पटना : 'मेरे किसलय को लौटा दो..', 27 जनवरी 2005 को जब भागलपुर के सैंडिस कंपाउंड में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा तो पूरे बिहार की सियासत बदल गई थी. ये वो वक्त था जब बिहार में हर एक दो दिन पर अपहरण की घटनाएं होती थी, आपराधिक वारदात होते थे.
एक वाक्य से पूरे माहौल को बदल दिया : ऐसे समय में 2005 में बिहार में विधानसभा का चुनाव होना था. चुनाव प्रचार अपने जोरों पर था. उस समय भी लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकार मजबूत स्थिति में थी. लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पूरे माहौल को बदल दिया, महज एक वाक्य से कि मेरे किसलय को लौटा दो.
बिहार को गहराई से समझते थे अटल जी : यह बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी उस दौर के ऐसे नेता थे जो विपक्ष के बातों से ही मुद्दा पकड़ लेते थे और उस मुद्दे से अपने पक्ष में माहौल बना देते थे. आज अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती है. इस मौके पर हम उन बातों को याद कर रहे हैं, जिससे अटल बिहारी वाजपेयी देश दुनिया में प्रसिद्ध हुए थे.
अटल बिहारी वाजपेयी का बिहार से गहरा रिश्ता था. बिहार के लोगों को वह व्यक्तिगत रूप से जानते थे. जिनसे उनका परिचय था उसके घर आना जाना था. वह बहुत गहराई से बिहार के राजनीति को भी समझते थे. बात उन दिनों की है जब 2005 में बिहार विधानसभा का चुनाव घोषित हुआ था. उस समय लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकार मजबूती से बिहार में चल रही थी.
लालू यादव के तिलिस्म को तोड़ने उतरे अटल बिहारी : ऐसे में लालू यादव के सामने नीतीश कुमार जैसे तरीके नेता भारतीय जनता पार्टी के साथ एनडीए में शामिल थे. लेकिन लालू यादव के तिलिस्म को तोड़ने की ताकत किसी में नहीं थी. तब इस चक्रव्यूह को तोड़ने की जिम्मेदारी उस समय के भारतीय जनता पार्टी के सबसे कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने ली थी.
अखबारों से मुद्दा निकाला था : बिहार में उन दिनों अपहरण का दौर चल रहा था. मुजफ्फरपुर से गोलू का अपहरण हुआ था. पटना से श्वेता नाम की एक लड़की का अपहरण हुआ था. उसके तुरंत बाद ही पटना के गोला रोड के रहने वाले 9 साल के किसलय अपहरण सुर्खीयां बना था. तब तक बिहार, विधानसभा चुनाव के बीचों-बीच खड़ा था.
दिन- 27 जनवरी 2005, जगह- बिहार के भागलपुर का सैंडिस कंपाउंड. पूरा कंपाउंड खचाखच भरा था. अपने चहेते नेता अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण सुनने को भीड़ बेताब थी. चुंकी अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के कद्दावर नेता थे तो, उनका प्रोटोकॉल के मुताबिक सबसे अंतिम में भाषण होना था. जब दूसरे नेता अपना भाषण दे रहे थे तो, अटल बिहारी वाजपेयी उस समय अखबार पढ़ रहे थे. शायद उस समय की घटनाओं को वह गहराई से समझ रहे थे.
'मेरा किसलय कहां है?' : पूरे बिहार के अखबार के पहले एडिशन फ्रंट पेज पर पटना के डीपीएस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र किसलय कुमार के अपहरण की खबर छपी थी. सभी नेता भाषण दे चुके थे. अटल बिहारी वाजपेयी भाषण देने के लिए उठते हैं और पहले ही वाक्य बोलते हैं कि मेरा किसलय कहां है? कोई मुझे मेरा किसने लौटा दो. अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने भाषण से उस समय की लालू राबड़ी की सरकार पर ऐसा हमला किया कि अगले दिन अखबारों की सुर्खियों में सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी का वह वाक्य कि मेरा किसलय कहां है? फ्रंट पेज पर छपा था.
''बिहार सरकार ने हाई लेवल की टीम गठित की थी. उस समय पटना में एसआईटी टीम का गठन किया गया. शशि भूषण शर्मा डीएसपी थे. टीम कई बिंदुओं पर जांच कर रही थी. यह मामला काफी राजनीतिक हो चुका था. उस समय छात्र सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे. यहां तक कि स्कूली छात्र भी सड़क पर उतरकर किसलय के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे थे. चुंकी इलेक्शन का मौका था तो विपक्ष ने पूरी तरह से इसको मुद्दा बना दिया था.''- अमिताभ ओझा, वरिष्ठ पत्रकार
राबड़ी सरकार की नींव हिला दी थी : उस समय मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं. अपहरण के इस वारदात को लेकर पटना हाई कोर्ट ने भी लालू-राबड़ी सरकार को जंगलराज की संज्ञा दी थी. आनन-फानन में एसआईटी की टीम बनाई गई. इसका असर यह हुआ कि बिहार पुलिस ने महज 13 दिनों में ही किसलय को सकुशल बरामद कर लिया. इसका परिणाम चुनाव पर भी खूब पड़ा. 2005 विधानसभा फरवरी के चुनाव में लालू राबड़ी की सरकार की नींव हिल गई थी.
15 साल का लालू-राबड़ी राज खत्म : पिछले 15 साल से काबिज लालू यादव बहुमत में नहीं रहे थे. हालांकि दूसरे पक्ष को भी बहुमत नहीं मिला था. ऐसे में बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. फिर जब नवंबर में चुनाव हुआ तो पूर्ण बहुमत से जदयू और भाजपा की सरकार बनी. मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी. तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने के लिए और अपराध पर नकेल कसने के लिए अपनी प्राथमिकताओं में 'गुड गवर्नेंस' का नारा दिया था.
''हम पूरी तरह से कह सकते हैं कि लालू-राबड़ी सरकार को बदलने में अटल जी का पूरा सहयोग था. उनके भाषण ऐसे होते थे कि लोगों के दिल तक जाते थे. यही वजह है कि 15 साल से काबिज लालू यादव की सरकार 2005 के नवंबर आते-आते पूरी तरह से खत्म हो गई थी. राबड़ी देवी विपक्ष में बैठ चुकी थी.''- अमिताभ ओझा, वरिष्ठ पत्रकार
'अटल जी ने किसलय से बात की थी' : वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा बताते हैं कि, अटल बिहारी वाजपेयी के उस एक वाक्य का असर काफी गहरा हुआ था कि कहां है मेरा किसलय? सबसे बड़ी बात है कि जब किसलय को बरामद कर दिया गया था तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किसलय से भी बात की थी और उनके परिजनों से भी बात की थी.
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