पटना: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने देश में रोजगार क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है. शहरी और ग्रामीण इलाकों, दोनों में बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में कोरोना काल में बुडको (बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम) में वर्षों से काम कर रहे दैनिक कर्मियों की परेशानी और अधिक बढ़ गई है. यहां दैनिक कर्मी को बिना किसी कारण के ही छंटनी कर दी गई है. पटना के बोरिंग रोड में विभिन्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन में कार्य करने वाले दैनिक कर्मियों ने शांतिपूर्ण तरीके से बुडको और बिहार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
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क्या कहते हैं प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने बताया कि लंबे समय से वह लगातार बुडको में कार्य कर रहे हैं. पूरे बिहार में वर्षों से करीब 307 दैनिक कर्मी कार्य कर रहे हैं. कोरोना काल में अचानक से 72 कर्मियों को कार्यपालक अभियंताओं द्वारा कार्य से हटा दिया गया. जो सरासर गलत है. कोरोना से हम बाद में मरेंगे पहले हम भूख से ही मर जाएंगे. क्योंकि हमें पिछले 3 महीने का वेतन भुगतान नहीं किया गया है और हमें बिना किसी कारण के ही काम से हटा दिया गया है.ये भी पढ़ें..तेजस्वी यादव ने CM नीतीश को तीसरी बार लिखा पत्र, कहा- छीन रहे हैं जनप्रतिनिधियों के अधिकार
'हमें ₹10000 मासिक वेतन मिलता था, जिससे घर परिवार चलता था. लेकिन कोरोना काल में स्थिति काफी दयनीय है. काम से हटा दिया गया है और पिछले 3 महीने का बकाया भी भुगतान नहीं किया गया है. ऐसे में हम क्या खाएं और परिवार को क्या खिलाए समझ नहीं आ रहा. अब भुखमरी की नौबत आ गई है. आज हमने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया है. अगर हमारी मांगों को नहीं माना जाएगा तो हम आगे भी प्रदर्शन को तेज करेंगे'.- लाल मोहन , पूर्व बुडको कर्मी
'हम सरकार से मांग करते हैं कि जिन 72 कर्मियों की छंटनी हुई है उस पर अविलंब रोक लगाया जाए. दैनिक कर्मियों के 3 माह के बकाए वेतन का अविलंब भुगतान किया जाए. आउट सोर्स में कार्यरत दैनिक कर्मियों की संख्या को लेकर भारी अनियमितता बढ़ती जा रही है इसकी जांच कराई जाए और जो भी दोषी हैं, उन पर कार्रवाई हो. वर्षों का लंबित पीएफ का बकाया अंशदान जमा नहीं कराया जा रहा है. उसे भी जमा कराया जाए और बिना किसी कारण के 72 कर्मियों की छंटनी की गई है. इसमें जो भी दोषी हैं उन पर भी सख्त कार्रवाई हो'.-मोहम्मद नूर, पूर्व बुडको कर्मी