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2000 Rupee Note: 2000 के नोट पर लेखक प्रभात बांधुल्य की नई कविता वायरल, देखें VIDEO - 2000 रुपये के नोट पर कविता

देश के ज्वलंत मुद्दों पर बिहार के युवा लेखक प्रभात बांधुल्य अपनी कविताओं से कटाक्ष करने के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में RBI के 2000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले पर भी प्रभात की एक और कविता तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इस कविता के जरिए प्रभात आम लोगों को बता रहे हैं कि घबराने की जरूरत नहीं है.

bihar writer prabhat bandhulya
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Published : May 23, 2023, 1:05 PM IST

बिहार के युवा लेखक प्रभात बांधुल्य

पटना: समसामयिक विषयों पर अपनी रचनाओं के लिए मशहूर लेखक और कुंडली भाग्य सीरियल के स्क्रीन प्ले राइटर प्रभात बांधुल्य ने ₹2000 के नोट बंदी के बाद कविता के रूप में एक नई रचना अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की है. कविता के बोल हैं 'गायब हो गया था जो, निकल कर बाहर आएगा'. यह कविता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. कविता के माध्यम से मैसेज है कि आम लोगों को 2000 के नोट बंदी से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि 2000 का नोट मार्केट में दिखता ही नहीं था और कहीं ना कहीं काला धन रखने वाले लोगों ने इसे छुपा कर रखा है और उन्हें ही इससे परेशानी होगी.

पढ़ें- 2000 Rupee Note: '2024 चुनाव की है तैयारी'.. 2000 के नोट वापस लेने के फैसले पर बिहार के उद्योगपतियों की राय

प्रभात बांधुल्य की नई कविता वायरल: लेखक प्रभात बांधुल्य ने बताया कि लेखक समाज का आईना होता है. एक लेखक के रूप में उनका कर्तव्य है कि समाज में जो हो रहा है, सही और गलत, उसे लिखने की हिम्मत रखना चाहिए. वह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने कविता के माध्यम से आम लोगों को मैसेज दिया है कि पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह 2016 जैसी नोटबंदी नहीं है.

"आम लोगों को घबराना नहीं है क्योंकि अभी नोट को बदलने के लिए काफी समय है. आम लोगों के पास कम संख्या में ही 2000 के नोट होंगे. ऐसे में आसानी से बदल जाएंगे. 2000 का नोट बंदी उन्हें परेशान करेगा जो लोग अपना काला धन ₹2000 के नोट के तौर पर छिपा कर रखे हुए हैं और उन्हीं का बाहर निकलेगा."- प्रभात बांधुल्य, लेखक

2000 रुपये के नोट बंद होने पर कविता: कविता की बोल कुछ इस प्रकार हैं… 'गायब हो गया था जो, वो निकल कर बाहर आएगा. कल कहीं छुपा था जो आज देखा जाएगा. पिछली बार वाली लंबी कतार नहीं… धक्का-मुक्की और कोई तकरार नहीं… लेकिन, अदला-बदली कर लो बाबू, 30 सितंबर आखिरी तारीख, बाद इसके गुलाबी नोट होगा स्वीकार नहीं.' लेखक प्रभात बांधुल्य ने बताया कि वह हर समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं और जब ₹2000 का नोट बंद हुआ तो उनके प्रशंसकों ने कहा कि लेखक महोदय कुछ इस पर भी लिखिए. कई के मन में शंका थी कि फिर से लाइन में लगना होगा और परेशानी बढ़ेगी. ऐसे में उन्होंने यह कविता पोस्ट की है और समर्थकों का काफी प्यार भी इस कविता को मिल रहा है.

बताते चलें कि 'बनारस वाला इश्क' उपन्यास से प्रभात बांधुल्य लोकप्रिय हुए और इसके बाद उन्हें टीवी सीरियल कुंडली भाग्य में स्क्रीन प्ले राइटिंग का मौका मिला. हाल के दिनों में वैलेंटाइन डे के मौके पर पिंकी के वायरल प्रेम पत्र से प्रभात सुर्खियों में आए थे. इनकी एक शॉर्ट फिल्म भी फिक्स रेट आ चुकी है जो सामाजिक विषयों पर बनी हुई फिल्म थी.

ईटीवी भारत GFX
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30 सितंबर तक नोट बदलने का समय: आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट वापस लेने का फैसला लिया है. ग्राहक 23 मई से 30 सितंबर के बीच किसी भी बैंक में जाकर नोट बदल सकते हैं. इससे पहले 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की गई थी. पीएम मोदी ने रात को 8:00 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए नोटबंदी का ऐलान किया था और 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये थे. इसके कारण पूरे देशे में अफरातफरी की स्थिति बन गई थी लेकिन इस बार 2000 के नोट बंद होने का ज्यादा असर नहीं होगा. लेखक बांधुल्य ने भी अपनी कविता के जरिए लोगों तक यही संदेश पहुंचाने की कोशिश की है.

बिहार के युवा लेखक प्रभात बांधुल्य

पटना: समसामयिक विषयों पर अपनी रचनाओं के लिए मशहूर लेखक और कुंडली भाग्य सीरियल के स्क्रीन प्ले राइटर प्रभात बांधुल्य ने ₹2000 के नोट बंदी के बाद कविता के रूप में एक नई रचना अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की है. कविता के बोल हैं 'गायब हो गया था जो, निकल कर बाहर आएगा'. यह कविता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. कविता के माध्यम से मैसेज है कि आम लोगों को 2000 के नोट बंदी से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि 2000 का नोट मार्केट में दिखता ही नहीं था और कहीं ना कहीं काला धन रखने वाले लोगों ने इसे छुपा कर रखा है और उन्हें ही इससे परेशानी होगी.

पढ़ें- 2000 Rupee Note: '2024 चुनाव की है तैयारी'.. 2000 के नोट वापस लेने के फैसले पर बिहार के उद्योगपतियों की राय

प्रभात बांधुल्य की नई कविता वायरल: लेखक प्रभात बांधुल्य ने बताया कि लेखक समाज का आईना होता है. एक लेखक के रूप में उनका कर्तव्य है कि समाज में जो हो रहा है, सही और गलत, उसे लिखने की हिम्मत रखना चाहिए. वह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने कविता के माध्यम से आम लोगों को मैसेज दिया है कि पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह 2016 जैसी नोटबंदी नहीं है.

"आम लोगों को घबराना नहीं है क्योंकि अभी नोट को बदलने के लिए काफी समय है. आम लोगों के पास कम संख्या में ही 2000 के नोट होंगे. ऐसे में आसानी से बदल जाएंगे. 2000 का नोट बंदी उन्हें परेशान करेगा जो लोग अपना काला धन ₹2000 के नोट के तौर पर छिपा कर रखे हुए हैं और उन्हीं का बाहर निकलेगा."- प्रभात बांधुल्य, लेखक

2000 रुपये के नोट बंद होने पर कविता: कविता की बोल कुछ इस प्रकार हैं… 'गायब हो गया था जो, वो निकल कर बाहर आएगा. कल कहीं छुपा था जो आज देखा जाएगा. पिछली बार वाली लंबी कतार नहीं… धक्का-मुक्की और कोई तकरार नहीं… लेकिन, अदला-बदली कर लो बाबू, 30 सितंबर आखिरी तारीख, बाद इसके गुलाबी नोट होगा स्वीकार नहीं.' लेखक प्रभात बांधुल्य ने बताया कि वह हर समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं और जब ₹2000 का नोट बंद हुआ तो उनके प्रशंसकों ने कहा कि लेखक महोदय कुछ इस पर भी लिखिए. कई के मन में शंका थी कि फिर से लाइन में लगना होगा और परेशानी बढ़ेगी. ऐसे में उन्होंने यह कविता पोस्ट की है और समर्थकों का काफी प्यार भी इस कविता को मिल रहा है.

बताते चलें कि 'बनारस वाला इश्क' उपन्यास से प्रभात बांधुल्य लोकप्रिय हुए और इसके बाद उन्हें टीवी सीरियल कुंडली भाग्य में स्क्रीन प्ले राइटिंग का मौका मिला. हाल के दिनों में वैलेंटाइन डे के मौके पर पिंकी के वायरल प्रेम पत्र से प्रभात सुर्खियों में आए थे. इनकी एक शॉर्ट फिल्म भी फिक्स रेट आ चुकी है जो सामाजिक विषयों पर बनी हुई फिल्म थी.

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30 सितंबर तक नोट बदलने का समय: आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट वापस लेने का फैसला लिया है. ग्राहक 23 मई से 30 सितंबर के बीच किसी भी बैंक में जाकर नोट बदल सकते हैं. इससे पहले 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की गई थी. पीएम मोदी ने रात को 8:00 बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए नोटबंदी का ऐलान किया था और 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये थे. इसके कारण पूरे देशे में अफरातफरी की स्थिति बन गई थी लेकिन इस बार 2000 के नोट बंद होने का ज्यादा असर नहीं होगा. लेखक बांधुल्य ने भी अपनी कविता के जरिए लोगों तक यही संदेश पहुंचाने की कोशिश की है.

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