नई दिल्ली: प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्पीकर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा है कि हमें अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए सनातन बोर्ड की जरूरत है. साथ ही उन्होंने 'सनातन बोर्ड' का संविधान मसौदा पेशकरने का ऐलान किया है. निरंजनी अखाड़े में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए ठाकुर ने कहा, "हमारा धर्म स्वतंत्र नहीं है क्योंकि हमारे मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है, हमारे गुरुकुल बंद हो चुके हैं और हमारी गौ माताएं सड़कों पर भटक रही हैं. हमें अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए सनातन बोर्ड की जरूरत है."
ठाकुर ने धर्म सभा के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "इस आयोजन में सभी अखाड़ों, चारों शंकराचार्यों के प्रतिनिधियों और सनातन धर्म से जुड़े व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व होगा. हमें सरकार से सनातन बोर्ड की जरूरत है और हम इसके बिना कुंभ नहीं छोड़ेंगे."
उन्होंने गुरुवार को घोषणा की कि 27 जनवरी को होने वाली आगामी धर्म सभा को 'धर्म की स्वतंत्रता का दिवस' के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन 'सनातन बोर्ड' का संविधान मसौदा पेश किया जाएगा.
27 जनवरी को दिया जाएगा अंतिम रूप
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, "27 जनवरी को धर्म सभा में सभी धर्मगुरुओं की मौजूदगी में सनातन बोर्ड के संविधान के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी."
'मानवता के लिए आवश्यक है सनातन बोर्ड'
वहीं, इस संबंध में जूना अखाड़े के महंत स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि ने कहा, "सनातन बोर्ड सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए आवश्यक है. दुनिया भर में आतंकवाद, घृणा और अराजकता को केवल सनातन बोर्ड के माध्यम से ही मिटाया जा सकता है."
'राष्ट्र की अखंडता के लिए जरूरी'
निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर और उज्जैन के अरजी हनुमान जी मंदिर के महंत स्वामी प्रेमानंद पुरी ने कहा, "कुछ लोग दावा करते हैं कि गंगा की भूमि वक्फ बोर्ड की है. हमें स्पष्ट करना चाहिए कि सनातन धर्म सूर्य के उदय होने के समय से ही अस्तित्व में है. राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने के लिए सनातन बोर्ड का गठन जरूरी है."
जहां आस्था, वहीं सनातन
आनंद अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी बालनकानंद गिरि महाराज ने कहा, "जहां आस्था है, वहीं सनातन है. अगर आपको विश्वास नहीं है, तो गहराई से खोजिए, आपको मूल में सनातन ही मिलेगा. सनातन धर्म की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन जरूरी है."