पटना: कैट ने आगामी 15 दिसंबर को 'रिटेल डेमोक्रेसी डे' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की है. देश में कुछ बड़ी और प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारत के ई-कॉमर्स और रिटेल व्यापार में आर्थिक आतंकवाद जैसी गतिविधियों को लगातार जारी रखने के खिलाफ कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार ने इसकी घोषणा की है.
रिटेल प्रजातंत्र मार्च
इस दिन देश के सभी राज्यों के अंतर्गत जिलों के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को स्थानीय व्यापारी संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपेंगे. ज्ञापन सौंपने से पहले प्रत्येक जिले में व्यापारियों द्वारा रिटेल प्रजातंत्र मार्च निकाला जाएगा. ज्ञापन में प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया गया है कि वो बहुत जल्द एक ई-कॉमर्स पॉलिसी घोषित करें.
ई-कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन
इसमें एक सुदृढ़, अधिकार संपन्न एक ई-कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन, लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत को अमलीजामा पहनाने के लिए देश भर में व्यापारियों और अधिकारियों की एक संयुक्त समिति केंद्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर और जिला स्तर गठित करें. जिसमें सरकारी अधिकारी और व्यापारियों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए.
प्रावधानों का लगातार उल्लंघन
कैट बिहार चैप्टर के चेयरमैन कमल नोपानी, अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा और महासचिव डॉ. रमेश गांधी ने एक संयुक्त वक्तव्य में बताया कि कुछ बड़ी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने मनमाने रवैये और सरकार की ई-कॉमर्स पॉलिसी के प्रावधानों का लगातार घोर उल्लंघन किया है.
प्रतिस्पर्धा का वातावरण
जिसमें विशेष रूप से लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिस्काउंट देना, पोर्टल पर बिकने वाले सामान की इन्वेंटरी पर नियंत्रण रखना, माल बेचने पर हुए नुकसान की भरपाई करना, विभिन्न ब्रांड कंपनियों से समझौता कर उनके उत्पाद एकल रूप से अपने पोर्टल पर बेचना आदि शामिल है. जो स्पष्ट रूप से सरकार की एफडीआई पॉलिसी के प्रेस नोट 2 में बिल्कुल प्रतिबंधित है. लेकिन उसके बावजूद भी ये कंपनियां खुले रूप से यह माल बेच रही है.
जिससे भारत के ई-कॉमर्स व्यापार में ही नहीं बल्कि रिटेल बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा का वातावरण बना हुआ है. जिसके चलते देश के छोटे व्यापारी जिनके साधन सीमित हैं, उनका व्यापार चलाना बेहद मुश्किल हो गया है.