पटना: बिहार में कोरोना संकट गहराता जा रहा है. आधा दर्जन से ज्यादा चिकित्सकों की मौत कोरोना की वजह से हो चुकी है. बड़ी संख्या में नौकरशाह कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. इन सबके बीच राज्य के अंदर चुनावी तैयारियां भी शुरू हो चुकी है. विपक्ष इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष पर लगातार हमलावर है.
'सरकार अब तो हो गंभीर'
बिहार में कोरोना और बाढ़ से उपजे हालातों के बीच साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर विपक्ष सरकार पर सीधे तौर पर हमला बोल रहा है. हम पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि सरकार को लोगों के जानमाल की चिंता नहीं है. बिहार में जब पैक्स चुनाव, स्नातक और शिक्षक निर्वाचन और बाल्मीकि नगर उपचुनाव को टाल दिया गया, तो विधानसभा चुनाव कराने की बात कैसे की जा रही है.
उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बगैर टेस्ट और उपचार कराए लोगों की मौत हो रही है. सरकार को अब तो गंभीर हो जाना चाहिए.
जदयू ने किया पलटवार
विपक्ष के हमलावर होते ही जदयू की ओर से प्रवक्ता राजीव रंजन ने मोर्चा संभाल लिया. उन्होंने कहा कि चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है. चुनाव आयोग के ऊपर उसका जिम्मा है. चुनावी प्रक्रिया को किसी भी परिस्थिति में रोके जाने का कोई मतलब नहीं है.
वहीं, भाजपा नेता संजय पासवान ने कहा है कि चुनाव कराने का या फिर टालने का अधिकार केवल चुनाव आयोग को है. बीजेपी को चुनाव आयोग पर पूरा भरोसा है. आयोग जो भी फैसला लेगी, हम उसका खुले मन से समर्थन करेंगे.
वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव करना बेहद मुश्किल
गौरतलब है कि बिहार में तेजी से संक्रमण फैल रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर राज्य के लगभग 11 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. तेजस्वी यादव समेत पूरा महागठबंधन का खेमा चुनाव टालने की मांग कर रहा है. लेकिन निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने की तैयारियां शुरू कर दी है.
बता दें कि बाढ़ और कोरोना खतरे के बीच वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव संभव नहीं लग रहा है. लेकिन तेजी से बढ़ता कोरोना संक्रमण इसमें मुश्किलें पैदा कर सकता है. अगस्त तक अगर कोरोना के प्रसार में कमी नहीं आई, तो विधानसभा चुनाव टलने के आसार बढ़ सकते हैं. हालांकि आयोग समय पर चुनाव कराने को लेकर सभी दलों के साथ लगातार बात कर रहा है.