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नवादा: बदहाली की मार झेल रहा है यहां का बस स्टैंड, महज 10 बस के भरोसे हजारों यात्री - bad condition of goverment bus dipo in nawada

बस डिपो की स्थिति ऐसी है कि लोग इसे शौचालय के रूप में इस्तेमाल करते हैं. पूरे परिसर में गन्दगी फैल गई है. डिपो के प्रवेश द्वार पर ही कूड़े का ढ़ेर लगा रहता है.

बस स्टैंड
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Published : Jul 7, 2019, 4:16 PM IST

नवादा: एक समय था जब यहां के सरकारी बस डिपो में यात्रियों की कतारें लगी रहती थी. लेकिन, आज यह बस डिपो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां से दर्जनों बसें चला करती थी. लेकिन, मौजूदा दौर में सिर्फ 10 ही बस चल रही है. इस सरकारी बस स्टैंड का हाल एकदम खस्ता हो चुका है.

परिसर में फैली गन्दगी
बस डिपो की स्थिति ऐसी है कि लोग इसे शौचालय के रुप में इस्तेमाल करते हैं. पूरे परिसर में गन्दगी फैल गई है. डिपो के प्रवेश द्वार पर ही कूड़े का ढ़ेर लगा रहता है. जिससे लोगों को काफी परेशानी होता है. वहीं, बसों की कमी होने से यात्रियों को आए दिन असुविधा झेलनी पड़ रही है.

nawada
खंडहर में तब्दील बस डिपो

भवन हुआ खंडहर
बस डिपो की देख-रेख नहीं होने के कारण भवन में पेड़ उग आए हैं. वहीं, मेन गेट के पास हल्की बारिश में समंदर बन जाता है. गेट के साथ-साथ पूरे परिसर में बारिश होने के कारण पानी जम जाता है. जिससे यात्रियों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है. यहां कर्मियों की भारी कमी है. कई कर्मियों का वेतन अब तक पेंडिंग है. कुछ कर्मी संविदा पर नौकरी कर रहे हैं.

nawada
देवेंद्र कुमार, डीएस

क्या कहते हैं यात्री
यात्रियों का कहना है कि यहां की स्थिति काफी खराब है. बस की ज्यादा सुविधा नहीं है. हर जगह गन्दगी फैली रहती है. कहीं भी बैठने के लिए उचित जगह नहीं है. बसों की कमी होने के कारण काफी समस्या हो जाती है.

बदहाली का मार झेल रहा यहां का बस स्टैंड

अधिकारी का बयान
इस संबंध में डीएस देवेंद्र कुमार का कहना है कुछ सरकारी और कुछ पब्लिक पार्टनरशिप के तहत गाड़ियां सेवाएं दे रही हैं. जहां तक गन्दगी और सौंदर्यीकरण की बात है. इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. उन्होंने पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि पहले की अपेक्षा अब काफी सुधार है. फिर भी पूरी कोशिश रहेगी कि इसको एक बार फिर से समुचित रुप से चालू किया जा सके.

यात्रियों की पॉकेट पर असर
बता दें कि नवादा की कुल आबादी लगभग 25 लाख है. ऐसे में सरकारी बस स्टैंड की स्थिति को देखते हुए यात्री को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है. मजबूरन लोगों को प्राइवेट बसों का सहारा लेना पड़ता है. जिससे यात्रियों की पॉकेट पर काफी असर पड़ता है.

नवादा: एक समय था जब यहां के सरकारी बस डिपो में यात्रियों की कतारें लगी रहती थी. लेकिन, आज यह बस डिपो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां से दर्जनों बसें चला करती थी. लेकिन, मौजूदा दौर में सिर्फ 10 ही बस चल रही है. इस सरकारी बस स्टैंड का हाल एकदम खस्ता हो चुका है.

परिसर में फैली गन्दगी
बस डिपो की स्थिति ऐसी है कि लोग इसे शौचालय के रुप में इस्तेमाल करते हैं. पूरे परिसर में गन्दगी फैल गई है. डिपो के प्रवेश द्वार पर ही कूड़े का ढ़ेर लगा रहता है. जिससे लोगों को काफी परेशानी होता है. वहीं, बसों की कमी होने से यात्रियों को आए दिन असुविधा झेलनी पड़ रही है.

nawada
खंडहर में तब्दील बस डिपो

भवन हुआ खंडहर
बस डिपो की देख-रेख नहीं होने के कारण भवन में पेड़ उग आए हैं. वहीं, मेन गेट के पास हल्की बारिश में समंदर बन जाता है. गेट के साथ-साथ पूरे परिसर में बारिश होने के कारण पानी जम जाता है. जिससे यात्रियों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है. यहां कर्मियों की भारी कमी है. कई कर्मियों का वेतन अब तक पेंडिंग है. कुछ कर्मी संविदा पर नौकरी कर रहे हैं.

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देवेंद्र कुमार, डीएस

क्या कहते हैं यात्री
यात्रियों का कहना है कि यहां की स्थिति काफी खराब है. बस की ज्यादा सुविधा नहीं है. हर जगह गन्दगी फैली रहती है. कहीं भी बैठने के लिए उचित जगह नहीं है. बसों की कमी होने के कारण काफी समस्या हो जाती है.

बदहाली का मार झेल रहा यहां का बस स्टैंड

अधिकारी का बयान
इस संबंध में डीएस देवेंद्र कुमार का कहना है कुछ सरकारी और कुछ पब्लिक पार्टनरशिप के तहत गाड़ियां सेवाएं दे रही हैं. जहां तक गन्दगी और सौंदर्यीकरण की बात है. इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. उन्होंने पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि पहले की अपेक्षा अब काफी सुधार है. फिर भी पूरी कोशिश रहेगी कि इसको एक बार फिर से समुचित रुप से चालू किया जा सके.

यात्रियों की पॉकेट पर असर
बता दें कि नवादा की कुल आबादी लगभग 25 लाख है. ऐसे में सरकारी बस स्टैंड की स्थिति को देखते हुए यात्री को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है. मजबूरन लोगों को प्राइवेट बसों का सहारा लेना पड़ता है. जिससे यात्रियों की पॉकेट पर काफी असर पड़ता है.

Intro:नवादा। कभी यहां के सरकारी बस स्टैंड में यात्रियों की लगी रहती थी भी लेकिन आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।कभी यहां से दर्जनों बसे चला करती थी। उस समय अलग हुआ करता था सुबह से लेकर शाम तक बस डिपो यात्री और बसें से गुलजार हुआ करता था लेकिन मौजूदा हालात यह है की सरकारी परिवहन सेवा का हाल खस्ता है महज 10 सरकारी गाड़ियां ही सेवा दे रही है उनमें से भी दो-तीन गाड़ियां अमूमन खराब ही रहती है बाकी खराब गाड़ियां बस स्टैंड की शोभा बढ़ा रही है वही जीपों में कर्मचारी से लेकर संसाधनों की काफी कमी है। कर्मचारी के काफी पद रिक्त हैं।




Body:बस स्टैंड बना खुले में शौच का अड्डा, लगे हैं गंदगी का अंबार

बस डिपो का कैम्पस काफी बड़ा है एक गेट एंटी का है तो दूसरा एग्जिट का लेकिन जैसे ही आप बस स्टैंड में प्रवेश करेंगें आपको अक्सर खुले में शौच या पेशाब करते लोग दिख जाएंगें उन्हें कोई रोकनेवाला नहीं है। बस स्टैंड के आगे ही शहर के कचड़े डाले जाते हैं जहां एक मिनट भी ठहरना अपनी मौत को दावत देने के बराबर है कई बार इसकी शिकायते भी हुई लेकिन हाल जस का तस बना हुआ है।

1980 के दशक में बनी डिपो 90 के दशक से होने लगी बदहाल

परिवहन की दृष्टि से 1980 का दशक काफी महत्त्वपूर्ण रहा है इसी समय कई जिलों में सरकारी बस डिपो का निर्माण हुआ लेकिन 90 के दशक में या यूं कहें कि लालू यादव की सरकार आते ही इसकी दुर्गति जो शुरू हुई वो आजतक संभल नहीं पाई है। मौजूदा सरकार इसके लिए कुछ काम किए हैं लेकिन बहुत से ऐसे जगह हैं जहां आज भी सरकारी बस स्टैंड बदहाली का दंश झेल रही है उन्हीं में से एक है नवादा का यह सरकारी बस स्टैंड।

मकानों में निकल आये हैं पेड़, वर्कशॉप हो चुका है जर्जर

शुरुआती दिनों में बने मकान अब सही से रख-रखाव नहीं होने के कारण खंडहर में तब्दील होने शुरू हो गए हैं। कहीं कहीं मकानों से पेड़ निकलने लगे हैं। खिड़कियां टूटी हुई है। टिकट काउंटर का कोई अता-पता नहीं है। बसों के मरम्मत के लिए बने वर्कशॉप काफी जर्जर हो रही है स्टैंड में रखी बसें को जंग खा रही है और उसपे पेड़ पौधे निकल आये हैं।थोड़ी सी बारिश में स्टैंड समंदर बन जाती है जल निकासी का कोई व्यवस्था नहीं है।पर्याप्त लाइट की व्यवस्था नहीं है रात आठ बजे के बाद अंधेरा और सुनसान दिखने लगता है।

कर्मियों की घोर कमी

90 के दशक में उपेक्षित सरकारी बस स्टैंड के लिए विभाग की ओर से कोई नयी बहाली नहीं करने के कारण धीरे-धीरे कर्मियों की संख्या घटती चली गई। न ड्राइवर की बहाली, न कंडक्टर की और न ही किसी मैकेनिक की। जो कर्मी थे उनको वर्षों से वेतन नहीं मिल रहे थे हालांकि, नीतीश सरकार आने के बाद कर्मियों के बकाया वेतन और उसमें वृद्धि भी की गई है। न्यूनतम मजदूरी से भी कम मिला रहा है कंडक्टर और खलासी का मेहनताना। पहले दो सौ से अधिक कर्मी करते थे काम अब महज 7 कर्मी कर रहे हैं। कुछ बांकी संविदा पर हैं।

क्या कहते हैं यात्री

यात्री गोपाल कुमार यहां की स्थिति काफी खराब है। बस की ज्यादा सुविधा नहीं है।काफी गंदगी रहता है। ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग यहां शौच करते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

डीएस देवेंद्र कुमार का कहना है कुछ सरकारी और कुछ पब्लिक पार्टनरशिप के तहत गाड़ियां से सेवाएं देने का कोशिश कर रहे हैं जहां तक गंदगी और सौंदर्यीकरण की बात है तो इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेजे हैं। उन्होंने पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि, यहाँ काफी रौनक हुआ करता था। दो सौ से अधिक कर्मी यहां काम करते थे।





Conclusion:नवादा जिले की कुल आबादी लगभग 25 लाख पर पहुंच चुकी है लेकिन अभी तक शहर में एक अच्छे बस स्टैंड तैयार नहीं हो सका है जिसके कारण यहां के पैसेंजर को भेड़-बकड़ियों की तरह ठूस-ठूस कर जाना पड़ता है आखिर कब इतनी बड़ी आबादी के लिए एक स्वच्छ और सुंदर बस स्टैंड नसीब होगा?
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