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पटनाः अनलॉक में सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर है रोक, घर चलाने के लिए सड़क पर लीची बेच रहे हैं कलाकार

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Published : Jun 16, 2020, 6:29 AM IST

Updated : Jun 26, 2020, 7:33 AM IST

अनलॉक में सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक बरकरार है. जिससे कलाकारों को काम नहीं मिल रहा है. ऐसे में राजधानी के सड़कों पर कुछ कलाकार लीची बेच रहे हैं.

पटना
पटना

पटना: कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए करीब दो महीने तक रहे लॉकडाउन ने जन-जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया. अनलॉक में लोग जीवन को पटरी पर लाने के कोशिश कर रहे हैं. लेकिन कई लोगों को घर चलाने के लिए अपना रोजगार और पेशा बदलना पड़ रहा है. ऐसा ही एक उदाहरण राजधानी के सड़कों पर देखने को मिला.

'घर चलाना हो गया मुश्किल'
सड़क पर कुछ रंगकर्मी लीची बेचते हुए दिखे. पूछने पर उन्होंने कहा कि अनलॉक में लगभग सभी चीजों को खोल दिया गया है. लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर अभी भी रोक बरकरार है. ऐसे में गाने-बजाने वाले और रंगकर्मियों को काम नहीं मिल रहा है. जिससे परिवार का भरण-पोषण और घर चलाना एक बड़ी चुनौती हो गई है.

पेश है रिपोर्ट

'मजबूरी में बेचना पड़ रहा हैं लीची'
वरिष्ठ कलाकार लोकेश कुमार ने कहा कि काम-धंधा ठप देख एक मित्र ने रोजगार करने के लिए कुछ पैसे दिए. उससे पटना के बाहर से लीची खरीदकर लाया और यहां बेच रहा हूं. उन्होंने कहा कि इसमें उनके साथ 3 और कलाकार मित्र भी शामिल है. जो भी कमाई होती है. उसे चारो आपस में बांट लेते हैं. उन्होंने कहा कि कलाकाल आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. सरकार को कलाकारों पर ध्यान देना चाहिए.

पटना: कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए करीब दो महीने तक रहे लॉकडाउन ने जन-जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया. अनलॉक में लोग जीवन को पटरी पर लाने के कोशिश कर रहे हैं. लेकिन कई लोगों को घर चलाने के लिए अपना रोजगार और पेशा बदलना पड़ रहा है. ऐसा ही एक उदाहरण राजधानी के सड़कों पर देखने को मिला.

'घर चलाना हो गया मुश्किल'
सड़क पर कुछ रंगकर्मी लीची बेचते हुए दिखे. पूछने पर उन्होंने कहा कि अनलॉक में लगभग सभी चीजों को खोल दिया गया है. लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर अभी भी रोक बरकरार है. ऐसे में गाने-बजाने वाले और रंगकर्मियों को काम नहीं मिल रहा है. जिससे परिवार का भरण-पोषण और घर चलाना एक बड़ी चुनौती हो गई है.

पेश है रिपोर्ट

'मजबूरी में बेचना पड़ रहा हैं लीची'
वरिष्ठ कलाकार लोकेश कुमार ने कहा कि काम-धंधा ठप देख एक मित्र ने रोजगार करने के लिए कुछ पैसे दिए. उससे पटना के बाहर से लीची खरीदकर लाया और यहां बेच रहा हूं. उन्होंने कहा कि इसमें उनके साथ 3 और कलाकार मित्र भी शामिल है. जो भी कमाई होती है. उसे चारो आपस में बांट लेते हैं. उन्होंने कहा कि कलाकाल आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. सरकार को कलाकारों पर ध्यान देना चाहिए.

Last Updated : Jun 26, 2020, 7:33 AM IST
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