पटनाः आरजेडी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने पार्टी के कार्यो से छुट्टी लेने की बात कही है. तिवारी के इस बयान के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गयी है. बीजेपी प्रवक्ता अजित चौधरी ने चुटकी लेते हुए कहा है कि अब राजद के कुनबा का ढहना शुरू हो गया है. बीजेपी शुरू से ही कह रही है कि राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव के साथ काम करने में सहज नहीं है.
बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि आरजेडी के नेता अब समझ गए हैं कि पार्टी में रहना है तो तेजस्वी के मुताबिक चलना पड़ेगा. लालू परिवार ने तेजस्वी को पार्टी की कमान दी है. उन्होंने कहा कि आरजेडी में अब्दुल बारी सिद्दीकी, रघुवंश प्रसाद सिंह, जगदानंद सिंह जैसे बड़े समाजवादी नेता है. जिन्हें अपने से कम उम्र के नेता के नेतृत्व में काम करने की बात जरूर खटकती होगी.
'परिवार की पार्टी है RJD'
भाजपा प्रवक्ता ने आरजेडी पर हमला करते हुए कहा कि यह एक परिवार की पार्टी बनकर रह गयी है. इससे समाज का कोई भलाई नहीं हो सकता. यहीं कारण है कि बड़े नेता अपने आप को किनारा करना चाहते है. इसकी शुरुआत हो चुकी है, बहुत जल्द ही आरजेडी के कई बड़े नेता पार्टी के कार्य से अपने आप को मुक्त करेंगे.
संगठन विस्तार में अलग-थलग पड़े वरिष्ठ नेता
अजित चौधरी ने दावा करते हुए कहा कि आरजेडी में वरिष्ठ नेताओं की कोई पूछ नहीं है. संगठन विस्तार में सभी बड़े नेता अलग-थलग पड़ गए हैं. ऐसे में समय आ गया है कि अब बड़े नेता अपनी अलग राह पकड़ेंगे.
सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर दी जानकारी
गौरतलब है कि शिवानंद तिवारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि थकान अनुभव कर रहा हूं. शरीर से ज्यादा मन की थकान है. संस्मरण लिखना चाहता था. वह भी नहीं लिख पा रहा हूं. इसलिए जो कर रहा हूं उससे छुट्टी पाना चाहता हूं. आगे उन्होंने लिखा कि संस्मरण लिखने का प्रयास करूंगा. लिख ही दूंगा, ऐसा भरोसा भी नहीं है. लेकिन प्रयास करूंगा. इसलिए राजद की ओर से जिस भूमिका का निर्वहन अबतक मैं कर रहा था उससे छुट्टी ले रहा हूं.
पार्टी की ओर से किया जाता था दरकिनार
बता दें कि पिछले कई माह से शिवानंद तिवारी राजद में खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे. जब से राजद सुप्रीमो लालू यादव जेल गए हैं. तब से उनका रूतबा कम हो गया है. वहीं, लोकसभा चुनाव में पार्टी के करारी हार पर उन्होंने तेजस्वी यादव को लेकर कहा कि तेजस्वी को लाठी खानी होगी, नीतीश सरकार में जेल भी जाना होगा, खुद को शेर का बेटा कहने वाला मांद में क्यों बैठा है, उसे बाहर निकलना होगा'. इस पर पार्टी और तेजस्वी यादव के तरफ से उन्हें दरकिनार किया जाने लगा. साथ ही पार्टी की ओर से उनकी बातों पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया जाता था.