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National Doctor's Day: कोरोना मरीजों के बीच ड्यूटी करते रहे डॉ.अरुण अजय, कर्तव्य के आगे भूले परिवार

हर साल एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस यानी नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस बार का यह दिन और भी खास हो जाता है क्योंकि कोरोना काल में धरती के भगवान कहे जाने वाले इन डॉक्टरों ने अपनी परवाह किए बगैर मरीजों का इलाज किया. इन्हीं में से एक हैं पीएमसीएच के उपाधीक्षक..

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Published : Jul 1, 2021, 6:49 AM IST

doctors day special
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पटना: 1 जुलाई को विश्व चिकित्सक दिवस ( World Doctor Day ) के रुप में मनाया जाता है. इस दिन कई सामाजिक संस्थाएं चिकित्सकों को समाज में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित करती है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान समाज ने चिकित्सकों के योगदान का लोहा माना है. ऐसे में इस मौके पर ईटीवी भारत पटना के एक ऐसे ही चिकित्सक से आपको अवगत कराने जा रहा है जो खुद बीमार रहने के बावजूद कोरोना के दौरान कोरोना वार्ड में निरंतर ड्यूटी करते रहे.

यह भी पढ़ें- Delta Plus Variant: कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट क्यों है ज्यादा खतरनाक, पटना एम्स के डॉक्टर से समझिए

बीमार होने के बावजूद करते रहे इलाज
कोरोना की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी, उस समय पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉ अजय अरुण कोरोना सस्पेक्टेड हो गए. उन्हें बुखार हो गया साथ ही कोरोना के सभी लक्षण भी दिख रहे थे. मगर उन्होंने एक भी दिन छुट्टी नहीं ली और सुबह 8:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक कोरोना वार्ड में ड्यूटी करते रहे.

देखें वीडियो

'वो समय काफी क्रिटिकल समय था. कोविड-19 वार्ड का प्रभारी होने के कारण लगातार ड्यूटी पर बने रहना भी बेहद जरूरी था. कोरोना चरम पर था. उस वक्त अगर छुट्टी लेता तो अस्पताल में व्यवस्था चरमरा जाने का मुझे डर था. सभी मरीजों की स्थिति और सभी स्टाफ के ड्यूटी पर पैनी नजर बनाए हुए था और लगातार उनकी मॉनिटरिंग करता था. ताकि कोरोना मरीजों के इलाज में कोई लापरवाही ना हो. जहां तक मुझसे संभव हुआ मैंने अपने कर्तव्य का पालन किया.'- डॉ अजय अरुण,प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

doctors day special
डॉ अजय अरुण,प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

परिवार से दूर करते रहे मरीजों की सेवा
इस दौरान डॉ अजय अरुण कोरोना जांच करा कर आते और फिर कोरोना वार्ड में ड्यूटी में लग जाते. पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सकों के निर्देश पर उन्होंने एचआरसीटी कराया और जांच कराने के तुरंत बाद कोरोना वार्ड के अंदर ड्यूटी करने लगे.

'होली के बाद अचानक से कोरोना संक्रमण काफी तेजी से बढ़ गया. होली तक अस्पताल में कोरोना के 4 मरीज थे मगर होली के बाद अचानक से काफी मरीज बढ़ गए. 3 दिन में मरीजों की संख्या बढ़कर 100 हो गई और सभी बेड फुल हो गए. यह स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण थी.'- डॉ अजय अरुण,प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

'मरीजों की रहती थी चिंता'
अस्पताल में बेड फुल होने के बाद डॉ अजय काफी परेशान हो गए. काफ संख्या में मरीज अस्पताल से बिना एडमिट हुए लौटने लगे. डॉ अजय अरुण ने कहा कि उस दौरान कोशिश की गई कि अस्पताल कैंपस में जब तक मरीज रहे उनको एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी ना हो.

'मरीज के परिजनों के उग्र होने से परेशानी'
डॉक्टर कहत हैं कि कोरोना काल में मरीज के परिजन बहुत उग्र हो रहे थे जिसके कारण और परेशानी हुई. उन्होंने बताया कि कोरोना के दौरान मरीज के परिजन मरीज से मिल नहीं सकते थे, इसलिए वह काफी परेशान रहते थे. ऐसे में वह उग्र ना हो इसके लिए उन्होंने तमाम व्यवस्थाएं की थी. सभी मरीज का हेल्थ बुलेटिन परिजन जहां बैठते थे वहीं टीवी स्क्रीन पर निरंतर चल रहा था.

'अच्छा मिला परिजनों का फीडबैक'
मरीज के परिजनों की पीड़ा डॉक्टर अजय महसूस कर रहे थे. परिजनों को उनके मरीज को समय-समय पर सीसीटीवी के माध्यम से भी दिखाया जाता था. उन्होंने कहा कि यहां निरंतर विजिट के लिए मंत्री और अधिकारी आते रहे और इस दौरान परिजनों का काफी अच्छा फीडबैक मिला और 50 से 90% परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्था को खूब सराहा.

'परिवार से रहना पड़ा दूर'
डॉ अजय अरुण ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक थी और इससे सभी को भय था. ऐसे में उनकी वजह से उनका परिवार संक्रमित ना हो इसके लिए उन्होंने अपने परिवार को खुद से अलग रखा. इसके साथ ही जब संक्रमण चरम पर था तो उन्होंने चौबीसों घंटे अस्पताल में ड्यूटी की.

डॉक्टर्स डे पर संदेश
डॉ अजय अरुण ने कहा कि कोरोना के दौरान उन्होंने जो ड्यूटी की उसे वे किसी पर एहसान नहीं मानते बल्कि अपना कर्तव्य बताते हैं. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिली है. डॉक्टर्स डे के मौके पर डॉ अजय अरुण ने सलाह देते हुए कहा कि डॉक्टर एक सम्मानित पेशा है और भविष्य में भी यह रहना चाहिए. लेकिन हमें अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना है.

कोरोना काल में दिए योगदान को दुनिया कर रही सलाम
डॉक्टर्स को हमेशा से भगवान का दर्जा दिया जाता रहा है. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि वो हमेशा अपने वक्त और जान की परवाह किए बगैर अपने मरीजों की जान बचाने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं. कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जिस मुस्तैदी के साथ कोरोना वारियर्स की भूमिका निभायी है वो वास्तविकता में याद रखने योग्य है. कोरोना काल में डॉक्टरों द्वारा दिए गए योगदान को दुनिया सलाम कर रही है.

पटना: 1 जुलाई को विश्व चिकित्सक दिवस ( World Doctor Day ) के रुप में मनाया जाता है. इस दिन कई सामाजिक संस्थाएं चिकित्सकों को समाज में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित करती है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान समाज ने चिकित्सकों के योगदान का लोहा माना है. ऐसे में इस मौके पर ईटीवी भारत पटना के एक ऐसे ही चिकित्सक से आपको अवगत कराने जा रहा है जो खुद बीमार रहने के बावजूद कोरोना के दौरान कोरोना वार्ड में निरंतर ड्यूटी करते रहे.

यह भी पढ़ें- Delta Plus Variant: कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट क्यों है ज्यादा खतरनाक, पटना एम्स के डॉक्टर से समझिए

बीमार होने के बावजूद करते रहे इलाज
कोरोना की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी, उस समय पीएमसीएच के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी चिकित्सक डॉ अजय अरुण कोरोना सस्पेक्टेड हो गए. उन्हें बुखार हो गया साथ ही कोरोना के सभी लक्षण भी दिख रहे थे. मगर उन्होंने एक भी दिन छुट्टी नहीं ली और सुबह 8:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक कोरोना वार्ड में ड्यूटी करते रहे.

देखें वीडियो

'वो समय काफी क्रिटिकल समय था. कोविड-19 वार्ड का प्रभारी होने के कारण लगातार ड्यूटी पर बने रहना भी बेहद जरूरी था. कोरोना चरम पर था. उस वक्त अगर छुट्टी लेता तो अस्पताल में व्यवस्था चरमरा जाने का मुझे डर था. सभी मरीजों की स्थिति और सभी स्टाफ के ड्यूटी पर पैनी नजर बनाए हुए था और लगातार उनकी मॉनिटरिंग करता था. ताकि कोरोना मरीजों के इलाज में कोई लापरवाही ना हो. जहां तक मुझसे संभव हुआ मैंने अपने कर्तव्य का पालन किया.'- डॉ अजय अरुण,प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

doctors day special
डॉ अजय अरुण,प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

परिवार से दूर करते रहे मरीजों की सेवा
इस दौरान डॉ अजय अरुण कोरोना जांच करा कर आते और फिर कोरोना वार्ड में ड्यूटी में लग जाते. पीएमसीएच के वरिष्ठ चिकित्सकों के निर्देश पर उन्होंने एचआरसीटी कराया और जांच कराने के तुरंत बाद कोरोना वार्ड के अंदर ड्यूटी करने लगे.

'होली के बाद अचानक से कोरोना संक्रमण काफी तेजी से बढ़ गया. होली तक अस्पताल में कोरोना के 4 मरीज थे मगर होली के बाद अचानक से काफी मरीज बढ़ गए. 3 दिन में मरीजों की संख्या बढ़कर 100 हो गई और सभी बेड फुल हो गए. यह स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण थी.'- डॉ अजय अरुण,प्रभारी चिकित्सक, कोविड-19 वार्ड, पीएमसीएच

'मरीजों की रहती थी चिंता'
अस्पताल में बेड फुल होने के बाद डॉ अजय काफी परेशान हो गए. काफ संख्या में मरीज अस्पताल से बिना एडमिट हुए लौटने लगे. डॉ अजय अरुण ने कहा कि उस दौरान कोशिश की गई कि अस्पताल कैंपस में जब तक मरीज रहे उनको एंबुलेंस में ऑक्सीजन की कमी ना हो.

'मरीज के परिजनों के उग्र होने से परेशानी'
डॉक्टर कहत हैं कि कोरोना काल में मरीज के परिजन बहुत उग्र हो रहे थे जिसके कारण और परेशानी हुई. उन्होंने बताया कि कोरोना के दौरान मरीज के परिजन मरीज से मिल नहीं सकते थे, इसलिए वह काफी परेशान रहते थे. ऐसे में वह उग्र ना हो इसके लिए उन्होंने तमाम व्यवस्थाएं की थी. सभी मरीज का हेल्थ बुलेटिन परिजन जहां बैठते थे वहीं टीवी स्क्रीन पर निरंतर चल रहा था.

'अच्छा मिला परिजनों का फीडबैक'
मरीज के परिजनों की पीड़ा डॉक्टर अजय महसूस कर रहे थे. परिजनों को उनके मरीज को समय-समय पर सीसीटीवी के माध्यम से भी दिखाया जाता था. उन्होंने कहा कि यहां निरंतर विजिट के लिए मंत्री और अधिकारी आते रहे और इस दौरान परिजनों का काफी अच्छा फीडबैक मिला और 50 से 90% परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्था को खूब सराहा.

'परिवार से रहना पड़ा दूर'
डॉ अजय अरुण ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक थी और इससे सभी को भय था. ऐसे में उनकी वजह से उनका परिवार संक्रमित ना हो इसके लिए उन्होंने अपने परिवार को खुद से अलग रखा. इसके साथ ही जब संक्रमण चरम पर था तो उन्होंने चौबीसों घंटे अस्पताल में ड्यूटी की.

डॉक्टर्स डे पर संदेश
डॉ अजय अरुण ने कहा कि कोरोना के दौरान उन्होंने जो ड्यूटी की उसे वे किसी पर एहसान नहीं मानते बल्कि अपना कर्तव्य बताते हैं. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिली है. डॉक्टर्स डे के मौके पर डॉ अजय अरुण ने सलाह देते हुए कहा कि डॉक्टर एक सम्मानित पेशा है और भविष्य में भी यह रहना चाहिए. लेकिन हमें अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना है.

कोरोना काल में दिए योगदान को दुनिया कर रही सलाम
डॉक्टर्स को हमेशा से भगवान का दर्जा दिया जाता रहा है. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि वो हमेशा अपने वक्त और जान की परवाह किए बगैर अपने मरीजों की जान बचाने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं. कोरोना काल में डॉक्टर्स ने जिस मुस्तैदी के साथ कोरोना वारियर्स की भूमिका निभायी है वो वास्तविकता में याद रखने योग्य है. कोरोना काल में डॉक्टरों द्वारा दिए गए योगदान को दुनिया सलाम कर रही है.

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