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Bihar Teacher Recruitment : विधानसभा घेराव करने के मूड में हैं नियोजित शिक्षक, नई नियमावली का विरोध

बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर जारी नई नियामवली के विरोध में शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षकों ने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो विधानसभा का घेराव करेंगे. शिक्षकों ने कहा कि शिक्षा मंत्री और डिप्टी सीएम भी BPSC परीक्षा में भाग लें तभी शिक्षक भी शामिल होंगे. पढ़ें पूरी खबर...

पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन
पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन
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Published : Jul 10, 2023, 4:14 PM IST

पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन

पटनाः बिहार के पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन एक बार फिर शुरू हो गया है. पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर नियोजित शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव भी करेंगे. शिक्षकों की मांग है कि महागठबंधन सरकार ने 2020 विधानसभा चुनाव में जो वादा किया था कि बिना शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा, यह वादा निभाने का काम करें.

यह भी पढ़ेंः Bihar Teacher Recruitment 2023 : बिहार शिक्षक भर्ती आवेदन की तारीख बढ़ी, जानें अब कब तक कर सकते हैं आवेदन

'शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़': राज्य कर्मी का दर्जा के लिए शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ शिक्षक बहाली में बैठने की अनिवार्यता को समाप्त की जाए. शिक्षकों ने कहा कि सरकार शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. इस चाचा भतीजे को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता सबक सिखा देगी. उन्हें वादाखिलाफी का अंजाम भुगतना होगा. इस दौरान शिक्षकों ने उग्र प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.

'वादा भूल गए तेजस्वी यादव': मधुबनी के शिक्षक खालिद अंजुम ने कहा कि 2020 के पहले नियोजित शिक्षक जब प्रदर्शन करते थे तो तेजस्वी यादव कहते थे कि शिक्षकों की मांगें जायज है. आज जब सरकार में हैं तो शिक्षकों के ऊपर परीक्षा थोप रहे हैं. नियोजित शिक्षकों की मांगों पर चुप्पी साधे हुए हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान घूम घूमकर भाषण देते थे कि सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में पहली कलम से सभी नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देंगे, लेकिन आज स्थिति यह है कि उन्हीं की सरकार में नियोजित शिक्षकों को राज्य का दर्जा देने के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है.

"2020 से पहले तेजस्वी यादव कहते थे कि शिक्षकों की मांग जायज है, लेकिन अब चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार में आने के बाद नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी दर्जा दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया. नियोजित शिक्षकों को राज्य का दर्जा के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है." -खालिद अंजुम, शिक्षक, मधुबनी

'महागठबंधन सरकार वादे से मुकरी': गया के शिक्षक अनिल पासवान ने कहा कि महागठबंधन सरकार अपने वादे से मुकर रही है. नियोजित शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. आज प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधरा है और इसमें नियोजित शिक्षकों की बड़ी भूमिका है. सरकार नियमावली पर नियमावली बना रही है और राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए शर्त थोप रही है.

"नियोजित शिक्षकों को बीपीएससी परीक्षा में बैठाना सरासर अनुचित. नियोजित शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. डिप्टी सीएम ने जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया गया है. नियामावली के विरोध में धरना प्रदर्शन के लिए एकत्रित हुए हैं." -अनिल पासवान, शिक्षक, गया

'सम्मान के साथ खिलवाड़': सहरसा से आई शिक्षिका कुमारी नूतन सिंह ने कहा कि यह सरकार शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए बीपीएससी की परीक्षा थोप रही है. यह सरासर अनुचित है. नियमावली बनाने वाले अधिकारी अगर फिर से यूपीएससी और बीपीएससी के युवा अभ्यर्थियों के साथ बहाली में बैठेंगे तो क्वालीफाई नहीं कर पाएंगे. जो शिक्षक वर्षों से विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ परीक्षा में बैठाना शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ है.

"प्रदेश के शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस परीक्षा में बैठेंगे तभी सभी शिक्षक बैठेंगे. हमारी मांग है कि बिना किसी शर्त के नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. इन्हीं मांगों को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान सभी शिक्षक पटना में डटे रहेंगे और विधानसभा का मार्च करेंगे." -कुमारी नूतन सिंह, शिक्षिका, सहरसा

क्या है नई नियमावलीः बता दें कि शिक्षक बहाली में नई नियमावली के तहत BPSC परीक्षा लेगी. इसी को लेकर नियोजित शिक्षक विरोध कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों की मांग है कि उन्हें बिना परीक्षा लिए राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. बार BPSC के माध्यम से शिक्षक अभ्यर्थी परीक्षा में भाग लेंगे, इसके बाद शिक्षक बन पाएंगे. नियोजित शिक्षक को भी राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए इस परीक्षा में भाग लेना पड़ेगा, नहीं तो वे नियोजित ही रहेंगे.

पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन

पटनाः बिहार के पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन एक बार फिर शुरू हो गया है. पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर नियोजित शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव भी करेंगे. शिक्षकों की मांग है कि महागठबंधन सरकार ने 2020 विधानसभा चुनाव में जो वादा किया था कि बिना शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा, यह वादा निभाने का काम करें.

यह भी पढ़ेंः Bihar Teacher Recruitment 2023 : बिहार शिक्षक भर्ती आवेदन की तारीख बढ़ी, जानें अब कब तक कर सकते हैं आवेदन

'शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़': राज्य कर्मी का दर्जा के लिए शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ शिक्षक बहाली में बैठने की अनिवार्यता को समाप्त की जाए. शिक्षकों ने कहा कि सरकार शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. इस चाचा भतीजे को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता सबक सिखा देगी. उन्हें वादाखिलाफी का अंजाम भुगतना होगा. इस दौरान शिक्षकों ने उग्र प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.

'वादा भूल गए तेजस्वी यादव': मधुबनी के शिक्षक खालिद अंजुम ने कहा कि 2020 के पहले नियोजित शिक्षक जब प्रदर्शन करते थे तो तेजस्वी यादव कहते थे कि शिक्षकों की मांगें जायज है. आज जब सरकार में हैं तो शिक्षकों के ऊपर परीक्षा थोप रहे हैं. नियोजित शिक्षकों की मांगों पर चुप्पी साधे हुए हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान घूम घूमकर भाषण देते थे कि सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में पहली कलम से सभी नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देंगे, लेकिन आज स्थिति यह है कि उन्हीं की सरकार में नियोजित शिक्षकों को राज्य का दर्जा देने के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है.

"2020 से पहले तेजस्वी यादव कहते थे कि शिक्षकों की मांग जायज है, लेकिन अब चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार में आने के बाद नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी दर्जा दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया. नियोजित शिक्षकों को राज्य का दर्जा के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है." -खालिद अंजुम, शिक्षक, मधुबनी

'महागठबंधन सरकार वादे से मुकरी': गया के शिक्षक अनिल पासवान ने कहा कि महागठबंधन सरकार अपने वादे से मुकर रही है. नियोजित शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. आज प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधरा है और इसमें नियोजित शिक्षकों की बड़ी भूमिका है. सरकार नियमावली पर नियमावली बना रही है और राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए शर्त थोप रही है.

"नियोजित शिक्षकों को बीपीएससी परीक्षा में बैठाना सरासर अनुचित. नियोजित शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. डिप्टी सीएम ने जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया गया है. नियामावली के विरोध में धरना प्रदर्शन के लिए एकत्रित हुए हैं." -अनिल पासवान, शिक्षक, गया

'सम्मान के साथ खिलवाड़': सहरसा से आई शिक्षिका कुमारी नूतन सिंह ने कहा कि यह सरकार शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ कर रही है. राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए बीपीएससी की परीक्षा थोप रही है. यह सरासर अनुचित है. नियमावली बनाने वाले अधिकारी अगर फिर से यूपीएससी और बीपीएससी के युवा अभ्यर्थियों के साथ बहाली में बैठेंगे तो क्वालीफाई नहीं कर पाएंगे. जो शिक्षक वर्षों से विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ परीक्षा में बैठाना शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ है.

"प्रदेश के शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस परीक्षा में बैठेंगे तभी सभी शिक्षक बैठेंगे. हमारी मांग है कि बिना किसी शर्त के नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए. इन्हीं मांगों को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान सभी शिक्षक पटना में डटे रहेंगे और विधानसभा का मार्च करेंगे." -कुमारी नूतन सिंह, शिक्षिका, सहरसा

क्या है नई नियमावलीः बता दें कि शिक्षक बहाली में नई नियमावली के तहत BPSC परीक्षा लेगी. इसी को लेकर नियोजित शिक्षक विरोध कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों की मांग है कि उन्हें बिना परीक्षा लिए राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. बार BPSC के माध्यम से शिक्षक अभ्यर्थी परीक्षा में भाग लेंगे, इसके बाद शिक्षक बन पाएंगे. नियोजित शिक्षक को भी राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए इस परीक्षा में भाग लेना पड़ेगा, नहीं तो वे नियोजित ही रहेंगे.

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