नई दिल्ली/पटना : पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसपर होने वाली सुनवाई टल गई. सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया है. यानी, जो जातीय जनगणना पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार में शुरू हो गई थी, वो अब तबतक नहीं रुकेगी जब तक दोनों पक्षों को सुनकर सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना देता. इस मामले में अगली सुनवाई अब 14 अगस्त 2023 को होगी.
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जातीय जनगणना पर रोक से SC का इंकार : बता दें कि पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता के एडवोकेट तान्याश्री और अधिवक्ता ऋतुराज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिसपर आज सुनवाई होने वाली थी, लेकिन टल गई. याचिकाकर्ता की तरफ से मांग की गई थी सर्वोच्च न्यायालय जातीय जनगणना पर रोक लगा दे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि जातीय जनगणना को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संवैधानिक नहीं है.
राज्य सरकार ने लगाया था कैविएट : दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने कैविएट दायर किया हुआ था कि अगर जातीय जनगणना से संबंधित कोई आदेश पारित हो तो राज्य सरकार का पक्ष भी सुना जाए. इस मामले में जब याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से सर्वेक्षण पर रोक लगाने की गुहार लगाई तो सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दूसरे पक्ष (राज्य सरकार) सुनने के बाद ही कोई फैसला लेने की बात कही. बता दें कि कैविएट पिटीशन एक एहतियाती उपाय है. यह तब लगाई जाती है जब व्यक्ति को लगता है कि उसके संबंध में दूसरा पक्ष याचिका देने जा रहा हो.
पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती : दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने 1 अगस्त के अपने फैसले पर लगी रोक को हटाते हुए अपना फैसला सुनाया था. जिसमें जातीय सर्वेक्षण पर लगी सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण को सही बताया था. इस फैसले के बाद बिहार सरकार ने तुरंत ही जातीय जनगणना कराने का काम शुरू कर दिया. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जिस अखिलेश कुमार ने याचिका दायर की है वो सीएम नीतीश के नालंदा के ही रहने वाले हैं.
अब तक क्या हुआ? : इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने मई 2023 में राज्य सरकार द्वारा जातीय सर्वेक्षण कराये जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इसके बाद राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे जातीय सर्वेक्षण पर तत्काल रोक लगा दी गई थी. पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के.वी. चंद्रन की खंडपीठ ने 3 जुलाई 2023 से 7 जुलाई 2023 तक पांच दिनों की लम्बी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा. 1 अगस्त 2023 को पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.
14 अगस्त को होगी SC में अगली सुनवाई : पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर चुनौती दी गयी है. बिहार सरकार ने भी इसपर कैविएट लगाया हुआ है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी थी, लेकिन इस मामले पर अब 14 अगस्त 2023 को सुनवाई की जाएगी.