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रियलिटी टेस्ट : शौचालयों में लटका है ताला, गंदगी आपार, '2 नंबर' के लिए कहां लगाए कतार?

पटना में 200 मॉड्यूलर शौचालय बनाए गए और इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी के लिए लाखों की राशि खर्च करने का बजट भी जारी हुआ. लेकिन जमीन पर ये शौचालय हाथी के दांत बनकर रह गए हैं. पढ़ें और देखें ये रिपोर्ट...

पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट
पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट
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Published : Dec 14, 2020, 9:57 PM IST

पटना: स्वच्छता की रैंकिंग में राजधानी पटना को जो स्थान मिला, उसने बता दिया कि यहां प्रशासन और संबंधित विभाग राजधानी की साफ सफाई रखने के लिए किस तरह काम कर रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने एक और रियलिटी चेक किया, जिसमें पटना नगर निगम की उदासीनता की एक और तस्वीर सामने आई है.

10 लाख से ज्यादा आबादी वाले साफ शहरों की नेशनल इंडेक्स, स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की नई रैंकिंग में पटना को 47वें स्थान पर जगह मिली. जो कि सूची में सबसे अंतिम पायदान पर है. लिहाजा, पटना नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे. आखिर क्यों पटना को अंतिम पायदान पर जगह मिली, इसकी तस्दीक हमारे संवाददाता नीरज त्रिपाठी ने की.

पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

पटना अनलॉक-टॉयलेट लॉक
पटना नगर निगम के तमाम चौक-चौराहों पर आम लोगों के उपयोग के लिए निशुल्क शौचालय बनाए गए थे. करोड़ों की लागत से बने ये टॉयलेट आज हाथी का दांत बनकर रह गए हैं. पटना में कोरोना की एंट्री के समय सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगा दिया गया था. ये ताला आज भी लटका हुआ है. ऐसे में अनलॉक के बाद जन-जीवन पटरी पर लौटा तो, लेकिन पटना नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी आज भी बेपटरी दिखाई दे रहे हैं.

शौचालय में जलजमाव की समस्या
शौचालय में जलजमाव की समस्या

हड़ताली मोड़ के हाल : शौचालय में गंदगी आपार
सबसे पहले हमने पटना के हड़ताली मोड़ चौराहे के टॉयलेट्स की स्थिति का जायजा लिया तो वहां मौजूद चार सार्वजनिक टॉयलेट्स में से तीन में ताला लटका मिला. वहीं, जिस शौचालय का लॉक खुला हुआ था, उसकी स्थिति बड़ी दयनीय थी. शौचालय की सीट गंदगी से पटी हुई थी.

यहां मौजूद पुलिस चेक पोस्ट के कर्मियों ने बताया कि जब उन्हें शौचालय जाना होता है तो वे इसका प्रयोग ना कर बगल में बने पंत भवन के वॉशरूम में जाते हैं.

स्थिति बड़ी दयनीय
स्थिति बड़ी दयनीय

हाई कोर्ट और वीमेन्स कॉलेज
वहीं, जब हमने पटना हाई कोर्ट के और वीमेन्स कॉलेज के ऑपोजिट बने सार्वजनिक टॉयलेट की स्थिति की जांच की तो वहां सभी टॉयलेट के दरवाजे तो जरूर खुले नजर आए लेकिन इनमें गंदगी देख हमारी भी हालत पस्त हो गई.

कारगिल चौक का हाल
हमारी टीम ने जब पटना के कारगिल चौक पर बनाए गए सार्वजनिक टॉयलेट जांच की तो यहां के कुल 4 सार्वजनिक टॉयलेट में से एक में ताला लटका मिला. वहीं, अन्य दो को लोहे के तारों से लॉक मिले.

हाथी दांत बने शौचालय
हाथी दांत बने शौचालय
  • यहां सीवरेज की समस्या भी देखने को मिली, माने बंद शौचालय से मल-मूत्र निकलकर बाहर बह रहा था.

स्थानीय दुकानदारों और आते-जाते लोगों से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पूछा कि अगर उन्हें शौच करना होता है तो वे क्या करते हैं. इसपर लोगों ने साफ कह दिया कि इन टॉयलेट्स के हाल तो आपके सामने ही हैं. अब क्या ही करेंगे. आप समझ सकते हैं.

शौचालय के गेट पर लटका ताला
शौचालय के गेट पर लटका ताला

खुले में शौच से मुक्त भारत के लिए वैसे तो कई अभियान चलाए गए. वहीं, पटना में स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये भी खर्च हुए लेकिन जमीन पर हालात सुधरे हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. आंकड़ों की मानें तो पटना के 64 जगहों पर 200 मॉड्यूलर शौचालय बनाए गए. इनके संचालन की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाईजेशन को सौंपी गई है. इस संस्था को पटना नगर निगम खर्च देता है. शौचालयों के रख-रखाव के लिए प्रतिमाह 5.84 लाख रुपये की राशि निगम बजट में रखी है.

जाएं तो जाएं कहां ?
जाएं तो जाएं कहां ?

वीआईपी लोगों के लिए लटकाए गये ताले?
करोड़ों खर्च कर बनाए गये इन शौचालयों पर लटके ताले देख ऐसा लगता है कि मानों ये किसी वीआईपी के लिए हो. सवाल उठता है कि टॉयलेट्स पर जमी गंदगी को कब साफ करवाया जाएगा. क्या ऐसे ही पटना स्वच्छता की रैंकिंग में अव्वल स्थान दिलाया जाएगा या एक बार फिर सुर्खियों में पटना सिर्फ इसलिए होगा क्योंकि यहां गंदगी आपार है.

पटना: स्वच्छता की रैंकिंग में राजधानी पटना को जो स्थान मिला, उसने बता दिया कि यहां प्रशासन और संबंधित विभाग राजधानी की साफ सफाई रखने के लिए किस तरह काम कर रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने एक और रियलिटी चेक किया, जिसमें पटना नगर निगम की उदासीनता की एक और तस्वीर सामने आई है.

10 लाख से ज्यादा आबादी वाले साफ शहरों की नेशनल इंडेक्स, स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की नई रैंकिंग में पटना को 47वें स्थान पर जगह मिली. जो कि सूची में सबसे अंतिम पायदान पर है. लिहाजा, पटना नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे. आखिर क्यों पटना को अंतिम पायदान पर जगह मिली, इसकी तस्दीक हमारे संवाददाता नीरज त्रिपाठी ने की.

पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

पटना अनलॉक-टॉयलेट लॉक
पटना नगर निगम के तमाम चौक-चौराहों पर आम लोगों के उपयोग के लिए निशुल्क शौचालय बनाए गए थे. करोड़ों की लागत से बने ये टॉयलेट आज हाथी का दांत बनकर रह गए हैं. पटना में कोरोना की एंट्री के समय सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगा दिया गया था. ये ताला आज भी लटका हुआ है. ऐसे में अनलॉक के बाद जन-जीवन पटरी पर लौटा तो, लेकिन पटना नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी आज भी बेपटरी दिखाई दे रहे हैं.

शौचालय में जलजमाव की समस्या
शौचालय में जलजमाव की समस्या

हड़ताली मोड़ के हाल : शौचालय में गंदगी आपार
सबसे पहले हमने पटना के हड़ताली मोड़ चौराहे के टॉयलेट्स की स्थिति का जायजा लिया तो वहां मौजूद चार सार्वजनिक टॉयलेट्स में से तीन में ताला लटका मिला. वहीं, जिस शौचालय का लॉक खुला हुआ था, उसकी स्थिति बड़ी दयनीय थी. शौचालय की सीट गंदगी से पटी हुई थी.

यहां मौजूद पुलिस चेक पोस्ट के कर्मियों ने बताया कि जब उन्हें शौचालय जाना होता है तो वे इसका प्रयोग ना कर बगल में बने पंत भवन के वॉशरूम में जाते हैं.

स्थिति बड़ी दयनीय
स्थिति बड़ी दयनीय

हाई कोर्ट और वीमेन्स कॉलेज
वहीं, जब हमने पटना हाई कोर्ट के और वीमेन्स कॉलेज के ऑपोजिट बने सार्वजनिक टॉयलेट की स्थिति की जांच की तो वहां सभी टॉयलेट के दरवाजे तो जरूर खुले नजर आए लेकिन इनमें गंदगी देख हमारी भी हालत पस्त हो गई.

कारगिल चौक का हाल
हमारी टीम ने जब पटना के कारगिल चौक पर बनाए गए सार्वजनिक टॉयलेट जांच की तो यहां के कुल 4 सार्वजनिक टॉयलेट में से एक में ताला लटका मिला. वहीं, अन्य दो को लोहे के तारों से लॉक मिले.

हाथी दांत बने शौचालय
हाथी दांत बने शौचालय
  • यहां सीवरेज की समस्या भी देखने को मिली, माने बंद शौचालय से मल-मूत्र निकलकर बाहर बह रहा था.

स्थानीय दुकानदारों और आते-जाते लोगों से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पूछा कि अगर उन्हें शौच करना होता है तो वे क्या करते हैं. इसपर लोगों ने साफ कह दिया कि इन टॉयलेट्स के हाल तो आपके सामने ही हैं. अब क्या ही करेंगे. आप समझ सकते हैं.

शौचालय के गेट पर लटका ताला
शौचालय के गेट पर लटका ताला

खुले में शौच से मुक्त भारत के लिए वैसे तो कई अभियान चलाए गए. वहीं, पटना में स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये भी खर्च हुए लेकिन जमीन पर हालात सुधरे हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं. आंकड़ों की मानें तो पटना के 64 जगहों पर 200 मॉड्यूलर शौचालय बनाए गए. इनके संचालन की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाईजेशन को सौंपी गई है. इस संस्था को पटना नगर निगम खर्च देता है. शौचालयों के रख-रखाव के लिए प्रतिमाह 5.84 लाख रुपये की राशि निगम बजट में रखी है.

जाएं तो जाएं कहां ?
जाएं तो जाएं कहां ?

वीआईपी लोगों के लिए लटकाए गये ताले?
करोड़ों खर्च कर बनाए गये इन शौचालयों पर लटके ताले देख ऐसा लगता है कि मानों ये किसी वीआईपी के लिए हो. सवाल उठता है कि टॉयलेट्स पर जमी गंदगी को कब साफ करवाया जाएगा. क्या ऐसे ही पटना स्वच्छता की रैंकिंग में अव्वल स्थान दिलाया जाएगा या एक बार फिर सुर्खियों में पटना सिर्फ इसलिए होगा क्योंकि यहां गंदगी आपार है.

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