पटना: जिला अंतर्गत बाढ़ अनुमंडल में के प्रसिद्ध त्रेता युगीन उमानाथ मंदिर में नवरात्रा को लेकर भक्तों की भीड़ धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. श्रद्धालु पूजा कर अपने सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं. कोई माता रानी को लाल चूनर तो कोई ध्वज और नारियल चढ़ाकर अपने आराध्य से आशीर्वाद मांग रहा है.
'बिहार का काशी' के रुप में है प्रसिद्ध
बाढ़ प्रखंड में शहर के उत्तरी छोर पर अवस्थित प्राचीन उमानाथ शिवमंदिर बिहार के काशी के रुप में विश्वप्रसिद्ध है. उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित इस प्राचीन मंदिर में महादेव का अंकुरित स्वरूप विद्यमान है. आस्था विश्वास और समर्पण के इस अद्भुत केन्द्र में बिहार के कोने-कोने से आकर श्रद्धालु भगवान शिव और पार्वती का उत्तरवाहिनी गंगा के जल से जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते हैं. शारदीय नवरात्रि में यहां पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है.
नवरात्रि में जलाभिषेक करने पर प्रसन्न होते हैं महादेव
मंदिर के पुजारी जय मंगल भारती का कहना है कि यह मंदिर त्रेता युगीन है. नवरात्रि के समय उत्तरायण गंगा के जल से अभिषेक करने पर उमानाथ महादेव प्रसन्न होते हैं और श्रद्धालुओं की कामनाओं की पूर्ति होती है. नवरात्रि और सावन महीने में यहां दूर-दूर से हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं और भगवान शंकर और माता गौरी का जलाभिषेक करते हैं. बताया जाता है कि पूरे देश में केवल चार स्थलों पर उत्तरवाहिनी गंगा बहती है. पहला हरिद्वार, दूसरा वाराणसी, तीसरा सुल्तानगंज और चौथा बाढ़ में इस मंदिर के पास है.
भगवान श्रीराम ने यहीं पर की थी शिव उपासना
दंतकथाओं की मानें तो त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अयोध्या से जनकपुर के लिए यात्रा के दौरान यहीं पर रूककर भगवान शिव की उपासना की थी. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व जब मंदिर में स्थित शिवलिंग को उखाड़कर उसे मध्य स्थापित करने का निर्णय हुआ तब शिवलिंग के किनारे खुदाई शुरू हुई लेकिन छोर का कहीं अता-पता नहीं चला. जिसके बाद खुदाई में लगे लोगों के स्वप्न में आकर भगवान शिव ने कहा कि वे आदि उमानाथ हैं. जिसके बाद लोगों ने वहां पर खुदाई बंद कर दी. इसी कारण महादेव के इस स्वरूप को अंकुरित महादेव भी कहा जाता है.