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श्रीहरिकोटा से 100वां रॉकेट लॉन्च होने को तैयार, जानें टाइम और ऐसे देखें इसकी लाइव लॉन्च स्ट्रीमिंग - SRIHARIKOTA 100TH ROCKET LAUNCH

श्रीहरिकोटा से 100वां रॉकेट लॉन्च होने को तैयार है. इसरो GSLV-F15 नाम के रॉकेट के साथ NVS-02 को अंतरिक्ष में भेजेगा.

The GSLV-F15 NVS-02 will the 100th rocket to be launched.
सतीश धवन स्पेस सेंटर से 100वां रॉकेट लॉन्च होने के लिए तैयार है. (फोटो -YouTube/ISRO)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : Jan 28, 2025, 6:35 PM IST

हैदराबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने की कगार पर खड़ा है. दरअसल, इसरो आंध्र-प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित अपने सबसे ऐतिहासिक लॉन्च स्टेशन, सतीश धवन स्पेस सेंटर से 100वां रॉकेट लॉन्च करने के लिए तैयार है. भारत की स्पेस एजेंसी, इसरो 29 जनवरी, 2025 की सुबह 6:23 मिनट पर श्रीहरिकोटा में स्थित लॉन्च स्टेशन से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F15) लॉन्च करने के लिए तैयार है. आइए हम आपको इसरो के इस ऐतिहासिक पल को लाइव देखने का तरीका बताते हैं.

श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाले 100वें रॉकेट का नाम GSLV-F15 है. इसरो इसे 29 जनवरी, 2025 की सुबह 6:23 मिनट पर लॉन्च करेगा. आप इस रॉकेट लॉन्चिंग की लाइव स्ट्रीमिंग सीधे अपने फोन पर देख सकते हैं. इसरो अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर इस रॉकेट लॉन्च की लाइव स्ट्रीमिंग करेगा. यह लाइव स्ट्रीमिंग सुबह 5:50 बजे से ही शुरू हो जाएगी. हम अपने इस आर्टिकल में इस रॉकेट लॉन्च इवेंट की लाइव स्ट्रीमिंग लिंक अटैच कर रहे हैं.

NVS-02 सैटेलाइट को लेकर जाएगा GSLV-F15

श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाला 100वां रॉकेट यानी GSLV-F15, भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम यानी NavIC के लिए NVS-02 सैटेलाइट को लेकर जाएगा. यह GSLV-F15 की 17वीं फ्लाइट होगी, जो अपने साथ 2,250 किलोग्राम की भारी सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरेगा. इस स्पेसक्राफ्ट का नाम NVS-02 होगा. यह मिशन देश के नेविगेशनल क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा. स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण (Indigenous Cryogenic stage) GSLV-F15 श्रीहरिकोटा से लॉन्च के बाद NVS-02 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में प्लेस करेगा.

NVS-02, भारत के नेविगेशन सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका उद्देश्य भारत में नेविगेशन की जरूरतों को पूरा करना है. इसका उपयोग निजी और रक्षा क्षेत्रों में नेविगेशन सेवाएं देने के लिए किया जा सकता है. यह भारत की नई नेविगेशन सैटेलाइट सीरीज की दूसरी सैटेलाइट है.

कम्यूनिकेशन और वेदर प्रिडिक्शन के लिए खास सैटेलाइट

GSLV-F15 रॉकेट के जरिए जाने वाले सैटेलाइट NVS-02 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक पहुंचाएगा, जिसका सबसे पास वाला पॉइंट (Perigee) लगभग 200 किलोमीटर और सबसे दूर वाला पॉइंट (Apogee) लगभग 36,000 दूर है. यह एक हाईली एलिप्टिकल ऑर्बिट है, जो सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में जाने के लिए सक्षम बनाती है.

यह सैटेलाइट खास तौर पर कम्यूनिकेशन और वेदर प्रिडिक्शन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इन्हें विशेष क्षेत्रों पर नज़र रखने की जरूरत होती है. आसान शब्दों में कहें तो इस ऑर्बिट में सैटेलाइट अपने ही स्थान पर स्थिर रहते हैं, जिससे वो किसी भी स्थान पर लगातार नज़र रख सकते हैं.

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श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाले 100वें रॉकेट का नाम GSLV-F15 है. इसरो इसे 29 जनवरी, 2025 की सुबह 6:23 मिनट पर लॉन्च करेगा. आप इस रॉकेट लॉन्चिंग की लाइव स्ट्रीमिंग सीधे अपने फोन पर देख सकते हैं. इसरो अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर इस रॉकेट लॉन्च की लाइव स्ट्रीमिंग करेगा. यह लाइव स्ट्रीमिंग सुबह 5:50 बजे से ही शुरू हो जाएगी. हम अपने इस आर्टिकल में इस रॉकेट लॉन्च इवेंट की लाइव स्ट्रीमिंग लिंक अटैच कर रहे हैं.

NVS-02 सैटेलाइट को लेकर जाएगा GSLV-F15

श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाला 100वां रॉकेट यानी GSLV-F15, भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम यानी NavIC के लिए NVS-02 सैटेलाइट को लेकर जाएगा. यह GSLV-F15 की 17वीं फ्लाइट होगी, जो अपने साथ 2,250 किलोग्राम की भारी सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरेगा. इस स्पेसक्राफ्ट का नाम NVS-02 होगा. यह मिशन देश के नेविगेशनल क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करेगा. स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण (Indigenous Cryogenic stage) GSLV-F15 श्रीहरिकोटा से लॉन्च के बाद NVS-02 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में प्लेस करेगा.

NVS-02, भारत के नेविगेशन सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका उद्देश्य भारत में नेविगेशन की जरूरतों को पूरा करना है. इसका उपयोग निजी और रक्षा क्षेत्रों में नेविगेशन सेवाएं देने के लिए किया जा सकता है. यह भारत की नई नेविगेशन सैटेलाइट सीरीज की दूसरी सैटेलाइट है.

कम्यूनिकेशन और वेदर प्रिडिक्शन के लिए खास सैटेलाइट

GSLV-F15 रॉकेट के जरिए जाने वाले सैटेलाइट NVS-02 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक पहुंचाएगा, जिसका सबसे पास वाला पॉइंट (Perigee) लगभग 200 किलोमीटर और सबसे दूर वाला पॉइंट (Apogee) लगभग 36,000 दूर है. यह एक हाईली एलिप्टिकल ऑर्बिट है, जो सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में जाने के लिए सक्षम बनाती है.

यह सैटेलाइट खास तौर पर कम्यूनिकेशन और वेदर प्रिडिक्शन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इन्हें विशेष क्षेत्रों पर नज़र रखने की जरूरत होती है. आसान शब्दों में कहें तो इस ऑर्बिट में सैटेलाइट अपने ही स्थान पर स्थिर रहते हैं, जिससे वो किसी भी स्थान पर लगातार नज़र रख सकते हैं.

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