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Bihar Legislative Council: तीन दिन में केवल 66 मिनट चला सदन, गतिरोध पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

बिहार विधान परिषद के 204 वे सत्र को शुरू हुए तीन दिन गुजर गए लेकिन अब तक केवल 66 मिनट ही सदन चल पाया है। गतिरोध का आलम यह है कि करवाई शुरू होने के कुछ ही मिनट के अंदर सदन को स्थगित कर दिया जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल अब यह उठता है कि जन सरोकार से जुड़े प्रश्नों पर सदन में आखिर कब चर्चा होगी सरकार क्या जवाब देगी विपक्ष क्या प्रश्न उठाएगा?

Bihar Legislative Council
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Published : Jul 12, 2023, 8:58 PM IST

बिहार विधान परिषद की कार्यवाही में गतिरोध.

पटना: बिहार विधान परिषद की 204वें सत्र की शुरुआत 10 जुलाई को हुई थी. जिसमें विधान परिषद की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सभापति ने सदन को 11 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया. 11 जुलाई को जब विधान परिषद की कार्यवाही शुरू हुई, तब पहले हाफ में सदन की कार्यवाही केवल आठ मिनट चली. जिसके बाद सभापति ने सदन को स्थगित कर दिया. दूसरे हाफ में सदन की कार्यवाही जब फिर शुरू हुई तो केवल 10 मिनट ही चल सकी.

इसे भी पढ़ेंः Shahnawaz Hussain: 'सरकार के अड़ियल रवैया से नहीं चल रहा सदन, मीडिया में बने रहने के लिए मोदी-बीजेपी का लेते नाम'

विधान परिषद की कार्यवाही में लाखों खर्चः बुधवार 12 जुलाई को भी सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई तो पहला हाफ केवल नौ मिनट चला. इसके बाद हंगामा होने पर सभापति ने सदन को स्थगित कर दिया. दिन में 2:30 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो केवल 25 मिनट तक ही सदन चल पाया. विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 75 हैं. विधानसभा की भांति परिषद में भी एमएलसी को प्रतिदिन दो हजार रुपए भत्ता मिलता है. 75 एमएलसी पर हर दिन 1.5 लाख रुपए का भत्ता भुगतान होता है. साथ ही स्टेशनरी का खर्च जोड़कर रोजाना करीब दो लाख रुपए विधान परिषद में खर्च हो रहे हैं. लगातार हंगामे के कारण विधानपरिषद की कार्यवाही में लाखों रुपए बर्बाद हो चुके हैं.

बीजेपी नए दौर में हैः सदन के सुचारू रूप से नहीं चलने और लगातार गतिरोध पर बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार सिंह ने कहा कि बीजेपी नए दौर में है. संसद में जो व्यवस्था है, उसमें बीजेपी संसद के सत्र का वक्त लगातार कम कर रही है. पेश होने वाले विधायकों की संख्या कम हो रही है, जबकि अध्यादेश की संख्या बढ़ रही है. सत्र अवधि के समाप्त कर देना है. वही आचरण विधान परिषद में भी पेश किया जा रहा है.

"यह मॉनसून सत्र है और 4 दिन का सत्र है. अगर विपक्ष को लगता है कि सदन की कार्य अवधि बढ़ाई जाए तो कार्य मंत्रणा समिति में लिखे. लेकिन चार दिन की अवधि में लोकहित के सवाल को भी आपने नहीं उठाया? इसका मतलब क्या है? बीजेपी की उन्माद की राजनीतिक एजेंडे के चलते सदन की कार्यवाही भेंट चढ़ रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, उनके आचरण के लिए बीजेपी के सदस्यों को सदन के अंदर माफी मांगने पड़ रही है."- नीरज कुमार सिंह, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

जनता के मुद्दे को सदन में रखा: विधान परिषद की कार्य अवधि सुचारू रूप से नहीं चल पानी पर अपना पक्ष रखते हुए बीजेपी के विधान परिषद जीवन कुमार कहते हैं, हम लोगों ने जनता के मुद्दे से जुड़े सवाल को सदन में रखा. पुल गिरना, शिक्षा, किसान सलाहकार पर लाठी चार्ज को भी रखा. इसके अलावा कई अन्य सवालों को भी रखा गया. इनमें शिक्षकों का सवाल सबसे बड़ा सवाल था. शिक्षकों के सवाल पर सरकार ने कहा था कि शिक्षकों को राज्य कर्मियों का दर्जा दिया जाएगा.

विपक्ष भी सरकार का हिस्सा हैः जीवन कुमार कहते हैं हमारी पार्टी चाहेगी कि सदन चले. लेकिन सदन को चलाने के लिए हमारे मुद्दों पर सरकार को बात तो करनी होगी. सरकार को बताना होगा कि वह किस मुद्दे पर बात करना चाहती है? लेकिन सरकार कोई बात ही नहीं करना चाहती है. विपक्ष भी सरकार का हिस्सा है. विपक्ष भी सदन का हिस्सा है. सभापति पक्ष और विपक्ष दोनों के सभापति हैं. सदन चलाना है तो उनको हमारी बात भी सुननी होगी. सरकार के मंत्री यह समझेंगे कि वह केवल पक्ष के मंत्री हैं और विपक्ष की कोई बात नहीं सुनेंगे.

बिहार विधान परिषद की कार्यवाही में गतिरोध.

पटना: बिहार विधान परिषद की 204वें सत्र की शुरुआत 10 जुलाई को हुई थी. जिसमें विधान परिषद की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सभापति ने सदन को 11 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया. 11 जुलाई को जब विधान परिषद की कार्यवाही शुरू हुई, तब पहले हाफ में सदन की कार्यवाही केवल आठ मिनट चली. जिसके बाद सभापति ने सदन को स्थगित कर दिया. दूसरे हाफ में सदन की कार्यवाही जब फिर शुरू हुई तो केवल 10 मिनट ही चल सकी.

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विधान परिषद की कार्यवाही में लाखों खर्चः बुधवार 12 जुलाई को भी सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई तो पहला हाफ केवल नौ मिनट चला. इसके बाद हंगामा होने पर सभापति ने सदन को स्थगित कर दिया. दिन में 2:30 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो केवल 25 मिनट तक ही सदन चल पाया. विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 75 हैं. विधानसभा की भांति परिषद में भी एमएलसी को प्रतिदिन दो हजार रुपए भत्ता मिलता है. 75 एमएलसी पर हर दिन 1.5 लाख रुपए का भत्ता भुगतान होता है. साथ ही स्टेशनरी का खर्च जोड़कर रोजाना करीब दो लाख रुपए विधान परिषद में खर्च हो रहे हैं. लगातार हंगामे के कारण विधानपरिषद की कार्यवाही में लाखों रुपए बर्बाद हो चुके हैं.

बीजेपी नए दौर में हैः सदन के सुचारू रूप से नहीं चलने और लगातार गतिरोध पर बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार सिंह ने कहा कि बीजेपी नए दौर में है. संसद में जो व्यवस्था है, उसमें बीजेपी संसद के सत्र का वक्त लगातार कम कर रही है. पेश होने वाले विधायकों की संख्या कम हो रही है, जबकि अध्यादेश की संख्या बढ़ रही है. सत्र अवधि के समाप्त कर देना है. वही आचरण विधान परिषद में भी पेश किया जा रहा है.

"यह मॉनसून सत्र है और 4 दिन का सत्र है. अगर विपक्ष को लगता है कि सदन की कार्य अवधि बढ़ाई जाए तो कार्य मंत्रणा समिति में लिखे. लेकिन चार दिन की अवधि में लोकहित के सवाल को भी आपने नहीं उठाया? इसका मतलब क्या है? बीजेपी की उन्माद की राजनीतिक एजेंडे के चलते सदन की कार्यवाही भेंट चढ़ रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, उनके आचरण के लिए बीजेपी के सदस्यों को सदन के अंदर माफी मांगने पड़ रही है."- नीरज कुमार सिंह, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

जनता के मुद्दे को सदन में रखा: विधान परिषद की कार्य अवधि सुचारू रूप से नहीं चल पानी पर अपना पक्ष रखते हुए बीजेपी के विधान परिषद जीवन कुमार कहते हैं, हम लोगों ने जनता के मुद्दे से जुड़े सवाल को सदन में रखा. पुल गिरना, शिक्षा, किसान सलाहकार पर लाठी चार्ज को भी रखा. इसके अलावा कई अन्य सवालों को भी रखा गया. इनमें शिक्षकों का सवाल सबसे बड़ा सवाल था. शिक्षकों के सवाल पर सरकार ने कहा था कि शिक्षकों को राज्य कर्मियों का दर्जा दिया जाएगा.

विपक्ष भी सरकार का हिस्सा हैः जीवन कुमार कहते हैं हमारी पार्टी चाहेगी कि सदन चले. लेकिन सदन को चलाने के लिए हमारे मुद्दों पर सरकार को बात तो करनी होगी. सरकार को बताना होगा कि वह किस मुद्दे पर बात करना चाहती है? लेकिन सरकार कोई बात ही नहीं करना चाहती है. विपक्ष भी सरकार का हिस्सा है. विपक्ष भी सदन का हिस्सा है. सभापति पक्ष और विपक्ष दोनों के सभापति हैं. सदन चलाना है तो उनको हमारी बात भी सुननी होगी. सरकार के मंत्री यह समझेंगे कि वह केवल पक्ष के मंत्री हैं और विपक्ष की कोई बात नहीं सुनेंगे.

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