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Bihar Politics: बिहार में अपनी जमीन तलाशने की कवायद में बसपा, जनतांत्रिक विकास पार्टी का विलय

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Published : Apr 19, 2023, 5:34 PM IST

बहुजन समाज पार्टी बिहार में (BSP in Bihar) अपने संगठन को खड़ा करने की कवायद में जुट गई है. हालांकि ऐसा नहीं है कि बसपा का बिहार में संगठन या जनाधार नहीं रहा है. लेकिन बसपा के साथ एक संयोग यह भी रहा है कि जब भी इस पार्टी के विधायक बिहार में चुनाव जीते, उन्होंने पाला बदलने में देरी नहीं की. अब बसपा ने नयी कवायद शुरू की है.

जनतांत्रिक विकास पार्टी का बसपा में विलय
जनतांत्रिक विकास पार्टी का बसपा में विलय
जनतांत्रिक विकास पार्टी का बसपा में विलय.

पटना: बिहार में अपने संगठन को खड़ा करने की कवायद में (Jantantrik Vikas Party merged with BSP) बहुजन समाज पार्टी जुट गई है. इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी ने बिहार की क्षेत्रीय पार्टी जनतांत्रिक विकास पार्टी का अपनी पार्टी में विलय कराया. जनतांत्रिक विकास पार्टी के प्रमुख अनिल कुमार हैं, जिनकी मुख्य पहचान एक बिजनेस टर्न राजनेता की है. इस विलय से बसपा एक बार फिर से चर्चा में है. बसपा का बिहार में राजनीतिक सफर 1989 से माना जाता है. तब पार्टी ने बिहार के लोकसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवारों को उतारा था. हालांकि पार्टी को सफलता नहीं मिली थी.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Shikshak Niyojan: लालू के समय के टीचर अच्छे हैं, लेकिन CM नीतीश समय के....

सरकार नहीं बनीः पार्टी के लिए पहली बार खुशियां तब मिली, जब सन 2005 में पार्टी के पांच विधायक चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. लेकिन, बसपा की यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी. बसपा के सभी विधायक राज्य में सत्तासीन राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए. 5 साल बाद हुए चुनाव में पार्टी को बिहार विधानसभा चुनाव में फिर सफलता मिली. फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के दो उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. इस बार बिहार में ऐसी राजनैतिक घटनाक्रम हुआ कि सरकार का गठन ही नहीं हो पाया.

फिर जदयू में गए बसपा विधायकः नवंबर 2005 में ही बिहार में फिर विधानसभा का चुनाव हुआ. इस चुनाव में भी बसपा के चार उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. कुछ ही दिनों के बाद पार्टी के सभी विधायकों ने सत्ताधारी जनता दल यू का दामन थाम लिया. 5 साल बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने 18 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा. जिसमें से पश्चिम चंपारण के नौतन विधानसभा सीट से बसपा का एक उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहा. इस बार भी नौतन से जीत दर्ज करने वाले बसपा विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

बिहार में सितारा डूबने लगाः इसके बाद बहुजन समाज पार्टी का बिहार में सितारा डूबने लगा. वर्ष 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवारों को तो मैदान में उतारा, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिल सकी. 2021 में कैमूर के चैनपुर विधानसभा क्षेत्र से बसपा की टिकट पर जीत दर्ज करने वाले विधायक जमा खान जदयू में शामिल हो गए. बाद में जमा खान बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री भी बन गए. बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने राज्य में कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलाइंस भी बनाया था और उसी के बैनर तले चुनावी मैदान में भी उतरी थी.

पार्टी का विलयः विधायकों के जीतने और दूसरे पार्टियों में शामिल होने, डेमोक्रेटिक एलाइंस बना लेने के बाद भी आशातीत सफलता नहीं मिलने के बाद बहुजन समाज पार्टी अब फिर से बिहार में तैयारी कर रही है. इस बार बहुजन समाज पार्टी ने राज्य की ही एक राज्यस्तरीय पार्टी, जनतांत्रिक विकास पार्टी विलय करा लिया है. जनतांत्रिक विकास पार्टी के प्रमुख अनिल कुमार हैं, जिनकी मुख्य पहचान एक बिजनेस टर्न राजनेता की है. विलय के मौके पर बीएसपी का राज्यसभा सांसद और बिहार प्रभारी राम जी गौतम उपस्थित थे.

जनतांत्रिक विकास पार्टी का बसपा में विलय.

पटना: बिहार में अपने संगठन को खड़ा करने की कवायद में (Jantantrik Vikas Party merged with BSP) बहुजन समाज पार्टी जुट गई है. इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी ने बिहार की क्षेत्रीय पार्टी जनतांत्रिक विकास पार्टी का अपनी पार्टी में विलय कराया. जनतांत्रिक विकास पार्टी के प्रमुख अनिल कुमार हैं, जिनकी मुख्य पहचान एक बिजनेस टर्न राजनेता की है. इस विलय से बसपा एक बार फिर से चर्चा में है. बसपा का बिहार में राजनीतिक सफर 1989 से माना जाता है. तब पार्टी ने बिहार के लोकसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवारों को उतारा था. हालांकि पार्टी को सफलता नहीं मिली थी.

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सरकार नहीं बनीः पार्टी के लिए पहली बार खुशियां तब मिली, जब सन 2005 में पार्टी के पांच विधायक चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. लेकिन, बसपा की यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी. बसपा के सभी विधायक राज्य में सत्तासीन राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए. 5 साल बाद हुए चुनाव में पार्टी को बिहार विधानसभा चुनाव में फिर सफलता मिली. फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के दो उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. इस बार बिहार में ऐसी राजनैतिक घटनाक्रम हुआ कि सरकार का गठन ही नहीं हो पाया.

फिर जदयू में गए बसपा विधायकः नवंबर 2005 में ही बिहार में फिर विधानसभा का चुनाव हुआ. इस चुनाव में भी बसपा के चार उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. कुछ ही दिनों के बाद पार्टी के सभी विधायकों ने सत्ताधारी जनता दल यू का दामन थाम लिया. 5 साल बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने 18 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा. जिसमें से पश्चिम चंपारण के नौतन विधानसभा सीट से बसपा का एक उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहा. इस बार भी नौतन से जीत दर्ज करने वाले बसपा विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

बिहार में सितारा डूबने लगाः इसके बाद बहुजन समाज पार्टी का बिहार में सितारा डूबने लगा. वर्ष 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवारों को तो मैदान में उतारा, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिल सकी. 2021 में कैमूर के चैनपुर विधानसभा क्षेत्र से बसपा की टिकट पर जीत दर्ज करने वाले विधायक जमा खान जदयू में शामिल हो गए. बाद में जमा खान बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री भी बन गए. बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने राज्य में कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलाइंस भी बनाया था और उसी के बैनर तले चुनावी मैदान में भी उतरी थी.

पार्टी का विलयः विधायकों के जीतने और दूसरे पार्टियों में शामिल होने, डेमोक्रेटिक एलाइंस बना लेने के बाद भी आशातीत सफलता नहीं मिलने के बाद बहुजन समाज पार्टी अब फिर से बिहार में तैयारी कर रही है. इस बार बहुजन समाज पार्टी ने राज्य की ही एक राज्यस्तरीय पार्टी, जनतांत्रिक विकास पार्टी विलय करा लिया है. जनतांत्रिक विकास पार्टी के प्रमुख अनिल कुमार हैं, जिनकी मुख्य पहचान एक बिजनेस टर्न राजनेता की है. विलय के मौके पर बीएसपी का राज्यसभा सांसद और बिहार प्रभारी राम जी गौतम उपस्थित थे.

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