पटना: एम्स पटना के इतिहास में पहली बार किसी डिवाइस को पेटेंट मिला है. यह डिवाइस ब्रेन और स्पाइन के जटिल सर्जरी को आसानी से करने में सक्षम होगा. इतना ही नहीं सर्जरी के दौरान होने वाले नर्व डैमेज की समस्या भी काफी हद तक काम हो जाएगी और सर्जरी के सफलता के चांसेस बढ़ जाएंगे. यह मशीन एम्स पटना के न्यूरोसर्जरी विभाग के हेड डॉक्टर विकास चंद्र झा, उनकी पत्नी और संस्थान की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की सर्जन डॉक्टर संगम झा के द्वारा तैयार किया गया है.
मल्टीपल डायरेक्शन में डैमेज नर्व को करता है रिपेयर: डॉ. विकास चंद्र झा ने बताया कि यह मशीन 'इंट्रा सर्जिकल नर्व मैपिंग प्रो सक्शन ट्यूब' है. यह मशीन शरीर के अंदर विभिन्न डायरेक्शन में जाकर नसों की पहचान करने और उसे रिपेयर करने में सक्षम है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तकनीक से लैस यह मशीन कमांड के आधार पर डैमेज नर्व को रिपेयर करने में सक्षम है.
इतने मरीजों पर हुआ मशीन का इस्तेमाल: अब तक जो मशीन है, वह एक अमेरिकन डिवाइस है जो सिर्फ एक डायरेक्शन में ही डैमेज नर्व की पहचान करता है. हालांकि तमाम उपकरणों का अध्ययन करके डॉक्टरों ने एक प्रोटोटाइप मशीन तैयार किया. वहीं लगभग 7 मरीज पर सर्जरी में इस मशीन का इस्तेमाल किया गया है.
2022 में शुरू किया था मशीन को बनाने का काम: डॉ. विकास चंद्र झा ने बताया कि साल 2022 के अगस्त से उन्होंने इस मशीन को तैयार करने की दिशा में काम शुरू किया और दिसंबर 2024 में भारत सरकार की ओर से इसे पेटेंट मिला. इस मशीन का इस्तेमाल करके जिन सात मरीजों की सर्जरी की गई, वह काफी जल्दी ठीक हो गये.
इससे सर्जरी में नहीं होंगे दूसरे नर्व डैमेज: वहीं जिस कंडीशन के मरीज पर मशीन का इस्तेमाल किया गया, अगर पहले की तकनीक से उनकी सर्जरी की जाती तो अस्पताल में उन्हें एक महीना रहना पड़ता. हालांकि इस मशीन से सर्जरी के बाद उन्हें 7 दिन के अंदर अस्पताल से डिस्चार्ज मिल गया. सर्जरी के दौरान कई बार दूसरे नर्व डैमेज हो जाते हैं और वह ठीक होने में समय लेते हैं लेकिन यह मशीन इतने परफेक्शन के साथ काम करता है कि कोई नर्व डैमेज नहीं होती है. साथ ही कम समय में डैमेज नर्व की पहचान कर उसे रिपेयर भी कर देता है.
पत्नी डॉ. संगम झा ने मशीन का डिजाइन किया तैयार: डॉ. विकास चंद्र झा ने बताया कि इस मशीन के डिजाइन में उनकी पत्नी डॉक्टर संगम झा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि वह दोनों एक सर्जन है और घर में भी जब बैठते हैं तो आपस में सर्जरी के नए उपकरण पर चर्चाएं होती है. इस मशीन को भी तैयार करने में डिजाइन में जो दिक्कत आ रही थी, उसे स्मूथ करने और डिजाइन तैयार करने में उनकी पत्नी ने बहुत काम किया.
"पहले कागज पर डिजाइन तैयार किए जाते थे उसके बाद मशीन को उस अनुरूप सेट कर मशीन का फंक्शन चेक किया जाता. यह प्रोजेक्ट सक्सेसफुल रहा और भारी भरकम प्रोटोटाइप मशीन से एक फाइन सोफिस्टिकेटेड मशीन तैयार करने की अब जिम्मेदारी है."- डॉ. विकास चंद्र झा, हेड डॉक्टर, न्यूरोसर्जरी विभाग एम्स पटना
सरकारी क्षेत्र में तैयार हो मशीन: डॉ. विकास चंद्र झा ने बताया कि इस प्रोटोटाइप मशीन को जैसे ही भारत सरकार से पेटेंट मिला कई प्राइवेट कंपनियों ने उनसे संपर्क किया. इस उपकरण को तैयार करने में उन्होंने लगभग 5 लाख रुपये खर्च किए. हालांकि वह चाहते हैं कि यह मशीन जब तैयार हो तो एक सस्ते मशीन के तौर पर उपलब्ध हो, जिससे हर अस्पतालों में यह आसानी से पहुंच सके.
कहां बनेगी मशीन?: डॉ. विकास चंद्र झा ने तय किया है कि मशीन बनाने के लिए वह प्राइवेट कंपनियों से संपर्क नहीं करेंगे क्योंकि प्राइवेट कंपनियां जब मशीन को अंतिम रूप देकर तैयार करेंगे तो रेट बहुत अधिक हो सकता है. उन्होंने अपने प्रोटोटाइप मशीन को एक बेहतर फंक्शनल डिवाइस में विकसित करने के लिए भारत सरकार की संस्था आईसीएमआर को आग्रह किया है. इसके अलावा आईआईटी पटना से भी वह संपर्क में है. वह चाहते हैं कि किसी सरकारी संस्था में ही यह मशीन डेवलप हो.
ब्रेन और स्पाइन की सर्जरी में बेहद कारगर: डॉक्टर ने बताया कि ब्रेन की जब सर्जरी होती है तो ब्रेन खुलने के बाद 4 मिनट का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. ब्रेन स्ट्रोक के कई बार मामले में सर्जरी में थोड़ा विलंब होने पर हालत बिगड़ जाती है. जिससे मरीज का एक हिस्सा अपंग हो जाता है. इस मशीन का ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में इस्तेमाल होने से ऐसी समस्याएं कम हो जाएगी और पेशेंट का बेहतर सर्जिकल ट्रीटमेंट हो सकेगा. स्पाइन इंजरी में भी यह उपकरण बहुत ही कारगर साबित होगा और पेशेंट को बेड रीडन होने से बचाएगा. मल्टीपल डायरेक्शन में डैमेज नर्व की पहचान कर उसे समय रहते रिपेयर करने में यह सक्षम है.
यह मशीन डॉक्टर के स्वास्थ्य के लिए भी है फायदेमंद: डॉ. विकास चंद्र झा ने बताया कि यह मशीन न सिर्फ पेशेंट को जल्दी ठीक करने में मदद करता है बल्कि डॉक्टर को एक्सरे एक्स्पोजर से भी बचाता है. स्पाइन की सर्जरी में डैमेज नर्व की पहचान करने में अभी के समय एक्स-रे एक्स्पोजर डॉक्टरों को काफी होता है. इसके अलावा पेशेंट को इस मशीन से सर्जरी करने पर पोस्ट सर्जरी कॉम्प्लिकेशंस भी बहुत कम होते हैं, जिसके कारण मरीज जल्दी ठीक हो कर अस्पताल से डिस्चार्ज होते हैं. इससे मरीज के पैसे की भी बचत होती है.
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