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नवादा: समय आने पर मित्रों को हमेशा करें सहयोग

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Published : Feb 22, 2021, 2:07 PM IST

नवादा के नरहट प्रखंड में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया. इस दौरान श्रीकृष्ण, रुक्मिणी विवाह और श्रीकृष्ण, सुदामा मित्रता का प्रसंग सुन लोग भाव-विभोर हो गये.

श्रीमद्भागवत कथा
श्रीमद्भागवत कथा

नवादा: जिले के नरहट प्रखंड अन्तर्गत बभनौर गांव के शिवाला के समीप श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है. कथा के सातवें दिन मुरी गुरुकुल से पधारे कथा वाचक डॉ. केशवानंद दास जी महाराज ने अपने प्रवचन में श्रीकृष्ण, रुक्मिणी विवाह और श्रीकृष्ण, सुदामा मित्रता का प्रसंग सुना कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया.

मित्रता है सबसे पवित्र रिश्ता
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण एवं सुदामा की मित्रता का वर्णन को रोचक ढंग से सुनाते हुए कहा कि संसार में सबसे पवित्र रिश्ता मित्रता का है. समय आने पर हमेशा अपने मित्रों को सहयोग करना चाहिए. मन में किसी प्रकार का लोभ और आशा लेकर मित्रता नही करनी चाहिए. कन्हैया का मथुरा गमन और कंस उद्धार की भी चर्चा की. रुक्मिणी हरण और विवाह की कथा का वाचन करते हुए कहा कि जब रुक्मिणी विवाह योग्य हुई तो उनके पिता भीष्म को उनके विवाह की चिंता हुई.
ये भी पढ़ें- धूमधाम से मनाई गई सरस्वती पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम का किया गया आयोजन

रुक्मिणी ने विवाह के लिए भेजा था संदेश
रुक्मिणी बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे ह्रदय से पति के रूप में चाहती थी. लेकिन उनका भाई रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता था. रुक्मिणी ने भाई की इच्छा जाना तो उन्हें बड़ा दुख हुआ. रुक्मिणी ने यह संदेश एक ब्राह्मण के माध्यम से द्वारिका में भगवान श्रीकृष्ण के पास भेजा और उनसे विवाह की इच्छा जाहिर की.

नवादा: जिले के नरहट प्रखंड अन्तर्गत बभनौर गांव के शिवाला के समीप श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है. कथा के सातवें दिन मुरी गुरुकुल से पधारे कथा वाचक डॉ. केशवानंद दास जी महाराज ने अपने प्रवचन में श्रीकृष्ण, रुक्मिणी विवाह और श्रीकृष्ण, सुदामा मित्रता का प्रसंग सुना कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया.

मित्रता है सबसे पवित्र रिश्ता
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण एवं सुदामा की मित्रता का वर्णन को रोचक ढंग से सुनाते हुए कहा कि संसार में सबसे पवित्र रिश्ता मित्रता का है. समय आने पर हमेशा अपने मित्रों को सहयोग करना चाहिए. मन में किसी प्रकार का लोभ और आशा लेकर मित्रता नही करनी चाहिए. कन्हैया का मथुरा गमन और कंस उद्धार की भी चर्चा की. रुक्मिणी हरण और विवाह की कथा का वाचन करते हुए कहा कि जब रुक्मिणी विवाह योग्य हुई तो उनके पिता भीष्म को उनके विवाह की चिंता हुई.
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रुक्मिणी ने विवाह के लिए भेजा था संदेश
रुक्मिणी बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे ह्रदय से पति के रूप में चाहती थी. लेकिन उनका भाई रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता था. रुक्मिणी ने भाई की इच्छा जाना तो उन्हें बड़ा दुख हुआ. रुक्मिणी ने यह संदेश एक ब्राह्मण के माध्यम से द्वारिका में भगवान श्रीकृष्ण के पास भेजा और उनसे विवाह की इच्छा जाहिर की.

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