक मात्रा पाई गई. इसके बाद ऐसे पान मसाला और गुटखा को प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था. ऐसे में राजद नेता तेज प्रताप यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शराबबंदी की तर्ज पर पान मसाला और उसके जर्दा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. जिसका समाज के प्रबुद्ध वर्ग से काफी समर्थन प्राप्त हो रहा है क्योंकि प्रदेश में माउथ कैंसर के पीछे सबसे बड़ा कारण पान मसाला के साथ जर्दा का सेवन है.
प्रतिबंध के बावजूद बिक्री की वजह: सरकार ने 30 अगस्त 2020 तक के लिए ऐसे पदार्थों को प्रतिबंधित किया. उसके बाद एक बार फिर से इस आदेश को अगले एक साल के लिए 22 फरवरी 2022 को प्रतिबंध बढ़ा दिया गया. लेकिन बावजूद इसके प्रदेश के सभी प्रमुख चौक चौराहों, गली मोहल्ले की दुकानों पर आसानी से पान मसाला उपलब्ध है. इसके पीछे वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जब पान मसाला को प्रतिबंधित किया गया था तो उस समय निकोटीन युक्त पान मसाला बैन किया गया. इसके बाद पान मसाला निर्माता कंपनियों ने गुटखा के बजाय पान मसाला अलग और उसका जर्दा अलग करके बेचना शुरू कर दिया. जर्दा तंबाकू का बना होता है और तंबाकू पर प्रदेश में बैन नहीं है. इसके अलावा पान मसाला में कंपनियां दावा करती है कि निकोटीन शून्य है. ऐसे में पान मसाला भी आसानी से बिक रहे हैं. लोग पान मसाला में जर्दा डालकर गुटके का मजा ले रहे हैं.
निकोटीन की जांच के लिए सैंपलिंग: पटना क्षेत्र के फूड सेफ्टी एंड ड्रग इंस्पेक्टर अजय कुमार ने बताया कि बिहार में पूर्व से नोटिफिकेशन है कि बिहार में वह पान मसाला जिसमें निकोटीन या तंबाकू पाया जाता है, उसे बेचना ट्रांसपोर्टेशन करना और उसका स्टोरेज करना पूरी तरह प्रतिबंधित है. बिहार में जो पान मसाला बेचे जाते हैं उसमें निकोटीन है या नहीं यह पता लगाने के लिए आए दिन सैंपलिंग की जाती है. सैंपल को जांच के लिए कोलकाता लेबोरेटरी में भेजा जाता है.
"मार्च के महीने में हमने काफी छापेमारी की है और 31 मार्च के पूर्व रजनीगंधा, पान पराग, कमला पसंद और अन्य बिकने वाले पान मसाला के कई जगह से सैंपल कलेक्ट किए हैं. जांच के लिए आगे भेजा है कि उसमें निकोटीन या फिर तंबाकू है या नहीं. बीते वर्षों में जांच के दौरान पान मसाला में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक पाई गई थी. लेकिन इस बार मैग्नीशियम को लेकर के जांच का कोई निर्देश नहीं मिला था. लेबोरेटरी में जब सैंपल की जांच होगी तो उसमें पता चल जाएगा कि निकोटीन तंबाकू और मैग्नीशियम की क्या स्थिति है. बिहार में कोई पान मसाला में निकोटीन और तंबाकू मिला हुआ है, वह प्रतिबंधित है. पान मसाला अलग से बिक सकता है."- अजय कुमार,फूड सेफ्टी एंड ड्रग इंस्पेक्टर,पटना क्षेत्र
डॉक्टर ने की लोगों से ये अपील: पटना की आईजीआईएमएस वरिष्ठ चिकित्सक डॉ निखिल चौधरी का कहना है कि पान मसाला और गुटखा शराब से भी अधिक हानिकारक है. यह पूरी तरह से जहर की तरह है. पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, खैनी, जर्दा सभी के नाम भले ही अलग होंगे लेकिन सभी हानिकारक हैं. सरकार कहती है कि 2016 से निकोटीन युक्त पान मसाला और जर्दा बैन है. लेकिन बावजूद चौक चौराहों पर आसानी से यह उपलब्ध हो जाते हैं. वेस्टर्न कंट्रीज की बात करें तो वहां लंग्स कैंसर अधिक कॉमन है. लेकिन भारत की बात करें तो भारत में माउथ कैंसर बहुत अधिक कॉमन हो गया है. सर्वाधिक मामले माउथ कैंसर के सामने आते हैं. इसका सबसे प्रमुख कारण पान मसाला गुटखा तंबाकू का सेवन करना है. लोगों को तुरंत इन सबसे दूरी बना लेनी चाहिए.
"हेड एंड नेक कैंसर के 30% मामले में पान मसाला और तंबाकू एक प्रमुख वजह है. यह सभी चीजें समाज से पूरी तरह बैन होनी चाहिए. बैन के बावजूद यदि उपलब्ध हो रहे हैं तो प्रशासन को इसके लिए कार्रवाई तेज करनी होगी. पान मसाला जो दावे करते हैं कि इसमें निकोटीन नहीं है यह सब स्यूडो पब्लिसिटी है. कई बार रिसर्च में यह मामले सामने आ चुके हैं कि बाजार में बिकने वाले पान मसाले में भी निकोटीन की मात्रा उपलब्ध रहती है. माउथ फ्रेशनर बोलकर कंपनियां बेचती हैं लेकिन यह पूरी तरीके से हानिकारक होता है. जो लोग इस प्रकार के पदार्थों का सेवन करते हैं, ऐसे लोगों को इसका सेवन तुरंत बंद करना चाहिए."- डॉ निखिल चौधरी, वरिष्ठ चिकित्सक, आईजीआईएमएस
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