मुजफ्फरपुर: दीपों और रोशनी के पर्व दीपावली (Diwali) के मौके पर इस साल बिहार के गांव से लेकर घर तक मधुबनी पेंटिंग (Madhubani Painting) से सजे दीये से रोशनी जगमगाएगी. मधुबनी पेंटिंग से सजे इन दीयों की मांग अन्य प्रदेशों में भी खूब हो रही है. इस कार्य से न केवल मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि मधुबनी पेंटिंग घर-घर तक पहुंच भी रही है.
ये भी पढ़ें:दीपावली के दिन इस खास मिठाई से होती है लक्ष्मी-गणेश की पूजा
मधुबनी पेंटिंग के कलाकार न केवल दीयों में अपनी कला उकेर रहे हैं बल्कि ये लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के अलावा थाली, प्लेट, कटोरा और ट्रे सहित अन्य वस्तुओं पर भी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं. मुजफ्फरपुर जिले के पुरानी बाजार निवासी और मधुबनी पेंटिंग कलाकार इप्सा पाठक बताती हैं कि मधुबनी पेंटिंग से सजे इन दीयों की मांग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जयपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी हो रही है.
''मधुबनी और मुजफ्फरपुर के करीब 100 से ज्यादा कलाकार बीते एक माह से दीपावली पर इन वस्तुओं के निर्माण में लगी हैं. धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ माने जाने वाले कछुआ, हाथी, उल्लू, पान के पत्ते की आकृति वाले दीयों की काफी मांग है.'' - इप्सा पाठक, कलाकार, मधुबनी पेंटिंग
इप्सा ने बताया कि देश में रह रहे मिथिला के लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं और अब यह कारोबार आनलाइन हो रहा है. विभिन्न माध्यमों से इंटरनेट द्वारा आर्डर लिया जाता है और इसके बाद कूरियर से आपूर्ति की जा रही है. उन्होंने कहा कि छठ पर्व को लेकर सूप पर भी मधुबनी आकृति को उकेरा जा रहा है. वे कहती हैं कि इसमें करीब एक सौ कलाकार लगे हुए हैं. पिछले वर्ष भी छठ के मौके पर सूप और दउरा (टोकरी) को मधुबनी आकृति से सजाया गया था.
ये भी पढ़ें:दीपावली-छठ में घर आना है... टिकट कंफर्म नहीं हो रहा है... इस ट्रेन में सर्च कीजिए
कलाकारों का कहना है कि रद्दी कागज और कार्टन को पानी में भिगोकर लुगदी बना ली जाती है और उसमें कुछ मात्रा में मिट्टी और मुल्तानी मिट्टी के अलावा नीम के पेड़ की छाल, नीम की पत्ती का पानी मिला लिया जाता है. इसे गूथकर मिट्टी की तरह बना लिया जाता है. उसी से दीया सहित अन्य वस्तुएं तैयार की जाती हैं. जिसकी मांग लगातार बढ़ रही है.