पटना : कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में देशव्यापी लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में घर पर बंद रहने के कारण लोगों के दिमाग पर क्या असर पड़ रहा है. जब ईटीवी भारत के संवददाता ने पटना के मनो विशेषज्ञ से बात की तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन का अभी मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है. लोगों में डर चिड़चिड़ापन काफी अधिक बढ़ गया है. बात-बात पर लोग चिरचिरा जाते हैं. यह बच्चों, बुजुर्गों, युवाओं में काफी अधिक हो रहा है. क्योंकि लोग प्रस्टेशन में आ गए हैं. यही कारण है कि बात-बात पर उन्हें गुस्सा आ जाता है और गुस्से में हो चीजों को उठापटक करने लगते हैं.
लोगों का कॉन्फिडेंस हो गया है खत्म
मनो विशेषज्ञ ने बताया कि लोगों का रूटीन लाइफ बिल्कुल खत्म हो गया है, जिस वजह से समस्या काफी बढ़ गई है. लोग सही ढंग से अपनी नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं. लोगों से मिलना जुलना बिल्कुल कम हो गया है. काफी लोग लोगों से बात करने में भी कतरा रहे हैं. यही कारण है कि वह अपना गुस्सा कहीं भी उतार दे रहे हैं और चिड़चिड़ापन काफी अधिक आ गया है. लोगों का कॉन्फिडेंस बिल्कुल खत्म हो गया है.
लोगों के अंदर हो रहा है कोरोना फोबिया
मनो विशेषज्ञ ने बताया कि लोगों को खुद यह तय करना होगा कि आप खुद को बीमार बनाना चाहते हैं या स्वस्थ रखना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि यह बीमारी सिर्फ हमारी आपकी नहीं बल्कि पूरी दुनिया इससे ग्रस्त है और खुद को सुरक्षित रखने का दो ही तरीका है. लॉकडाउन का पालन करना और एहतियात बरतना. हर समय कोरोनावायरस की बात ना करें, क्योंकि हमेशा यह सब बात करने से बच्चों के दिमाग में खासकर नेगेटिविटी आ जाती है. आप इससे हट कर बात करेंगे, तो आपको भी अच्छा लगेगा और बच्चों को भी.
शारीरिक और मानसिक रूप से हो जाएंगे बीमार
मनो विशेषज्ञ ने बताया कि इस समय हम जितना इस महामारी से लड़ने का ताकात इकट्ठा करेंगे, उतना ही हमारे अंदर मानसिक बीमारी से लड़ने की भी ताकत आएगी. क्योंकि जब हम मानसिक रूप से कमजोर होंगे, तो स्वाभाविक सी बात है कि हम कई बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं. हमें लॉकडाउन का पालन तो जरूर करना है. लेकिन उसके साथ थी खुद को मजबूत भी बनाना है. क्योंकि अगर हम धैर्य खो देंगे और मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाएंगे, तो हमारे ऊपर कई बीमारियां धावा बोल देंगे. इसके बाद हम शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार हो जाएंगे.
लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी लोगों के अंदर रहेगा डर
डॉ. बिंदा सिंह ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी लोगों को थोड़ी परेशानी हो सकती है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम कोरोना की तरफ से अपना दिमाग हटाकर कहीं और लगाएं. वहीं, डॉ. विनय कुमार ने बताया कि समय ऐसा है कि लोगों को घर पर ही रहना पड़ रहा है. ऐसे में स्वाभाविक है कि उनके अंदर कुछ न कुछ बदलाव आएगा. क्योंकि रूटीन लाइफ पूरी तरीके से खत्म है और सभी लोग घर पर रहते रहते उब चुके हैं और ऐसे में चिड़चिड़ा ना स्वाभाविक है. उनके अंदर कुछ न कुछ बदलाव आएंगे क्योंकि लोग फ्रस्ट्रेट हो चुके हैं. इसलिए हमें अपने आप को मानसिक रूप से मजबूत बनाना होगा.
लॉकडाउन का करना होगा पालन
सिविल सर्जन राजकिशोर चौधरी ने बताया कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द करोना से निपटारा पाया जाए. लेकिन इसी बीच का ख्याल रखने की कोशिश की जा रही है. मनोरोग के लिए हेल्पलाइन ऑनलाइन नंबर जारी है. कोई समस्या होती है तो लोग उस पर संपर्क करते हैं. वहीं, उन्होंने सुझाव दिया है कि लोग घर पर परिवार के साथ समय बिताएं अखबार पर है टीवी देखें और घर के कामों में भी हाथ बताएं जिसे समय निकल जाएगा और हमें पता भी नहीं चलेगा. क्योंकि समय ऐसा है कि हम सभी को मिलजुल कर इस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन का पालन करना होगा.