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पटना AIIMS: मशीन पढ़ेगी दिमाग, तनाव से लेकर मिर्गी तक की बीमारी के इलाज में होगा फायदा

अब पटना एम्स में ब्रेन की एक्टिविटी (Brain Activity) पर रिसर्च होगा. ब्रेन को किस तरह की सूचना मिल रही है, सूचना पर वह किस तरह से रिएक्ट कर रहा है, इसकी पूरी जानकारी मशीन को मिलेगी. इसका मरीजों को काफी लाभ पहुंचेगा.

AIIMS Patna
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Published : Aug 2, 2021, 11:03 PM IST

पटना: एम्स पटना (AIIMS Patna) ने बड़ा प्रयोग किया है. एम्स में एफएनआईएस (Functional-Near Infrared Spectroscopy) का इंस्टॉलेशन किया गया है. यह मशीन लोगों के दिमाग को पढ़ेगी और दिमाग की गतिविधि से जानेगी कि तनाव कितना है.

यह भी पढ़ें- इलाज के लिए कैंसर मरीजों की बढ़ी संख्या, लॉकडाउन के दौरान भी चलती रहीं ये सेवा

दरअसल बीते दिनों पटना एम्स के फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट में एफएनआईआरएस (FNIRS) मशीन का इंस्टॉलेशन हुआ है, जो पूर्वी भारत में अब तक का पहला मशीन है. इस मशीन का पूरा नाम फंक्शनल नियर इंफ्रारेड (Near Infrared) स्पेक्ट्रोस्कोपी है और यह मशीन इंफ्रारेड के माध्यम से काम करती है.

देखें वीडियो

'फंक्शनल नियर इंफ्रारेड (Near Infrared) स्पेक्ट्रोस्कोपी एक नई तकनीक की मशीन है जो इंफ्रारेड पर काम करता है. हमारा ब्रेन जब काम करता है तो उस समय ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ती है और यह मशीन ब्रेन के ऑक्सीजन सप्लाई को कैच करता है. यह मशीन बताती है कि ब्रेन के किस एरिया में ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन बढ़ रहा है या डिऑक्सिजनेटेड हिमोग्लोबिन बढ़ रहा है या घट रहा है.'- डॉ त्रिभुवन कुमार, विभागाध्यक्ष, फिजियोलॉजी, एम्स

इस मशीन से यह पता चलता है कि ब्रेन में कहां पर एक्टिविटी ज्यादा हो रही है. इस मशीन का यूज सामान्यत रिसर्च के उद्देश्य से किया जाएगा. जैसे कि सीबीए के मरीज है, मिर्गी के मरीज हैं या अन्य न्यूरोलॉजी के पेशेंट, उनमें ट्रीटमेंट की मॉनिटरिंग की जा सकती है. यह इजीली एसेसेबल है इस वजह से इस मशीन को मरीज के बेड के पास भी ले जाया जा सकता है.

मरीज को इस मशीन के पास तक उठकर आने की आवश्यकता नहीं है. इस मशीन से न्यूरोलॉजी के बीमारी में यह पता चलेगा कि ट्रीटमेंट का कितना असर हो रहा है और हो रहा है भी या नहीं. इस मशीन का यूज रिसर्च के उद्दश्य से किया जाएगा और रिसर्च का फायदा दूसरे मरीजों के इलाज में होगा.

'यह पटना एम्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. जितनी भी नई तकनीक आती है उसका उद्देश्य होता है कि लाइन में जो आखिरी नंबर पर व्यक्ति खड़ा है उस तक उसका लाभ पहुंचे. न्यूरो के अधिकांश बीमारी में डायग्नोसिस फिजीशियन के सोच पर निर्भर करता है. जिसे मेडिकल टर्म में सब्जेक्टिव डायग्नोसिस कहा जाता है. कोई मशीन ऐसी नहीं होती जो बीमारी पकड़ सके और बता सके कि यही स्पेसिफिक बीमारी है.'-डॉ कमलेश झा, एडिशनल प्रोफेसर, न्यूरोफिजियोलॉजी, एम्स

फंक्शनल नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का रिसर्च अगर आगे जाता है तो आने वाले समय में ब्रेन को अलग तरीके से समझने में मदद मिलेगी. डॉ कमलेश झा ने कहा कि वैज्ञानिक अभी भी ब्रेन को काफी कम जानते हैं और इस तकनीक से हमें ब्रेन को समझने में मदद मिलेगी. अगर हम ब्रेन को समझ पाते हैं तो तो यह न्यूरो चिकित्सा में एक क्रांति होगी.

खासकर डिप्रेशन के मरीज, मिर्गी के मरीज और छोटे बच्चों में कई सारी मानसिक बीमारियां आती हैं. इन सब के पीछे के कारण को सही तरीके से समझ पाने में मदद मिलेगी. एफएनआईआरएस(FNIRS) मशीन का इंस्टॉलेशन पटना एम्स में न्यूरो फिजियोलॉजी चिकित्सा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है.

यह भी पढ़ें- AIIMS Patna ने दी फाइटोरिलीफ दवा को मंजूरी, सेवन से 100 कोरोना मरीज हुए स्वस्थ

यह भी पढ़ें- सशस्त्र सीमा बल ने एम्स पटना में लगाए 400 पौधे, लोगों को किया जागरूक

पटना: एम्स पटना (AIIMS Patna) ने बड़ा प्रयोग किया है. एम्स में एफएनआईएस (Functional-Near Infrared Spectroscopy) का इंस्टॉलेशन किया गया है. यह मशीन लोगों के दिमाग को पढ़ेगी और दिमाग की गतिविधि से जानेगी कि तनाव कितना है.

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दरअसल बीते दिनों पटना एम्स के फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट में एफएनआईआरएस (FNIRS) मशीन का इंस्टॉलेशन हुआ है, जो पूर्वी भारत में अब तक का पहला मशीन है. इस मशीन का पूरा नाम फंक्शनल नियर इंफ्रारेड (Near Infrared) स्पेक्ट्रोस्कोपी है और यह मशीन इंफ्रारेड के माध्यम से काम करती है.

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'फंक्शनल नियर इंफ्रारेड (Near Infrared) स्पेक्ट्रोस्कोपी एक नई तकनीक की मशीन है जो इंफ्रारेड पर काम करता है. हमारा ब्रेन जब काम करता है तो उस समय ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ती है और यह मशीन ब्रेन के ऑक्सीजन सप्लाई को कैच करता है. यह मशीन बताती है कि ब्रेन के किस एरिया में ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन बढ़ रहा है या डिऑक्सिजनेटेड हिमोग्लोबिन बढ़ रहा है या घट रहा है.'- डॉ त्रिभुवन कुमार, विभागाध्यक्ष, फिजियोलॉजी, एम्स

इस मशीन से यह पता चलता है कि ब्रेन में कहां पर एक्टिविटी ज्यादा हो रही है. इस मशीन का यूज सामान्यत रिसर्च के उद्देश्य से किया जाएगा. जैसे कि सीबीए के मरीज है, मिर्गी के मरीज हैं या अन्य न्यूरोलॉजी के पेशेंट, उनमें ट्रीटमेंट की मॉनिटरिंग की जा सकती है. यह इजीली एसेसेबल है इस वजह से इस मशीन को मरीज के बेड के पास भी ले जाया जा सकता है.

मरीज को इस मशीन के पास तक उठकर आने की आवश्यकता नहीं है. इस मशीन से न्यूरोलॉजी के बीमारी में यह पता चलेगा कि ट्रीटमेंट का कितना असर हो रहा है और हो रहा है भी या नहीं. इस मशीन का यूज रिसर्च के उद्दश्य से किया जाएगा और रिसर्च का फायदा दूसरे मरीजों के इलाज में होगा.

'यह पटना एम्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. जितनी भी नई तकनीक आती है उसका उद्देश्य होता है कि लाइन में जो आखिरी नंबर पर व्यक्ति खड़ा है उस तक उसका लाभ पहुंचे. न्यूरो के अधिकांश बीमारी में डायग्नोसिस फिजीशियन के सोच पर निर्भर करता है. जिसे मेडिकल टर्म में सब्जेक्टिव डायग्नोसिस कहा जाता है. कोई मशीन ऐसी नहीं होती जो बीमारी पकड़ सके और बता सके कि यही स्पेसिफिक बीमारी है.'-डॉ कमलेश झा, एडिशनल प्रोफेसर, न्यूरोफिजियोलॉजी, एम्स

फंक्शनल नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का रिसर्च अगर आगे जाता है तो आने वाले समय में ब्रेन को अलग तरीके से समझने में मदद मिलेगी. डॉ कमलेश झा ने कहा कि वैज्ञानिक अभी भी ब्रेन को काफी कम जानते हैं और इस तकनीक से हमें ब्रेन को समझने में मदद मिलेगी. अगर हम ब्रेन को समझ पाते हैं तो तो यह न्यूरो चिकित्सा में एक क्रांति होगी.

खासकर डिप्रेशन के मरीज, मिर्गी के मरीज और छोटे बच्चों में कई सारी मानसिक बीमारियां आती हैं. इन सब के पीछे के कारण को सही तरीके से समझ पाने में मदद मिलेगी. एफएनआईआरएस(FNIRS) मशीन का इंस्टॉलेशन पटना एम्स में न्यूरो फिजियोलॉजी चिकित्सा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है.

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