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बिहार में हो रहा प्रतिबंधित दवाओं का उत्पादन, हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- कैसे दिया लाइसेंस - स्वास्थ विभाग

केंद्र सरकार ने जिन दवाओं पर 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया था उनके उत्पादन का लाइसेंस बिहार में जारी किया गया. इस संबंध में लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट ने स्वास्थ विभाग से दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है.

Patna high court
पटना हाईकोर्ट
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Published : Dec 15, 2020, 4:21 PM IST

पटना: बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन से संबंधित एक जनहित याचिका पर मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि जिन दवाओं पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया उसके उत्पादन का लाइसेंस बिहार में कैसे जारी किया गया.

बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन के लिए राज्य के ड्रग कंट्रोलर द्वारा लाइसेंस दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि इन प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन का लाइसेंस कैसे दिया गया?

स्वास्थ विभाग के सचिव से मांगा कार्रवाई का ब्योरा
एडवोकेट मयूरी ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारी दवाओं के उत्पादन पर 2011 में ही केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बावजूद बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन का लाइसेंस दे दिया गया. कोर्ट ने स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव को दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा भी अगली सुनवाई में पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना हरकत से बिहार की जनता के स्वास्थ पर खतरनाक असर पड़ सकता है. इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.

पटना: बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन से संबंधित एक जनहित याचिका पर मंगलवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि जिन दवाओं पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगाया उसके उत्पादन का लाइसेंस बिहार में कैसे जारी किया गया.

बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन के लिए राज्य के ड्रग कंट्रोलर द्वारा लाइसेंस दिए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि इन प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन का लाइसेंस कैसे दिया गया?

स्वास्थ विभाग के सचिव से मांगा कार्रवाई का ब्योरा
एडवोकेट मयूरी ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारी दवाओं के उत्पादन पर 2011 में ही केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बावजूद बिहार में प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन का लाइसेंस दे दिया गया. कोर्ट ने स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव को दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा भी अगली सुनवाई में पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना हरकत से बिहार की जनता के स्वास्थ पर खतरनाक असर पड़ सकता है. इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी.

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