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'ट्रक ड्राइवरों की कमी से बढ़ रहे हैं हादसे': बोले, नितिन गडकरी - NITIN GADKARI

नितिन गडकरी ने 80% ट्रकों को सीएनजी/एलएनजी में बदलने और ट्रक ड्राइवरों को बेहतर सुविधा मुहैया देने की बात कही. सुरभि गुप्ता की रिपोर्ट.

Nitin Gadkari
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 28, 2025, 6:50 PM IST

Updated : Jan 28, 2025, 6:59 PM IST

नई दिल्ली: भारत में माल ढुलाई का अधिकांश काम ट्रकों के जरिए होता है. देश की परिवहन व्यवस्था की रीढ़ कह सकते हैं. लेकिन, इन ट्रकों को चलाने वाले ड्राइवरों की स्थिति बेहद दयनीय है. लंबे घंटों तक काम, सड़क सुरक्षा का अभाव और स्वास्थ्य समस्याएं इनकी जिंदगी को कठिन बना देती हैं. ऐसे में ट्रक ड्राइवरों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 'प्रोजेक्ट अभय' शुरू किया गया. हाल ही में आईआईटी दिल्ली में इस योजना को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भाग लिया.

ट्रक चालकों के लिए योजनाः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आईआईटी दिल्ली में प्रोजेक्ट अभय के समापन समारोह में कहा कि सरकार ट्रक चालकों के कल्याण को बढ़ाने, टिकाऊ ईंधन को बढ़ावा देने और उन्नत सुरक्षा प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है. कार्यक्रम में ट्रक चालकों के स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और पेशेवर चुनौतियों पर चर्चा की गयी. गडकरी ने रसद ढुलाई की लागत में कटौती के लिए ट्रक को सीएनजी या एलएनजी में बदलने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की.

क्या कहा मंत्री नेः केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग सिस्टम वाले ट्रकों को पहले ही जोड़ा जा चुका है. प्रशिक्षित ट्रक ड्राइवरों की कमी पर गडकरी ने कहा "हमारे पास हर 100 ट्रकों के लिए केवल 75 ड्राइवर हैं. जिससे 22 लाख ड्राइवरों की कमी है. मैनपावर की यह कमी दुर्घटना का कारण बनती है. क्योंकि भारत में यूरोप की तरह ड्राइवर शिफ्ट नहीं हैं. सालाना 5 लाख दुर्घटनाओं में 1.80 लाख मौतों में से 10,000 ट्रकों के कारण होती हैं."

प्रोजेक्ट अभय के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान हो सकेगा, इस पर आईआईटी दिल्ली के ग्रामीण विकास और प्रौद्योगिकी केंद्र (सीआरडीटी) के प्रमुख प्रोफेसर विवेक कुमार ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में विस्तार से बताया. प्रोफेसर कुमार ने कहा, "पहले चरण में हम 50 हजार ट्रक ड्राइवरों तक पहुंचे और दूसरे चरण में हमारा लक्ष्य 1.5 लाख ड्राइवरों को कवर करना है."

सामाजिक सुरक्षा पर जोरः प्रोफेसर कुमार ने कहा यह पहल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दृष्टि देखभाल, तनाव प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा सहित समग्र कल्याण पर केंद्रित है. प्रो. कुमार ने बताया कि जो सर्वेक्षण कराये गये उससे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ट्रक ड्राइवरों के पास अक्सर चिकित्सा सलाह या यहां तक कि दृष्टि देखभाल जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए भी समय नहीं होता है. प्रोजेक्ट अभय के माध्यम से, हमने उन्हें शिविरों में आवश्यक सेवाएं प्रदान कीं. ढाई घंटे के भीतर चश्मा, स्वास्थ्य जांच और सामाजिक सुरक्षा नामांकन कराया.

ड्राइवर को दोषी ठहाराया जाताः प्रोफेसर विवेक ने कहा ट्रकों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर ड्राइवरों को गलत तरीके से दोषी ठहराया जाता है. हमारे शोध से पता चला है कि ट्रकों के कारण होने वाली दुर्घटनाएं अनुमान से बहुत कम हैं. ड्राइवर की भलाई पर ध्यान केंद्रित करके और आकांक्षी नौकरी प्रोफ़ाइल बनाकर, हमारा लक्ष्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और इस पेशे से जुड़े तनाव को कम करना है.

मोबाइल ऐप तैयार किया प्रोजेक्ट अभय की एक अनूठी विशेषता इसका तकनीक-सक्षम दृष्टिकोण है. इस परियोजना ने एक मोबाइल ऐप विकसित किया है जो ड्राइवरों के लिए एक डिजिटल लॉकर के रूप में कार्य करता है. वाहन से संबंधित दस्तावेजों जैसे PUC समाप्ति और विनियमों पर अपडेट के लिए अलर्ट प्रदान करता है. ऐप में प्रशिक्षण वीडियो भी दिए गए हैं, जिसमें ट्रैफ़िक नियमों पर 2D और 3D फ़िल्में और लंबे समय तक ड्राइविंग के लिए तैयार किए गए तनाव-मुक्ति अभ्यास शामिल हैं.

"हमने ड्राइवरों को उनके लंबे कामकाजी घंटों के दौरान आराम करने में मदद करने वाले विशिष्ट योग और शारीरिक व्यायाम डिज़ाइन करने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली. ये अभ्यास ऐप के पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्राइवर कभी भी इनका उपयोग कर सकें."-प्रोफेसर विवेक कुमार, सीआरडीटी के प्रमुख

सड़क सुरक्षा को बढ़ाना लक्ष्यः गडकरी ने भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सरकार के दृष्टिकोण को दोहराया. उन्होंने कहा, "सुधारित सड़क बुनियादी ढांचे ने पहले ही परिवहन समय को काफी कम कर दिया है. सीएनजी और एलएनजी-संचालित ट्रकों में बदलाव करके और सुरक्षा तकनीकों को अपनाकर, हमारा लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है."

ट्रक ड्राइवर पेशे को सुरक्षित बनाया जाएगाः गडकरी ने ड्राइवरों के लिए बेहतर काम करने की स्थिति की आवश्यकता को स्वीकार किया, जिसमें बेहतर आराम सुविधाएँ और सुरक्षित कार्य घंटे शामिल हैं. उन्होंने कहा, "ट्रकिंग पेशे को और अधिक आकर्षक और सुरक्षित बनना चाहिए. हमारा प्रयास ट्रक ड्राइविंग को एक आकांक्षापूर्ण नौकरी बनाना है, जिसे प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और सुरक्षा उपायों द्वारा समर्थित किया जाता है." मंत्री ने ड्राइवरों की कमी को दूर करने के लिए प्रशिक्षण केंद्रों के महत्व पर भी जोर दिया.

प्रोजेक्ट अभय क्या हैः यह एक पहल है, जो ट्रक चालकों को सड़क पर सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए काम करती है. इस योजना के तहत ड्राइवरों के लिए विश्राम स्थल, स्वास्थ्य सुविधाएं, सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण और मनोवैज्ञानिक मदद की व्यवस्था की जाती है. इसका उद्देश्य ट्रक चालकों की भलाई सुनिश्चित करना और माल ढुलाई के महत्वपूर्ण काम में उनकी भूमिका को सशक्त बनाना है.

इसे भी पढ़ेंः खराब सड़क बनाई तो ठेकेदार और इंजीनियर पर चलेगा मुकदमा : नितिन गडकरी

इसे भी पढ़ेंः हाईवे पर कार के लिए बनेगा मंथली और एनुअल टोल पास! जान लें सरकार की प्लानिंग

नई दिल्ली: भारत में माल ढुलाई का अधिकांश काम ट्रकों के जरिए होता है. देश की परिवहन व्यवस्था की रीढ़ कह सकते हैं. लेकिन, इन ट्रकों को चलाने वाले ड्राइवरों की स्थिति बेहद दयनीय है. लंबे घंटों तक काम, सड़क सुरक्षा का अभाव और स्वास्थ्य समस्याएं इनकी जिंदगी को कठिन बना देती हैं. ऐसे में ट्रक ड्राइवरों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से 'प्रोजेक्ट अभय' शुरू किया गया. हाल ही में आईआईटी दिल्ली में इस योजना को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भाग लिया.

ट्रक चालकों के लिए योजनाः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आईआईटी दिल्ली में प्रोजेक्ट अभय के समापन समारोह में कहा कि सरकार ट्रक चालकों के कल्याण को बढ़ाने, टिकाऊ ईंधन को बढ़ावा देने और उन्नत सुरक्षा प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है. कार्यक्रम में ट्रक चालकों के स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और पेशेवर चुनौतियों पर चर्चा की गयी. गडकरी ने रसद ढुलाई की लागत में कटौती के लिए ट्रक को सीएनजी या एलएनजी में बदलने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की.

क्या कहा मंत्री नेः केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग सिस्टम वाले ट्रकों को पहले ही जोड़ा जा चुका है. प्रशिक्षित ट्रक ड्राइवरों की कमी पर गडकरी ने कहा "हमारे पास हर 100 ट्रकों के लिए केवल 75 ड्राइवर हैं. जिससे 22 लाख ड्राइवरों की कमी है. मैनपावर की यह कमी दुर्घटना का कारण बनती है. क्योंकि भारत में यूरोप की तरह ड्राइवर शिफ्ट नहीं हैं. सालाना 5 लाख दुर्घटनाओं में 1.80 लाख मौतों में से 10,000 ट्रकों के कारण होती हैं."

प्रोजेक्ट अभय के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान हो सकेगा, इस पर आईआईटी दिल्ली के ग्रामीण विकास और प्रौद्योगिकी केंद्र (सीआरडीटी) के प्रमुख प्रोफेसर विवेक कुमार ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में विस्तार से बताया. प्रोफेसर कुमार ने कहा, "पहले चरण में हम 50 हजार ट्रक ड्राइवरों तक पहुंचे और दूसरे चरण में हमारा लक्ष्य 1.5 लाख ड्राइवरों को कवर करना है."

सामाजिक सुरक्षा पर जोरः प्रोफेसर कुमार ने कहा यह पहल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दृष्टि देखभाल, तनाव प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा सहित समग्र कल्याण पर केंद्रित है. प्रो. कुमार ने बताया कि जो सर्वेक्षण कराये गये उससे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ट्रक ड्राइवरों के पास अक्सर चिकित्सा सलाह या यहां तक कि दृष्टि देखभाल जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए भी समय नहीं होता है. प्रोजेक्ट अभय के माध्यम से, हमने उन्हें शिविरों में आवश्यक सेवाएं प्रदान कीं. ढाई घंटे के भीतर चश्मा, स्वास्थ्य जांच और सामाजिक सुरक्षा नामांकन कराया.

ड्राइवर को दोषी ठहाराया जाताः प्रोफेसर विवेक ने कहा ट्रकों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर ड्राइवरों को गलत तरीके से दोषी ठहराया जाता है. हमारे शोध से पता चला है कि ट्रकों के कारण होने वाली दुर्घटनाएं अनुमान से बहुत कम हैं. ड्राइवर की भलाई पर ध्यान केंद्रित करके और आकांक्षी नौकरी प्रोफ़ाइल बनाकर, हमारा लक्ष्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और इस पेशे से जुड़े तनाव को कम करना है.

मोबाइल ऐप तैयार किया प्रोजेक्ट अभय की एक अनूठी विशेषता इसका तकनीक-सक्षम दृष्टिकोण है. इस परियोजना ने एक मोबाइल ऐप विकसित किया है जो ड्राइवरों के लिए एक डिजिटल लॉकर के रूप में कार्य करता है. वाहन से संबंधित दस्तावेजों जैसे PUC समाप्ति और विनियमों पर अपडेट के लिए अलर्ट प्रदान करता है. ऐप में प्रशिक्षण वीडियो भी दिए गए हैं, जिसमें ट्रैफ़िक नियमों पर 2D और 3D फ़िल्में और लंबे समय तक ड्राइविंग के लिए तैयार किए गए तनाव-मुक्ति अभ्यास शामिल हैं.

"हमने ड्राइवरों को उनके लंबे कामकाजी घंटों के दौरान आराम करने में मदद करने वाले विशिष्ट योग और शारीरिक व्यायाम डिज़ाइन करने के लिए विशेषज्ञों से सलाह ली. ये अभ्यास ऐप के पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ड्राइवर कभी भी इनका उपयोग कर सकें."-प्रोफेसर विवेक कुमार, सीआरडीटी के प्रमुख

सड़क सुरक्षा को बढ़ाना लक्ष्यः गडकरी ने भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सरकार के दृष्टिकोण को दोहराया. उन्होंने कहा, "सुधारित सड़क बुनियादी ढांचे ने पहले ही परिवहन समय को काफी कम कर दिया है. सीएनजी और एलएनजी-संचालित ट्रकों में बदलाव करके और सुरक्षा तकनीकों को अपनाकर, हमारा लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है."

ट्रक ड्राइवर पेशे को सुरक्षित बनाया जाएगाः गडकरी ने ड्राइवरों के लिए बेहतर काम करने की स्थिति की आवश्यकता को स्वीकार किया, जिसमें बेहतर आराम सुविधाएँ और सुरक्षित कार्य घंटे शामिल हैं. उन्होंने कहा, "ट्रकिंग पेशे को और अधिक आकर्षक और सुरक्षित बनना चाहिए. हमारा प्रयास ट्रक ड्राइविंग को एक आकांक्षापूर्ण नौकरी बनाना है, जिसे प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और सुरक्षा उपायों द्वारा समर्थित किया जाता है." मंत्री ने ड्राइवरों की कमी को दूर करने के लिए प्रशिक्षण केंद्रों के महत्व पर भी जोर दिया.

प्रोजेक्ट अभय क्या हैः यह एक पहल है, जो ट्रक चालकों को सड़क पर सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए काम करती है. इस योजना के तहत ड्राइवरों के लिए विश्राम स्थल, स्वास्थ्य सुविधाएं, सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण और मनोवैज्ञानिक मदद की व्यवस्था की जाती है. इसका उद्देश्य ट्रक चालकों की भलाई सुनिश्चित करना और माल ढुलाई के महत्वपूर्ण काम में उनकी भूमिका को सशक्त बनाना है.

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Last Updated : Jan 28, 2025, 6:59 PM IST
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