नवादा: नगर परिषद नवादा की ओर से शहर में कम्युनिटी किचन की शुरुआत की गई है. लेकिन, इसका लाभ बेसहारों को नहीं मिल रहा है. इसकी वजह यह है कि लोगों को पता ही नहीं है कि कम्युनिटी किचन क्या और कहां पर चल रहा है. नगर परिषद के अंतर्गत कुल 33 वार्ड हैं. बावजूद यहां पर जरूरतमंद लोगों की संख्या 10 से अधिक नहीं दिखती. स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान समय में भी सड़क किनारे कई भूखे-बेसहारे लोग घूमते नजर आते हैं. लेकिन नगर परिषद के कर्मियों ने उनलोगो को किचन तक लाने की कोई पहल ही शुरू नहीं की. वहीं, मजदूरों ने बताया कि किचन शुरू होने के 2 दिन तक खाना मिला. इसके बाद यहां पर खाना मिलना बंद हो गया.
'प्रचार-प्रसार में कमी का अभाव'
बता दें कि जिला प्रशासन के निर्देश पर नगर परिषद की ओर से गरीब-मजदूरों को खिलाने के लिए सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई थी. इस पुनित कार्य की शुरूआत जेल रोड स्थित नगर मध्य विद्यालय में की गई थी. लेकिन नगर परिषद के कर्मियों की शिथिलता के कारण बेसहारा घूम रहे लोगों को जिला प्रशासन की इस पहल के बारे में पता ही नहीं है. व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में जिला प्रशासन की सराहनीय पहल ने भी दम तोड़ दी. इसको लेकर नगर परिषद के मजदूर सरयू राजवंशी,अशोक पासवान, और सरजन पासवान ने बताया कि किचन शुरू होने के 2 दिन बाद तक खाना मिला फिर यहां पर खाना मिलना बंद हो गया. यह किसने शुरू और बंद करवाया इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. मजदूरों ने कहा कि वे लोग इस विपदा के समय में किसी तरह से भूंजा खाकर दिन गुजार रहे हैं.
'वार्ड पार्षद करेंगे लोगों को जागरूक'
इस मामले पर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी देवेंद्र सुमन से बात की तो उन्होंने कहा कि शहर में मात्र एक जगह कम्युनिटी किचन चलाई जा रही है. इसको लेकर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए सभी वार्ड सदस्य को अधिक से अधिक लोगों तक जागरूकता कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है. बेसहारो को जानकारी देकर उन्हें सार्वजिनक रसोई तक लया जाएगा. किसी भी हाल में किसी गरीब-बेसहारे को भूखे नहीं सोने दिया जाएगा. गौरचलब है कि जब नगर परिषद के कर्मियों को ठीक से खाना नहीं मिल पा रहा है. तो ऐसे में बेसहारों को दो वक्त का भोजन का प्रबंध की बाते कहना बेईमानी लगती है. हालांकि, जिला सूचना एवं जनसंपर्क की गाड़ी हर दिन कोरोना से संबंधित प्रचार-प्रसार कर रही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि शहर में चल रहा इकलौता सामुदायिक किचन का लाभ जरूरतमंदों को क्यों नही मिल पा रही है.