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कोरोनाकालजयी लघु कहानी पुस्तक का पूर्व मुख्यमंत्री ने किया लोकार्पण

राजधानी पटना के हिंदी साहित्य सम्मेलन में कोरोनाकालजयी लघु कहानी पुस्तक का लोकार्पण समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव ने किया.

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Published : Jan 12, 2021, 1:09 AM IST

पुस्तक का लोकार्पण
पुस्तक का लोकार्पण

पटनाः राजधानी पटना के हिंदी साहित्य सम्मेलन में कोरोनाकालजयी लघु कहानी पुस्तक का लोकार्पण समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया.

पुस्तक लोकार्पण
पुस्तक लोकार्पण

जीवन में साहित्य का खास महत्व

साहित्य सेवी अमरेंद्र कुमार की लघुकथा की पुस्तक का लोकार्पण किया गया. वही राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीवन में साहित्य का काफी खास महत्व होता है. साहित्य से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है. लिखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. जिस दिन से इसकी शुरुआत हुई उसी दिन से नया सवेरा शुरू.

देखें रिपोर्ट

साहित्य पढ़नेवालों कम आते हैं

पहले के समय में हिंदी, उर्दू, बंगाली पढ़ने वालों की संख्या काफी कम थी. कॉलेज की कक्षा में 5 से 7 लड़के ही मुश्किल से नामांकन कराते थे. यह सिर्फ पटना विश्वविद्यालय का हाल नहीं था. बल्कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का हाल था. लगातार इसकी संख्या में गिरावट होती जा रही है. क्योंकि जिस तरीके से तकनीक के प्रति सभी का रुझान हो रहा है. लोगों की इसमें रूचि कम होते जा रही है.

कुछ लोग साहित्य के लिए कर रहे हैं काम

डर सा लगता है और ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले 10-15 साल के बाद कहीं यह विलुप्त ना हो जाए. हालांकि आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं हमें इनका सहयोग करना चाहिए और साहित्य को आगे बढ़ाना चाहिए.

पटनाः राजधानी पटना के हिंदी साहित्य सम्मेलन में कोरोनाकालजयी लघु कहानी पुस्तक का लोकार्पण समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन पूर्व उप मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया.

पुस्तक लोकार्पण
पुस्तक लोकार्पण

जीवन में साहित्य का खास महत्व

साहित्य सेवी अमरेंद्र कुमार की लघुकथा की पुस्तक का लोकार्पण किया गया. वही राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीवन में साहित्य का काफी खास महत्व होता है. साहित्य से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है. लिखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. जिस दिन से इसकी शुरुआत हुई उसी दिन से नया सवेरा शुरू.

देखें रिपोर्ट

साहित्य पढ़नेवालों कम आते हैं

पहले के समय में हिंदी, उर्दू, बंगाली पढ़ने वालों की संख्या काफी कम थी. कॉलेज की कक्षा में 5 से 7 लड़के ही मुश्किल से नामांकन कराते थे. यह सिर्फ पटना विश्वविद्यालय का हाल नहीं था. बल्कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का हाल था. लगातार इसकी संख्या में गिरावट होती जा रही है. क्योंकि जिस तरीके से तकनीक के प्रति सभी का रुझान हो रहा है. लोगों की इसमें रूचि कम होते जा रही है.

कुछ लोग साहित्य के लिए कर रहे हैं काम

डर सा लगता है और ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले 10-15 साल के बाद कहीं यह विलुप्त ना हो जाए. हालांकि आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं हमें इनका सहयोग करना चाहिए और साहित्य को आगे बढ़ाना चाहिए.

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