पटनाः लगातार विवादों में चल रहे बिहार सरकार के पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार फरार (Former law minister Kartikeya Kumar absconding) पुलिस की नजरों में फरार घोषित हो गए हैं. पटना एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो (Patna SSP Manavjit Singh Dhillon) ने कहा कि हम लगातार उनके संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चल रहा है. उनके आवास पर नोटिस चस्पा दिया गया है. जैसे ही कोर्ट से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होगा, उनकी गिरफ्तारी की कोशिश शुरू कर दी जाएगी.
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कार्तिकेय कुमार फरार घोषित: पटना एसएसपी ने बताया कि की पटना पुलिस की टीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश की तमील कराने कार्तिकेय सिंह के पैतृक आवास मोकामा के साथ-साथ पटना के उनके कंकड़बाग स्थित आवास पर भी गई थी लेकिन इस दौरान कार्तिक सिंह नहीं मिले. जिसके बाद मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके घर पर नोटिस चस्पा कर दिया है. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी पर एक सितंबर तक रोक लगाई गई थी. उसके बाद पुलिस ने उन्हें छोड़कर बाकी के आवास पर जाकर नोटिस चस्पा कर दिया.
पुलिस को गैर जमानती वारंट का इंतजार: मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि अब इस पूरे मामले की सुनवाई 14 सितंबर को रखी गई है. जहां कोर्ट द्वारा कार्तिकेय सिंह के खिलाफ पर गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा. उसके बाद पुलिस उनको गिरफ्तार करने की कार्रवाई में जुट जाएगी. हालांकि पटना एसएसपी ने बताया कि इस घटना के बाद लगातार पूर्व कानून मंत्री के बॉडीगार्ड पुलिस के संपर्क में है और कार्तिकेय सिंह पर अपनी नजर बनाए हुए है.
"14 तारीख को कार्तिकेय सिंह के मामले में कोर्ट में सुनाई होगी. उम्मीद है कि उस दिन नॉन बेलेबल वारंट जारी होगा और फिर हमलोग उनकी गिरफ्तारी करेंगे. उनके आवास पर नोटिस भी चिपकाया गया है. विधान पार्षद के तौर पर सुरक्षा गार्ड अभी भी उनको मिला हुआ है, वापस नहीं लिया गया है. हमारी नजर में वो फरार हैं"- मानवजीत सिंह ढिल्लो, एसएसपी, पटना
कार्तिकेय सिंह पर लगे थे आरोप : नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिलते ही कार्तिकेय कुमार विवादों में घिर गए थे. उनके ऊपर आरोप लगा था कि उनके खिलाफ कोर्ट से अपहरण के मामले में वारंट जारी किया जा चुका है. 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था, इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया. इस मामले में कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है. इसको लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोल रहा था कि जिनके खिलाफ खुद गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका हो, उसे विधि विभाग का मंत्री कैसे बनाया जा सकता है.
अनंत सिंह के हैं चुनावी रणनीतिकार : आपको बता दें कि कार्तिकेय कुमार को बाहुबली अनंत सिंह (Bahubali Anant Singh)के समर्थक 'कार्तिक मास्टर' के नाम से जानते हैं. वर्ष 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिकेय मास्टर और अनंत सिंह में दोस्ती काफी आगे बढ़ी थी. अनंत सिंह के चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्तिकेय ने खुद को साबित किया. जानकारी है कि अनंत सिंह के लिए सभी राजनीतिक दांव-पेंच पर्दे के पीछे से कार्तिकेय की मदद से ही अनंत सिंह संभालते हैं. इसलिए अनंत सिंह की पहली पसंद वे हैं. सबसे बड़े विश्वासी हैं. अनंत सिंह कार्तिकेय कुमार को खुद 'मास्टर साहब' कहकर पुकारते हैं. राजनीति में सक्रिय होने से पहले कार्तिकेय स्कूल में शिक्षक थे. वे मोकामा के रहने वाले हैं और उनके गांव का नाम शिवनार है. कार्तिकेय मास्टर की पत्नी रंजना कुमारी लगातार दो बार मुखिया बनीं.
दानापुर व्यवहार न्यायालय से जमानत याचिका खारिज: गुरुवार को अपहरण के एक मामले में दानापुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे-3 में सत्यनारायण शेवहारे के कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. जज ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद शाम 4 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने 4 बजे के बाद फैसला सुनाया, जिसमें उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दी गई. अपहरण के इस मामले में आरोपी होने के कारण पूर्व मंत्री कार्तिकेय कुमार महज 15 दिनों में ही नीतीश कैबिनेट से बाहर हो गये. हालांकि लगातार विवादों के बीच सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार सुबह को उनका विभाग बदला था, लेकिन विभाग बदले जाने के बाद कार्तिकेय कुमार ने मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया.
बिल्डर राजू सिंह की पत्नी ने लगाया गंभीर आरोप: अपहरण के उस मामले के शिकायतकर्ता राजू सिंह की पत्नी दिव्या सिंह ने आरोप लगाया है कि कार्तिकेय सिंह के लोग उन्हें धमकी दे रहे हैं. राजू सिंह अभी पटना के बेउर जेल में बंद हैं और उन्हें लगातार जेल में भी धमकी मिल रही है. उन्हें दूसरे जेल में शिफ्ट करने की कोशिश की गई थी. पत्नी दिव्या सिंह ने बताया कि उन्होंने पटना के एसएसपी से मुलाकात कर सुरक्षा की गुहार लगाई थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं मिली. जिसके बाद वो पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.
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