पटनाः राज्य में एक के बाद एक हो रही अपराधिक घटनाओं ने बिहार के पुराने दिनों की याद ताजा कर दी है. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे लगातार कहते रहे हैं कि अपराधियों को पुलिस के डर से भागते दिखना चाहिए. लेकिन यहां दिनदहाड़े अपराधी पुलिस को ही निशाना बना रहे हैं. डीजीपी यहां तक कह देते हैं कि कोई भी किसी की हत्या कर सकता है डीजीपी की भी हत्या कर सकता है. यानी जनता को सुरक्षा की गांरटी देने वाले पुलिस के आला अफसर ही अपराधियों को आगे बेबस हो चुके हैं.
डीजीपी के बयानों से साफ लगता है कि बिहार में सुशासन की बात बेमानी हो गई है. विपक्ष तो कहता है कि यहां कानून का राज समाप्त हो चुका है. सरकार भले ही ना माने लेकिन जंगलराज-2 की शुरूवात हो चुकी है. वहीं, बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि कानून का डर अगर खत्म हो चुका है तो उसे फिर से सरकार कायम करेगी. पेश है खास रिपोर्ट--
अपराधियों ने उड़ाई सरकार की नींद
लगातार हो रही अपराधिक घटनाओं से बिहार सरकार की नींद उड़ी हुई है. पिछले विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री ने भी माना कि लूट हत्या और डकैती की घटनाओं में वृद्धि हुई है और इसके पीछे मुख्यमंत्री ने तर्क भी दिया. लेकिन अपराधियों ने बिहार पुलिस का चैन छीन लिया है. दिनदहाड़े पुलिसकर्मियों को अपराधी निशाना बना रहे हैं और एके-47 जैसे हथियार लूटकर चले जा रहे हैं. ऐसे में पूरे पुलिस महकमे पर सवाल खड़ा हो रहे हैं.
'कानून का राज समाप्त हो गया है'
आरजेडी के नेता कह रहे हैं कि बिहार में कानून का राज समाप्त हो गया है. पुलिस का खौफ अपराधियों पर नहीं है. हम के नेता भी यही कह रहे हैं कि बिहार में कानून नाम की कोई चीज नहीं रह गई है. सरकार को नैतिकता के नाम पर इस्तीफा दे देना चाहिये. वहीं, बीजेपी नेता अजित चौधरी का कहना है कि अगर अपराधियों में पुलिस का डर समाप्त हो गया है. तो उसे फिर से वापस लाना होगा. जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि हर घटना को पुलिस चुनौती के रूप में ले रही है.
सीएम के कामकाज पर भी उठ रही उंगली
गृह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास ही है. 2005 से जब से बिहार की सत्ता मुख्यमंत्री ने संभाली है कानून व्यवस्था को उन्होंने अपना यूएसपी बनाया है. लेकिन जिस प्रकार से अपराधियों का मनोबल बढ़ा है. अब मुख्यमंत्री के कामकाज पर भी उंगली उठने लगी है. हालांकि मुख्यमंत्री लगातार अपराध नियंत्रण को लेकर आला अधिकारियों के साथ बैठक भी करते रहे हैं. कई दिशा निर्देश भी दिया है. कई तरह के प्रयोग भी हो रहे हैं. लेकिन उसका असर अपराधियों पर नहीं दिख रहा है.
समाप्त हो रही पुलिस की हनक
बहरहाल पुलिस की जो हनक होती है वह कहीं ना कहीं समाप्त होती दिख रही है. सरकार यह जरूर कहती रही है कि हम न तो फंसाते हैं और ना ही बचाते हैं. हर घटना के बाद पुलिस एक्शन लेती है. यह सच्चाई है कि पुलिस एक्शन ले रही है. लेकिन जिस तरह से घटनाएं हो रही हैं, उन पर तो सवाल उठना लाजमी है.