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परंपरागत खेती से हटकर मशरूम को ही कारोबार बना रहे नालंदा के किसान - किसान

इस गांव के लोगों की मेहनत के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कायल हैं. वे अपनी सभाओं में सरीलचक का नाम लेना नहीं भूलते.

मशरूम
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Published : Mar 7, 2019, 11:45 PM IST

नालंदा: वैसे तो मशरूम की खेती जिले में कई जगहों पर हो रही है लेकिन नालंदा के सरिलचक के लोगो ने मशरूम की खेती कर अलग पहचान बनाई है. अब तक इस गांव के लोग परंपरागत खेती में विश्वास रखते थे लेकिन बीते 5 वर्षों में यह गांव काफी बदल चुका है.

इस गांव ने मशरूम की खेती कर लोगों को नया रास्ता दिखाया है. नतीजतन आज इस गांव के लोगों की मेहनत के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कायल हैं. वे अपनी सभाओं में सरीलचक का नाम लेना नहीं भूलते. यहां लोग घरों में ही मशरूम की खेती कर रहे हैं और उसे ही अपना व्यवसाय बना रहे हैं.

मशरूम की खेती

खूब होती है बिक्री
करीब डेढ़ सौ रुपय प्रति किलो की दर से मशरूम की बिक्री हो रही है. किसानों का मानना है कि बाजार में मांग होने के कारण उनका इस काम में काफी मन भी लग रहा है और फायदा भी हो रहा है. यहां के रेस्टोंरेंट में मशरूम से बने कई व्यंजन भी परोसे जाते हैं.

नालंदा: वैसे तो मशरूम की खेती जिले में कई जगहों पर हो रही है लेकिन नालंदा के सरिलचक के लोगो ने मशरूम की खेती कर अलग पहचान बनाई है. अब तक इस गांव के लोग परंपरागत खेती में विश्वास रखते थे लेकिन बीते 5 वर्षों में यह गांव काफी बदल चुका है.

इस गांव ने मशरूम की खेती कर लोगों को नया रास्ता दिखाया है. नतीजतन आज इस गांव के लोगों की मेहनत के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कायल हैं. वे अपनी सभाओं में सरीलचक का नाम लेना नहीं भूलते. यहां लोग घरों में ही मशरूम की खेती कर रहे हैं और उसे ही अपना व्यवसाय बना रहे हैं.

मशरूम की खेती

खूब होती है बिक्री
करीब डेढ़ सौ रुपय प्रति किलो की दर से मशरूम की बिक्री हो रही है. किसानों का मानना है कि बाजार में मांग होने के कारण उनका इस काम में काफी मन भी लग रहा है और फायदा भी हो रहा है. यहां के रेस्टोंरेंट में मशरूम से बने कई व्यंजन भी परोसे जाते हैं.

Intro:नालंदा। वैसे तो मशरूम की खेती जिले में कई जगहों पर हो रही है लेकिन नालंदा के सरिलचक के लोगो ने मशरूम की खेती कर अलग पहचान बनाने का काम किया है। अब तक इस गांव के लोग परंपरागत खेती में विस्वास रखते थे लेकिन विगत 5 वर्षों में यह गांव काफी बदल चुका है। इस गांव के लोगो ने परम्परागत खेती के साथ साथ अपने विकास के लिए नया रास्ता तैयार किया और मशरूम की खेती कर समृद्धि को प्राप्त करने लगे। यह गांव ने मशरूम की खेती कर लोगो को रास्ता दिखाने का काम किया नतीजा यह रहा कि आज इस गांव के लोगो के मेहनत के मुख्यमंत्री भी कायल है और अपनी सभा मे सरिलचक का नाम लेना नही भूलते। इस गांव में बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती हो रही है।


Body:नालंदा जिला का सारीलचक गांव आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। इस गांव के लोग अपनी मेहनत और परिश्रम के बल पर एक अलग पहचान बनाने का काम किया है। परंपरागत खेती को करने के अलावा इस गांव के लोगों ने मशरूम की खेती का काम शुरू किया जिसका परिणाम भी काफी सार्थक रहा। स्थानीय अधिकारियों की मदद से मशरूम की खेती शुरू की और घर में ही बुलाकर मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया। आज बड़े पैमाने पर मशरूम का उत्पादन हो रहा जिसके कारण यहां के किसानों को काफी लाभ भी मिल रहा है करीब डेढ़ सौ रुपय प्रति किलो की दर से मशरूम की बिक्री हो रही है। किसानों का मानना है कि बाजार में मांग होने के कारण उन्हें इस काम में काफी मन भी लग रहा है और फायदा भी हो रहा है । मशरूम के कई प्रकार के व्यंजन बनते हैं जिसमें मशरूम का पकौड़ा मशरूम का दही वाड़ा मशरूम का पेड़ा मशरूम का खीर सहित कई प्रकार के व्यंजन तैयार होते हैं।


Conclusion:यहां उत्पादित मशरूम का प्रदर्शनी भी विभिन्न जगहों पर लगाया जाता है सरकार द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल चक्का मशरूम प्रदर्शनी में लगाया जाता है अब यह मशरूम किसी पहचान की मोहताज नहीं रही।
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