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बोले CM नीतीश- बाढ़ से अभी अलर्ट रहने की जरूरत, केंद्र से मदद मिलने पर होगी सहूलियत

साल 2016 तक चले 'जनता दरबार' के पांच साल बाद फिर से शुरू हुए दरबार में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता की समस्याओं को सुना. जनता दरबार के बाद सीएम ने कहा कि बाढ़ (Bihar Flood) से अभी अलर्ट रहने की जरूरत है. पढ़िए पूरी खबर..

cm nitish statement on bihar flood
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Published : Sep 6, 2021, 5:32 PM IST

पटना: जनता दरबार (Janta Darbar) में लोगों की समस्याओं से रूबरू होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ से अभी अलर्ट रहने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के आग्रह पर केंद्रीय टीम (Central Team Visits) आई है जो बाढ़ ग्रस्त इलाकों का टीम जायजा लेगी.

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इस दौरान सीएम ने कहा कि ऐसे तो बिहार सरकार मदद कर ही रही है लेकिन केंद्रीय टीम को लगेगा की मदद करनी चाहिए तो मदद करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग तो पहले से केंद्रीय टीम से बिहार आने का आग्रह कर रहे थे. लेकिन टीम ने आने में विलंब किया है.

देखें वीडियो

बाढ़ से सचेत रहने की जरूरत है. जब भी कहीं बाढ़ जैसे हालात होते हैं तो केंद्रीय टीम आती है. राज्य सरकार की ओर से केंद्र को हालात देखने के लिए आग्रह किया गया था. केंद्रीय टीम को निरीक्षण के बाद लगेगा कि मदद करनी चाहिए तो करेगी. हम अपनी तरफ से तो मदद कर ही रहे हैं. केंद्र को हर साल ही निवेदन किया जाता है. बिहार में बाढ़ की स्थिति उतनी खराब नहीं है. हम लोग हर काम कर रहे हैं. केंद्र की मदद मिलेगी तो सुविधा होगी. अभी कहीं सूखे की स्थिति नहीं है. साउथ बिहार में भी नुकसान हुआ है. सूखा की स्थिति पर भी हमारी नजर है. कोई पीड़ित होगा तो उसे भी मदद दी जाएगी.- नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

सीएम ने कहा कि इस बार कुछ कम नुकसान हुआ है लेकिन पिछले साल तो काफी नुकसान हुआ था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार लोगों को हर प्रकार से मदद पहुंचा रही है लेकिन केंद्र की मदद मिलेगी तो सहूलियत होगी.

बता दें कि बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) ने साल 2021 में कहर बरापाया है. इसमें काफी क्षति भी हुई है. इसी नुकसान का आंकलन करने केन्द्रीय टीम पटना पहुंच चुकी है. गृह विभाग के संयुक्त सचिव राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में 6 सदस्य टीम बिहार के विभिन्न बाढ़ प्रभावित जिलों का एरियल सर्वे करेगी. जिससे बाढ़ के कारण हुए नुकसान का आंकलन लगाया जा सकेगा.

बिहार में इस साल 26 जिले के लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इस बार जून के महीने से ही बाढ़ का सामना बिहार को करना पड़ा है और अभी भी बाढ़ समाप्त हो गई है, ऐसा नहीं है. बिहार में बाढ़ से इस साल भी 200 करोड़ से अधिक पथ निर्माण विभाग की सड़कों का अब तक नुकसान हो चुका है. ग्रामीण कार्य विभाग की सड़कों का भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. इसके साथ ही कई विभागों और केंद्र सरकार की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. निजी संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है.

बिहार में बाढ़ से साल 2007 में 17059 करोड़ का नुकसान हुआ था. 2008 में 14800 करोड़, 2016 में 4112 करोड़, 2017 में 7636 करोड़, 2019 में 4500 करोड़, 2020 में 3328 करोड़ का नुकसान हुआ था. 2017 में केंद्र से 1700 करोड़ की मदद मिली थी. 2019 में करीब 1000 करोड़ की आर्थिक सहायता केंद्र से मिली थी और 2020 में केंद्र सरकार से 1255 करोड़ की मदद मिली थी.

मालूम हो कि पहले राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र सरकार अधिकारियों को भेजती थी और बिहार सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान का जो आंकलन किया है और कितना सही है, उसकी जांच करते थे. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद से अब केंद्र सरकार क्षति आकलन के लिए पहले ही अधिकारियों को भेज देती है और अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकारों को मदद भी पहुंचाती है.

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पटना: जनता दरबार (Janta Darbar) में लोगों की समस्याओं से रूबरू होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ से अभी अलर्ट रहने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के आग्रह पर केंद्रीय टीम (Central Team Visits) आई है जो बाढ़ ग्रस्त इलाकों का टीम जायजा लेगी.

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इस दौरान सीएम ने कहा कि ऐसे तो बिहार सरकार मदद कर ही रही है लेकिन केंद्रीय टीम को लगेगा की मदद करनी चाहिए तो मदद करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग तो पहले से केंद्रीय टीम से बिहार आने का आग्रह कर रहे थे. लेकिन टीम ने आने में विलंब किया है.

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बाढ़ से सचेत रहने की जरूरत है. जब भी कहीं बाढ़ जैसे हालात होते हैं तो केंद्रीय टीम आती है. राज्य सरकार की ओर से केंद्र को हालात देखने के लिए आग्रह किया गया था. केंद्रीय टीम को निरीक्षण के बाद लगेगा कि मदद करनी चाहिए तो करेगी. हम अपनी तरफ से तो मदद कर ही रहे हैं. केंद्र को हर साल ही निवेदन किया जाता है. बिहार में बाढ़ की स्थिति उतनी खराब नहीं है. हम लोग हर काम कर रहे हैं. केंद्र की मदद मिलेगी तो सुविधा होगी. अभी कहीं सूखे की स्थिति नहीं है. साउथ बिहार में भी नुकसान हुआ है. सूखा की स्थिति पर भी हमारी नजर है. कोई पीड़ित होगा तो उसे भी मदद दी जाएगी.- नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

सीएम ने कहा कि इस बार कुछ कम नुकसान हुआ है लेकिन पिछले साल तो काफी नुकसान हुआ था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार लोगों को हर प्रकार से मदद पहुंचा रही है लेकिन केंद्र की मदद मिलेगी तो सहूलियत होगी.

बता दें कि बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) ने साल 2021 में कहर बरापाया है. इसमें काफी क्षति भी हुई है. इसी नुकसान का आंकलन करने केन्द्रीय टीम पटना पहुंच चुकी है. गृह विभाग के संयुक्त सचिव राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में 6 सदस्य टीम बिहार के विभिन्न बाढ़ प्रभावित जिलों का एरियल सर्वे करेगी. जिससे बाढ़ के कारण हुए नुकसान का आंकलन लगाया जा सकेगा.

बिहार में इस साल 26 जिले के लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इस बार जून के महीने से ही बाढ़ का सामना बिहार को करना पड़ा है और अभी भी बाढ़ समाप्त हो गई है, ऐसा नहीं है. बिहार में बाढ़ से इस साल भी 200 करोड़ से अधिक पथ निर्माण विभाग की सड़कों का अब तक नुकसान हो चुका है. ग्रामीण कार्य विभाग की सड़कों का भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. इसके साथ ही कई विभागों और केंद्र सरकार की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. निजी संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है.

बिहार में बाढ़ से साल 2007 में 17059 करोड़ का नुकसान हुआ था. 2008 में 14800 करोड़, 2016 में 4112 करोड़, 2017 में 7636 करोड़, 2019 में 4500 करोड़, 2020 में 3328 करोड़ का नुकसान हुआ था. 2017 में केंद्र से 1700 करोड़ की मदद मिली थी. 2019 में करीब 1000 करोड़ की आर्थिक सहायता केंद्र से मिली थी और 2020 में केंद्र सरकार से 1255 करोड़ की मदद मिली थी.

मालूम हो कि पहले राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र सरकार अधिकारियों को भेजती थी और बिहार सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान का जो आंकलन किया है और कितना सही है, उसकी जांच करते थे. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद से अब केंद्र सरकार क्षति आकलन के लिए पहले ही अधिकारियों को भेज देती है और अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकारों को मदद भी पहुंचाती है.

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