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बिहार: एक तरफ पानी ही पानी, दूसरी तरफ प्यासी है राजधानी! - patna news

राजधानी पटना के पॉश इलाके में पेयजल की समस्या विकराल हो चली है. आपूर्ति के नाम पर जो कुछ किया जा रहा है. उससे लोग इस खौफ में हैं कि कहीं वो महामारी की चपेट में न आ जाएं. पढ़ें पूरी खबर...

पटना की स्थिति
पटना की स्थिति
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Published : Jul 28, 2020, 5:01 PM IST

पटना: जहां एक ओर बारिश ने बिहार के कई जिलों को जलमग्न कर दिया है. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. तो वहीं, दूसरी तरफ लोग पीने के पानी के लिए व्याकुल नजर आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि लोग बाढ़ के पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. ये तो बात रही बाढ़ प्रभावित इलाकों की. अब पटना के हाल देख लीजिए.

सरकार ने राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया था. लेकिन पटना शहर के हालात स्मार्ट जैसे नहीं दिख रहे हैं. सड़कों में पानी भरा हुआ है और चारों ओर महामारी फैली हुई है. ऐसे में पेयजल संकट भी गहरा गया है. मामला, पटना के कंकड़बाग वार्ड नंबर 35 स्थित पंच शिव मंदिर के पास जनता फ्लैट, एलआईसी, रेंटल फ्लैट का है. यहां की करीब 400 से 500 की आबादी पेयजल को लेकर त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही है.

पटना से प्रणव की रिपोर्ट

पहले आता था गंदा पानी, अब...
लोगों का आरोप है कि उनके घर में सप्लाई का पानी आता है. पिछले तीन-चार महीनों से पानी की समस्या बढ़ गई है क्योंकि पानी काफी गंदा आ रहा है. जैसे-तैसे काम चल रहा था. लेकिन मोटर खराब हो जाने के कारण अब वह भी पानी बंद हो गया है. पिछले 15 दिनों स्थिति यह है कि घर में खाना बनाने के भी पानी नहीं है. सभी लोग काफी परेशान हैं. इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

'पानी भरने बाहर जाना पड़ता है'
'पानी भरने बाहर जाना पड़ता है'

'कोई सुनने वाला नहीं'
ईटीवी भारत से बात करते हुए पंकजेश ने बताया कि पानी हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है. लेकिन हम तीन चार महीनों से इस समस्या से जूझ रहे हैं. पहले पानी गंदा आता था. लेकिन अब वह भी नहीं आ रहा. कई बार हमने शिकायत भी की है. लेकिन कोई सुनने वाला तक नहीं.

पेयजल समस्या के व्याकुल लोग
पेयजल समस्या के व्याकुल लोग

टैंकर से की जा रही आपूर्ति
वहीं, किरण सिंह कहती हैं, 'जब हम वार्ड पार्षद को फोन करते हैं, तो वह फोन नहीं उठाते. उनसे मिलने जाते हैं, तो मुलाकात भी नहीं करते. स्थानीय विधायक को भी हमने कई बार समस्या बताया. लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा. अंत में दो टैंकर पानी भेजे गये हैं. लेकिन हजार लोगों की प्यास तो एक टैंकर नहीं बुझा सकता है.

टैंकर से पानी भरने में लगता है डर
चंदा देवी कहती हैं, 'इस कोरोना महामारी के समय में हमें टैंकर के पास पानी भरने में भी डर लगता है क्योंकि वहां भीड़ लग जाती है. समझ नहीं आता कि हम क्या करें, क्या खाएं और क्या पिएं. संक्रमण से बचने के लिए कहा जाता है कि हाथ-पैर धुलते रहिए. लेकिन यहां तो पीने तक का पानी नहीं है. विधायक पार्षद के यहां चक्कर काटते काटते थक गए. लेकिन कोई हमारी समस्या का समाधान नहीं कर रहा.'

इस टैंकर से बुझ रही प्यास
इस टैंकर से बुझ रही प्यास

बिहार के लोग कोरोना वायरस और बाढ़ से पहले से ही परेशान हैं. ऐसे में सूबे की राजधानी के पॉश इलाके में ऐसी हालत है. महीनों से लोगों को पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है. 'हर घर नल का जल' योजना को सफलता के लिए नीतीश सरकार और उनके अधिकारी कई बार अपनी पीठ थपथपाते दिखाई देते हैं. लेकिन जब पटना के ये हाल हैं, तो अन्य जिलों के कैसे होंगे. इसका सहज आकलन किया जा सकता है.

पटना: जहां एक ओर बारिश ने बिहार के कई जिलों को जलमग्न कर दिया है. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. तो वहीं, दूसरी तरफ लोग पीने के पानी के लिए व्याकुल नजर आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि लोग बाढ़ के पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. ये तो बात रही बाढ़ प्रभावित इलाकों की. अब पटना के हाल देख लीजिए.

सरकार ने राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया था. लेकिन पटना शहर के हालात स्मार्ट जैसे नहीं दिख रहे हैं. सड़कों में पानी भरा हुआ है और चारों ओर महामारी फैली हुई है. ऐसे में पेयजल संकट भी गहरा गया है. मामला, पटना के कंकड़बाग वार्ड नंबर 35 स्थित पंच शिव मंदिर के पास जनता फ्लैट, एलआईसी, रेंटल फ्लैट का है. यहां की करीब 400 से 500 की आबादी पेयजल को लेकर त्राहीमाम-त्राहीमाम कर रही है.

पटना से प्रणव की रिपोर्ट

पहले आता था गंदा पानी, अब...
लोगों का आरोप है कि उनके घर में सप्लाई का पानी आता है. पिछले तीन-चार महीनों से पानी की समस्या बढ़ गई है क्योंकि पानी काफी गंदा आ रहा है. जैसे-तैसे काम चल रहा था. लेकिन मोटर खराब हो जाने के कारण अब वह भी पानी बंद हो गया है. पिछले 15 दिनों स्थिति यह है कि घर में खाना बनाने के भी पानी नहीं है. सभी लोग काफी परेशान हैं. इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

'पानी भरने बाहर जाना पड़ता है'
'पानी भरने बाहर जाना पड़ता है'

'कोई सुनने वाला नहीं'
ईटीवी भारत से बात करते हुए पंकजेश ने बताया कि पानी हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है. लेकिन हम तीन चार महीनों से इस समस्या से जूझ रहे हैं. पहले पानी गंदा आता था. लेकिन अब वह भी नहीं आ रहा. कई बार हमने शिकायत भी की है. लेकिन कोई सुनने वाला तक नहीं.

पेयजल समस्या के व्याकुल लोग
पेयजल समस्या के व्याकुल लोग

टैंकर से की जा रही आपूर्ति
वहीं, किरण सिंह कहती हैं, 'जब हम वार्ड पार्षद को फोन करते हैं, तो वह फोन नहीं उठाते. उनसे मिलने जाते हैं, तो मुलाकात भी नहीं करते. स्थानीय विधायक को भी हमने कई बार समस्या बताया. लेकिन कोई समाधान नहीं किया जा रहा. अंत में दो टैंकर पानी भेजे गये हैं. लेकिन हजार लोगों की प्यास तो एक टैंकर नहीं बुझा सकता है.

टैंकर से पानी भरने में लगता है डर
चंदा देवी कहती हैं, 'इस कोरोना महामारी के समय में हमें टैंकर के पास पानी भरने में भी डर लगता है क्योंकि वहां भीड़ लग जाती है. समझ नहीं आता कि हम क्या करें, क्या खाएं और क्या पिएं. संक्रमण से बचने के लिए कहा जाता है कि हाथ-पैर धुलते रहिए. लेकिन यहां तो पीने तक का पानी नहीं है. विधायक पार्षद के यहां चक्कर काटते काटते थक गए. लेकिन कोई हमारी समस्या का समाधान नहीं कर रहा.'

इस टैंकर से बुझ रही प्यास
इस टैंकर से बुझ रही प्यास

बिहार के लोग कोरोना वायरस और बाढ़ से पहले से ही परेशान हैं. ऐसे में सूबे की राजधानी के पॉश इलाके में ऐसी हालत है. महीनों से लोगों को पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है. 'हर घर नल का जल' योजना को सफलता के लिए नीतीश सरकार और उनके अधिकारी कई बार अपनी पीठ थपथपाते दिखाई देते हैं. लेकिन जब पटना के ये हाल हैं, तो अन्य जिलों के कैसे होंगे. इसका सहज आकलन किया जा सकता है.

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