पटना: बिहार में आनंद मोहन की रिहाई का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब लोजपा रामविलास के नेता व जमुई सांसद चिराग पासवान ने भी पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ये तय करें कि आनंद मोहन को पहले फंसाया था या अब उन्हें बचा रहे हैं. साथ ही उन्होंने सरकार को गरीब विरोधी बताया है.
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'राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए कानून में फेरबदल': चिराग पासवान ने कहा कि जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोलते हैं कि ना हम किसी को फंसाते हैं और ना ही किसी को बचाते हैं, तो वह इस बात का जवाब दें कि क्या आनंद मोहन को पहले फंसाया गया था या उनको अब बचाया जा रहा है. जब आप अपने राजनीतिक लाभ के लिए कानून को तोड़ मरोड़ करते हैं, कानून में फेरबदल सिर्फ अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए करते हैं तो यह गलत है.
"आईएएस एसोसिएशन और जी कृष्णैया के परिवार ने इस फैसले पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. उसको तो आपने न्याय नहीं दिया. नीतीश कुमार ने जिस कानून में फेरबदल किया है उस कानून से अब अधिकारियों के मन में एक डर सा रहेगा, कभी कोई भी घटना उनके साथ घटित हो सकती है."- चिराग पासवान, जमुई सांसद
'जेल में बंद गरीबों को क्यों नहीं किया गया रिहा?': उन्होंने आगे कहा कि इन्हीं लोगों के द्वारा बालू और दारू के कानून बनाए गए हैं, जिसमें आए दिन अधिकारियों के साथ मारपीट की घटना घटित होती रहती है. ऐसे में क्या कानून में संशोधन कर अधिकारियों के मनोबल नहीं तोड़ा गया है. आनंद मोहन सिंह के साथ अन्य 25 अपराधियों को रिहा किया गया है, उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा? अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा. आनंद मोहन के साथ में बाकी लोग जो रिहा हुए हैं, मैं उनके राजनीतिक समीकरण पर नहीं जा रहा हूं. शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री लाखो गरीबों को जेल में बंद करके रखेंगे. पासी समाज अभी ताड़ी बेच रहा है जो अपने खानदानी पेशा में लगा हुआ है, उन लोगों को भी यह लोग शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद करके रखा हुआ है. क्या इन गरीबों का गुनाह हत्या से बड़ा है?