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कोरोना विस्फोट: 'हर बार बिहार की किरकिरी होने के बाद एक्टिव होती है सरकार'

प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में स्वास्थ्य और शिक्षा कभी रहा ही नहीं. सरकार भले प्रबंधन को लेकर अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन सच्चाई यही है. आज भी 1% बिहार की आबादी का टेस्ट करना हो, तो जिस रफ्तार से टेस्ट हो रहा है. कई महीने लग जाएंगे.

पटना
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Published : Jul 22, 2020, 9:49 PM IST

पटना: कोरोना की वजह से एक बार फिर से बिहार की पूरे देश में किरकिरी शुरू है. इंसेफेलाइटिस के कारण पिछले साल भी बिहार की खूब बदनामी हुई थी और उसके बाद स्वास्थ्य विभाग एक्टिव हुआ था. इस बार भी पूरे देश में किरकिरी के बाद सरकार जांच बढ़ाने से लेकर इलाज की सुविधा बढ़ाने की घोषणा कर रही है.

स्वास्थ्य महकमे पर बीजेपी कोटे के मंत्रियों का रहा है कब्जा
बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है और स्वास्थ्य विभाग पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. चंद्रमोहन राय, अश्विनी चौबे, नंदकिशोर यादव और मंगल पांडे कुछ सालों को छोड़ दें, तो 15 सालों के दौरान बीजेपी के यही स्वास्थ्य मंत्री बनते रहे हैं. वहीं अश्विनी चौबे तो अभी केंद्र में राज्य मंत्री भी हैं. लेकिन इसके बावजूद बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हमेशा सवाल खड़ा होता रहा है.

patna
डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

'स्वास्थ्य और शिक्षा कभी नहीं रही सरकार की प्राथमिकता'
कभी इंसेफलाइटिस में बच्चों की मौत पर और अब कोरोना के टेस्ट से लेकर इलाज तक पर नीतीश सरकार निशाने पर है. नीतीश सरकार की ओर से कोरोना को लेकर सबसे बेहतर प्रबंधन का दावा किया जाता रहा है. लेकिन अब कोरोना संक्रमण के मामले प्रतिदिन जिस प्रकार से सामने आ रहे हैं. उसके बाद पूरे देश में किरकिरी शुरू हो गई है.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहीं प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में स्वास्थ्य और शिक्षा कभी रहा ही नहीं. सरकार भले प्रबंधन को लेकर अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन सच्चाई यही है. आज भी 1% बिहार की आबादी का टेस्ट करना हो, तो जिस रफ्तार से टेस्ट हो रहा है. कई महीने लग जाएंगे.

संक्रमण और मौत का आंकड़ा बढ़ने के बाद सरकार ने पिछले कुछ दिनों में कई बड़े फैसले लिए हैं...

  • टेस्ट 20000 करने का फैसला.
  • रैपिड एंटीजन टेस्ट पीएचसी स्तर पर करने का फैसला.
  • मेडिकल कॉलेजों में 100 बेड बढ़ाने का फैसला.
  • कोविड मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से मिल रही शिकायतों के बाद अधिकारियों की टीम के साथ कंट्रोल रूम बनाने का फैसला.
  • अनुमंडलीय स्तर पर भी इलाज की व्यवस्था का फैसला.
  • निजी अस्पतालों में भी कॉविड इलाज की व्यवस्था का फैसला.
  • स्वास्थ्य कर्मियों को जांच और इलाज से संबंधित ट्रेनिंग का फैसला.
  • होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की मॉनिटरिंग का फैसला.
  • ऑन डिमांड कोरोना टेस्ट का फैसला.

अब तक 4 लाख हुए टेस्ट
डीएम दिवाकर ने कहा कि बिहार में अब तक चार लाख टेस्ट हुए हैं, जो बिहार की आबादी के समतुल्य राज्यों से काफी कम है. पिछले कुछ दिनों से 10,000 से अधिक टेस्ट जरूर हो रहे हैं. लेकिन अभी भी रिपोर्ट आने में काफी समय लग जा रहे है. मुख्यमंत्री आवास, राजभवन सचिवालय से लेकर मंत्रियों के आवास, अधिकारियों के आवास तक बड़ी संख्या में संक्रमित केस मिल चुके हैं. अब तक 208 कोरोना संक्रमित की मौत भी हो चुकी है. इसमें 4 डॉक्टर, एक विधान पार्षद, पूर्व सांसद, गृह विभाग का एक अधिकारी और मंत्री का पीए भी शामिल है. बिहार में कोरोना संक्रमण के लगभग 10,000 के एक्टिव केस हैं. कुल मिलाकर अब सरकार एक्टिव जरूर हुई है. लेकिन स्थिति गंभीर होने के बाद.

पटना: कोरोना की वजह से एक बार फिर से बिहार की पूरे देश में किरकिरी शुरू है. इंसेफेलाइटिस के कारण पिछले साल भी बिहार की खूब बदनामी हुई थी और उसके बाद स्वास्थ्य विभाग एक्टिव हुआ था. इस बार भी पूरे देश में किरकिरी के बाद सरकार जांच बढ़ाने से लेकर इलाज की सुविधा बढ़ाने की घोषणा कर रही है.

स्वास्थ्य महकमे पर बीजेपी कोटे के मंत्रियों का रहा है कब्जा
बिहार में 2005 से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है और स्वास्थ्य विभाग पर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. चंद्रमोहन राय, अश्विनी चौबे, नंदकिशोर यादव और मंगल पांडे कुछ सालों को छोड़ दें, तो 15 सालों के दौरान बीजेपी के यही स्वास्थ्य मंत्री बनते रहे हैं. वहीं अश्विनी चौबे तो अभी केंद्र में राज्य मंत्री भी हैं. लेकिन इसके बावजूद बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हमेशा सवाल खड़ा होता रहा है.

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डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

'स्वास्थ्य और शिक्षा कभी नहीं रही सरकार की प्राथमिकता'
कभी इंसेफलाइटिस में बच्चों की मौत पर और अब कोरोना के टेस्ट से लेकर इलाज तक पर नीतीश सरकार निशाने पर है. नीतीश सरकार की ओर से कोरोना को लेकर सबसे बेहतर प्रबंधन का दावा किया जाता रहा है. लेकिन अब कोरोना संक्रमण के मामले प्रतिदिन जिस प्रकार से सामने आ रहे हैं. उसके बाद पूरे देश में किरकिरी शुरू हो गई है.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहीं प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता में स्वास्थ्य और शिक्षा कभी रहा ही नहीं. सरकार भले प्रबंधन को लेकर अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन सच्चाई यही है. आज भी 1% बिहार की आबादी का टेस्ट करना हो, तो जिस रफ्तार से टेस्ट हो रहा है. कई महीने लग जाएंगे.

संक्रमण और मौत का आंकड़ा बढ़ने के बाद सरकार ने पिछले कुछ दिनों में कई बड़े फैसले लिए हैं...

  • टेस्ट 20000 करने का फैसला.
  • रैपिड एंटीजन टेस्ट पीएचसी स्तर पर करने का फैसला.
  • मेडिकल कॉलेजों में 100 बेड बढ़ाने का फैसला.
  • कोविड मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से मिल रही शिकायतों के बाद अधिकारियों की टीम के साथ कंट्रोल रूम बनाने का फैसला.
  • अनुमंडलीय स्तर पर भी इलाज की व्यवस्था का फैसला.
  • निजी अस्पतालों में भी कॉविड इलाज की व्यवस्था का फैसला.
  • स्वास्थ्य कर्मियों को जांच और इलाज से संबंधित ट्रेनिंग का फैसला.
  • होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की मॉनिटरिंग का फैसला.
  • ऑन डिमांड कोरोना टेस्ट का फैसला.

अब तक 4 लाख हुए टेस्ट
डीएम दिवाकर ने कहा कि बिहार में अब तक चार लाख टेस्ट हुए हैं, जो बिहार की आबादी के समतुल्य राज्यों से काफी कम है. पिछले कुछ दिनों से 10,000 से अधिक टेस्ट जरूर हो रहे हैं. लेकिन अभी भी रिपोर्ट आने में काफी समय लग जा रहे है. मुख्यमंत्री आवास, राजभवन सचिवालय से लेकर मंत्रियों के आवास, अधिकारियों के आवास तक बड़ी संख्या में संक्रमित केस मिल चुके हैं. अब तक 208 कोरोना संक्रमित की मौत भी हो चुकी है. इसमें 4 डॉक्टर, एक विधान पार्षद, पूर्व सांसद, गृह विभाग का एक अधिकारी और मंत्री का पीए भी शामिल है. बिहार में कोरोना संक्रमण के लगभग 10,000 के एक्टिव केस हैं. कुल मिलाकर अब सरकार एक्टिव जरूर हुई है. लेकिन स्थिति गंभीर होने के बाद.

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