समस्तीपुर: रोसड़ा व्यवहार न्यायालय ने 26 साल पुराने पांच वर्षीया दिव्यांग बच्ची की हत्या मामले में सजा सुनाई है. दिल को दहला देने वाले इस चर्चित हत्याकांड मामले में बच्ची के माता-पिता भी दोषी पाये गये हैं. कोर्ट ने इस मामले में तीन को आजीवन कारावास व अन्य को दस-दस साल की सजा सुनाई है.
दिव्यांग बच्ची हत्याकांड में आया फैसला: रोसड़ा व्यवहार न्यायालय के एडीजे द्वितीय उमेश कुमार की कोर्ट ने बुधवार को 5 वर्षीया दिव्यांग बच्ची की हत्या मामले में सुनवाई पूरी की है. इस दौरान तीन हत्यारोपियों को आजीवन कारावास और मृतका के माता-पिता के साथ कई चर्चित चेहरों समेत कुल 8 आरोपियों को दस साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी है.
कैसे हुई थी दिव्यांग बच्ची की हत्या: गौरतलब हो कि 26 साल पहले 20 जून 1998 को रोसड़ा थाना क्षेत्र के महुली गांव में मामूली विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच तनातनी हुई थी. इसमें एक पांच वर्षीय मासूम बच्ची की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में मृतका के पिता युगेश्वर यादव ने पुलिस को दिए गए फर्द बयान में कृष्ण कांत हिमांशु, घनश्याम प्रसाद निराला व उमेश कुमार केसरी समेत तीन अन्य को नामजद किया था.
बच्ची के पिता ने दर्ज कराया था हत्या का मामला: रोसड़ा थाना में दर्ज कांड में बच्ची के पिता ने कहा था कि उक्त सभी आरोपी हथियार से लैस होकर उनके घर आये और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. गोली उनकी पांच वर्षीया बच्ची सिकिम कुमारी को लगी, जिससे उसकी मौत हो गयी. वहीं अन्य सदस्यों ने भागकर अपनी जान बचाई. वहीं दूसरी तरफ इस हत्याकांड में आरोपी ठहराए गए पक्ष की ओर से सुरेश यादव ने न्यायालय में इस मामले को लेकर अभियोग दायर किया था.
दूसरे पक्ष ने परिवार पर लगाया था हत्या का आरोप: आरोपी ठहराए गए पक्ष की ओर से सुरेश यादव ने अभियोग में मृतका के माता-पिता समेत कुल 9 लोगों पर आरोप लगाया था. आवेदक ने अभियोग पत्र में कहा था कि मृतका के माता-पिता और उनके साथियों ने उन लोगों को फंसाने के लिए साजिश रचकर अपनी बेटी की हत्या कर दी थी.
हत्याकांड में 11 लोग पाए गए दोषी: सुरेश यादव ने आरोप लगाया था कि युगेश्वर यादव की बेटी पोलियो की शिकार थी, जिस कारण इन लोगों ने उसके हत्या की साजिश रची. मामले को लेकर इस केस से संबंधित वकील महेंद्र प्रसाद ने बताया कि कुल 11 लोगों को दोषी पाते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में लिया गया है. जिसमें 3 को आजीवन कारावास और अन्य दोषियों को दस-दस वर्ष की सजा हुई है. वहीं 26 साल बाद दिव्यांग बच्ची के मौत के गुनहगारों को मिली इस सजा को लेकर लोगों के बीच काफी चर्चा है. इस मामले में कई हाईप्रोफाइल लोग भी सलाखों के पीछे पंहुचे हैं, जिसमे दो वकील, पूर्व मुखिया, पूर्व प्रमुख के पति और शिक्षक भी शामिल है.
"रोसड़ा व्यवहार न्यायालय ने 26 साल बाद दिव्यांग बच्ची के हत्याकांड मामले में सजा सुनायी है. जिसमें 3 को आजीवन कारावास और अन्य दोषियों को दस-दस वर्ष की सजा हुई है. मृतका के माता-पिता के साथ कई चर्चित चेहरों समेत कुल 8 आरोपियों को दस साल सश्रम कारावास की सजा मिली है." - महेंद्र प्रसाद, वकील
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