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...तो इसलिए बिहार को नहीं दिया जा सकता विशेष राज्य का दर्जा, जानें BJP का तर्क

स्पेशल स्टेटस के सवाल पर पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए. जब यूपीए की सरकार थी और हमने सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करके भेजा था. तब रघुराम राजन (Raghuram Rajan Committee On Special Status) के नेतृत्व वाली कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि, विशेष राज्य के दर्जे के प्रावधान को ही समाप्त कर दिया गया है. यह कहना है भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल (BJP Leader On Special Status For Bihar) का.

BJP Leader On Special Status For Bihar
BJP Leader On Special Status For Bihar
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Published : Dec 22, 2021, 1:53 PM IST

पटना: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग (Demand to Give Special Status to Bihar) पर पिछले कुछ समय से राजनीति जोरों पर हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं. वहीं बीजेपी ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल (Prem Ranjan Patel Statement On Special Status) ने कहा है कि स्पेशल स्टेटस के प्रावधान को ही खत्म किया जा चुका है. 15वें वित्त आयोग के समय ही यह तय हो गया था कि अब विशेष राज्य का दर्जा किसी भी राज्य को नहीं दिया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- विशेष राज्य के दर्जे पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, कहा- 'जरूरत पड़ी तो करेंगे आंदोलन'

स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर बिहार में सियासत जारी है. जदयू नेताओं ने जोर शोर से स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है और आंदोलन चलाने की धमकी भी दी जा रही है. उधर भाजपा ने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर जदयू को दो टूक कह दिया है. प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि, पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि स्पेशल स्टेटस के विकल्प के रूप में स्पेशल पैकेज को अपनाया गया और प्रधानमंत्री मोदी ने स्पेशल पैकेज के तहत एक-एक पैसा बिहार को दिया है.

'बिहार को नहीं मिल सकता विशेष राज्य का दर्जा'

यह भी पढ़ें- विशेष राज्य के दर्जे पर नीतीश कुमार ने कहा- ये मेरा नहीं पूरे बिहार का दर्द है

"यूपीए के समय रघुराम राजन कमेटी ने स्पेशल स्टेटस की मांग को खारिज कर दिया था और 14वें वित्त आयोग के सर्वे सर्वा जदयू नेता एन के सिंह थे. उस वक्त जदयू नेताओं ने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को क्यों नहीं उठाया था. 15वें वित्त आयोग ने स्पेशल स्टेटस के प्रावधान को ही खारिज कर दिया है."- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

यह भी पढ़ें- नीति आयोग की रिपोर्ट पर CM नीतीश ने फिर उठाई 'विशेष दर्जे' की मांग, कह दी बड़ी बात

दरअसल, किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं. इनमें कहा गया है कि, राज्य दुर्गम क्षेत्रों वाला पर्वतीय भूभाग हो, तो यह दर्जा दिया जा सकता है. किसी राज्य की कोई भी सीमा अगर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती हो, तो भी उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है.

राज्य की प्रति व्यक्ति आय और गैर-कर राजस्व बेहद कम होने पर भी यह दर्जा दिया जा सकेगा. किसी राज्य में आधारभूत ढांचा नहीं होने या पर्याप्त नहीं होने पर भी विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया जा सकता है. ऐसे किसी राज्य को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकेगा, जिसमें जनजातीय जनसंख्या की बहुलता हो अथवा जनसंख्या घनत्व बेहद कम हो. इन सभी के अलावा किसी राज्य का पिछड़ापन, विकट भौगोलिक स्थितियां, अथवा सामजिक समस्याएं भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का आधार बन सकती हैं.

यह भी पढ़ें- बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग जायज, मंत्री ने कहा- स्पेशल स्टेटस से ही आएगी समृद्धि

अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग से जुड़ा सबसे अहम तथ्य यही है कि बिहार इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं करता है. बिहार का कोई हिस्सा किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ नहीं है, और राज्य का कोई भी हिस्सा दुर्गम इलाका भी नहीं कहा जा सकता. इसके अलावा जनजातीय आबादी वाला झारखंड पहले ही अलग राज्य बन चुका है, सो, अब बिहार की आबादी में जनजातीय जनसंख्या की बहुलता भी नहीं है. राज्य में पर्याप्त आधारभूत ढांचा भी है, और बिहार के वासियों की प्रति व्यक्ति आय और राज्य का गैर-कर राजस्व भी कम नहीं है, सो, उसे यह दर्जा दिए जाने की राह में अड़चनें ही अड़चनें हैं.

यह भी पढ़ें- स्पेशल स्टेटस पर नीतीश के साथ आए पशुपति पारस, कहा- जरूरत पड़ी तो PM मोदी से भी मिलेंगे

इन सबके अलावा राज्य का पिछड़ापन और विकट भौगोलिक स्थितियां भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में बिहार के लिए केंद्र की शर्तों को पूरा करना संभव नहीं है, लेकिन बिहार में एक बड़े हिस्से में हर साल बाढ़ से तबाही होती है. बड़ी संख्या में लोग पलायन करते हैं. इसी को लेकर आधार भी बनाया जा रहा है. नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इसके लिए पटना से लेकर दिल्ली तक आंदोलन करते रहे हैं. वैसे तो नीतीश कुमार 2007 से ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं और चुनाव से पहले यह मांग हमेशा जोर भी पकड़ती रही है.

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पटना: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग (Demand to Give Special Status to Bihar) पर पिछले कुछ समय से राजनीति जोरों पर हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं. वहीं बीजेपी ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल (Prem Ranjan Patel Statement On Special Status) ने कहा है कि स्पेशल स्टेटस के प्रावधान को ही खत्म किया जा चुका है. 15वें वित्त आयोग के समय ही यह तय हो गया था कि अब विशेष राज्य का दर्जा किसी भी राज्य को नहीं दिया जा सकता है.

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स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर बिहार में सियासत जारी है. जदयू नेताओं ने जोर शोर से स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है और आंदोलन चलाने की धमकी भी दी जा रही है. उधर भाजपा ने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर जदयू को दो टूक कह दिया है. प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि, पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि स्पेशल स्टेटस के विकल्प के रूप में स्पेशल पैकेज को अपनाया गया और प्रधानमंत्री मोदी ने स्पेशल पैकेज के तहत एक-एक पैसा बिहार को दिया है.

'बिहार को नहीं मिल सकता विशेष राज्य का दर्जा'

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दरअसल, किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं. इनमें कहा गया है कि, राज्य दुर्गम क्षेत्रों वाला पर्वतीय भूभाग हो, तो यह दर्जा दिया जा सकता है. किसी राज्य की कोई भी सीमा अगर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती हो, तो भी उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है.

राज्य की प्रति व्यक्ति आय और गैर-कर राजस्व बेहद कम होने पर भी यह दर्जा दिया जा सकेगा. किसी राज्य में आधारभूत ढांचा नहीं होने या पर्याप्त नहीं होने पर भी विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया जा सकता है. ऐसे किसी राज्य को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकेगा, जिसमें जनजातीय जनसंख्या की बहुलता हो अथवा जनसंख्या घनत्व बेहद कम हो. इन सभी के अलावा किसी राज्य का पिछड़ापन, विकट भौगोलिक स्थितियां, अथवा सामजिक समस्याएं भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का आधार बन सकती हैं.

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अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग से जुड़ा सबसे अहम तथ्य यही है कि बिहार इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं करता है. बिहार का कोई हिस्सा किसी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ नहीं है, और राज्य का कोई भी हिस्सा दुर्गम इलाका भी नहीं कहा जा सकता. इसके अलावा जनजातीय आबादी वाला झारखंड पहले ही अलग राज्य बन चुका है, सो, अब बिहार की आबादी में जनजातीय जनसंख्या की बहुलता भी नहीं है. राज्य में पर्याप्त आधारभूत ढांचा भी है, और बिहार के वासियों की प्रति व्यक्ति आय और राज्य का गैर-कर राजस्व भी कम नहीं है, सो, उसे यह दर्जा दिए जाने की राह में अड़चनें ही अड़चनें हैं.

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इन सबके अलावा राज्य का पिछड़ापन और विकट भौगोलिक स्थितियां भी महत्वपूर्ण है. ऐसे में बिहार के लिए केंद्र की शर्तों को पूरा करना संभव नहीं है, लेकिन बिहार में एक बड़े हिस्से में हर साल बाढ़ से तबाही होती है. बड़ी संख्या में लोग पलायन करते हैं. इसी को लेकर आधार भी बनाया जा रहा है. नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, इसके लिए पटना से लेकर दिल्ली तक आंदोलन करते रहे हैं. वैसे तो नीतीश कुमार 2007 से ही विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं और चुनाव से पहले यह मांग हमेशा जोर भी पकड़ती रही है.

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